- बिना परमिट के शहर से गावों के बीच धड़ल्ले से चल रहे हैं वाहन
यात्रियों की जान जोखिम में डालकर दौड़ रहे सैकड़ों अवैध वाहन
रोजाना जिम्मेदारों के सामने सवारियां भरते हैं अवैध वाहनों में

नीमच. जिला मुख्यालय से गावों तक यात्रियों की आवाजाही के लिए बसों और आवागमन के साधनों की समुचित व्यवस्था न होने का सीधा फायदा बिना परमिट के चलाए जा रहे वाहन उठा रहे हैं।जिस रास्ते पर परिवहन विभाग और ट्राफिक पुलिस की सघन चेकिंग के दावे किए जाते हैं उसी मार्ग पर यह वाहन सवारियों से भरते भी हैं और गावों तक भी बिना रोकटोक के जाते हैं।इस गौरखधंधे में जिम्मेदारों की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता है।
यहां बने हैं अवैध वाहनों के स्टैंड-
जिला मुख्यालय से जावद के सीधे मार्गों, मनासा मार्ग पर आने वाले गावों, सिंगोली मार्ग पर आने वलो गावों, जीरन और आसपास के कई गावों तक सवारियां लाने ले जाने का काम अवैध वाहनों के जरिए किया जाता है। लोडिंग वाहनों में सीटें लगाकर यात्रियों को बैठाया जाता है, इनका किराया भी खुद वाहन संचालकों ने अपने तरीके से तय कर रखा है। आम सड़कों से दूर गावों तक भी इन अवैध वाहनों द्वारा सेवाएं दी जाती हैं। इन वाहनों का संचालन खासतौर से उस समय पर होता है जब गंतव्य की ओर जाने के लिए बसों का अभाव रहता है।इसके अलावा भी कुछ वाहन सुबह से लेकर शाम तक शहर और गांव के बीच चार-चार चक्कर करते हैं। सफेद रंग के ऐसे अवैध वाहनों की संख्या 40 है जबकि जीपों की संख्या लगभग २५ से अधिक बताई जाती है।जीपें ज्यादातर राजस्थान के निंबाहेड़ा और नीमच के बीच चलती है।
सरकार को भी लग रहा चूना और यात्रियों की जान से भी खिलवाड़-
पड़ताल में पता चला है कि यात्रियों को अवैध रूप से ढो रहे इन वाहनों का न कोई वैध परमिट है और न ही कोई मार्ग निर्धारण। अधिकांश वाहनों के फिटनेस, नंबर और बीमे के दस्तावेज भी पूरे नहीं है।यहां तक की कुछ चालकों के लाइसेंस पर भी संशय है। कई वाहनों के तो नंबर तक नहीं हैं।जिला मुख्यालय पर इन वाहनों का संचालन खुलेआम होता है। खुलेआम सवारियां ठूंस-ठूंस कर भरी जाती है। इन वाहनों के अवैध स्टैंड फव्वारा चौक, विधायक बंगले के सामने, सब्जी मंडी का मार्ग, शिवाजी चौराहा हैं। जहां से वे सवारियां भरते हैं। सब्जी मंडी मार्ग के कार्नर पर जहां इन वाहनों में सवारियां बैठाई जाती है उससे कुछ ही कदम की दूरी पर एसपी कार्यालय है।दूसरी तरफ कंट्रोल रूम और यातायात थाना भी है। इसके अलावा जिस सवारी ने जहां हाथ दे दिया वहां रोककर बैठा लेते हैं चाहे भीतर क्षमता से अधिक ही सवारियां पहले से क्यों न बैठी हो। इस स्थिति में सरकार को परमिट से मिलने वाली आय का पूरा चूना लग रहा है तो दूसरी तरफसवारियों की जान से खिलवाड़ भी किया जा रहा है। ताजा उदाहरण दो दिन पहले हुई तेज बारिश के दौरान देखने को मिला है जिसमें नेवड़ की रपट पर ओवरफ्लो होते पानी के आवेग के बीच से एक जीप में क्षमता से अधिक सवारियां भरकर निकाल ली गई। हाल ही में बच्चों से भरी एक स्कूल बस चालक ने भी धनेरियाकलां रोड़ पर ऐसा ही जोखिम दिखाया था। जिसका बाद में परिवहन विभाग ने परमिट निरस्त कर दिया। फिर भी इस तरफ किसी का ध्यान न जाना संशय को जन्म देता है। स्पष्ट है इस अवैध गौरखधंधे को जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है।
वर्जन-
आप वाहन के नंबर बता दीजिए पता करवा लेते हैं उनका परमिट है या नहीं,किस आधार पर सवारियां बैठाकर वाहन चलाए जा रहे हैं।चैकिंग भी करवा लेते हैं। -बरखा गौड़, जिला परिवहन अधिकारी नीमच
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