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-बंद लिफाफे में नाम गए भोपाल

locationनीमचPublished: Oct 17, 2018 04:59:53 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

मनासा, नीमच और जावद विधानसभा उम्मीदवार के लिए भाजपा ने की रायशुमारी- जिला, मंडल, मोर्चा और पूर्व पदाधिकारियों से लिए तीन-तीन नामों के पैनल

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नीमच. विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारी को लेकर भारतीय जनता पार्टी की अंतिम दौर की तैयारी हो गई है। किस क्षेत्र से कौन-कौन दावेदार हैं यह पुख्ता जानकारी भाजपा संगठन ने जुटा ली है। पर्चियों से पदाधिकारियों से लिए गए तीन-तीन नामों में से उन नामों की छंटनी होने वाली है जिन्हें पार्टी के अपेक्षित कार्यकर्ताओं ने सर्वाधिक तरजीह दी है।बंद लिफाफों में यह रायशुमारी भोपाल पहुंच गई है।अक्टूबर अंत में दावेदारों को उम्मीदवारी के संकेत मिलने की उम्मीद है।
सुबह से देर शाम तक चला रायशुमारी का सिलसिला-
विधानसभा उम्मीदवारों को लेकर भाजपा संगठन की एक खास प्रक्रिया है।जिसमें अपेक्षित पदाधिकारियों से दावेदारों के बारे में रायशुमारी की जाती है। एक तरह से उम्मीदवार चयन के लिए मतदान होता है। जिनके नामों पर सर्वाधिक मत प्राप्त होते हैं उनके नाम आगे फैसला लेने वाले शीर्ष समूह तक पहुंचाए जाते हैं। बुधवार सुबह 10.30 बजे स्वर्णकार धर्मशाला में इस प्रक्रिया के लिए नियुक्त जिला प्रभारी बाबूसिंह रघुवंशी इंदौर और सह प्रभारी इकबालसिंह गांधी की मौजूदगी में जावद विधानसभा क्षेत्र के लिए रायशुमारी का दौर शुरू हुआ। पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से एक-एक पर्ची पर स्वयं का नाम, पता, नंबर आदि के साथ खुद का नाम छोड़कर तीन श्रेष्ठ उम्मीदवारों के नाम लिखने को कहा गया।शुरुआत जावद विधानसभा क्षेत्र से हुई।दोपहर १ बजे तक रायशुमारी चली और लिफाफे बंद कर दिए गए।
जावद में यह रही स्थिति-
जावद क्षेत्र से रायशुमारी की प्रक्रिया में संगठन से अपेक्षित 32 पदाधिकारी, पूर्व पदाधिकारी और चुने हुए जनप्रतिनिधि शामिल हुए। सभी ने एक-एक पर्ची पर तीन-तीन नामों की पैनल बनाकर दी। मोटे तौर पर यहां वर्तमान विधायक ओमप्रकाश सकलेचा के अलावा देवीलाल धाकड़, राजू नागदा मोड़ी, पूरणमल अहीर, अशोक विक्रम सोनी सहित अन्य के नाम सामने आए हैं। इन नामों को लेकर कुछ पदाधिकारियों से प्रभारियों ने वन टू वन चर्चा भी की। प्रभारियों ने पदाधिकारियों और रायशुमारी देने वालों से शिकवा शिकायतें भी सुनी।
मनासा का मजमून-
भाजपा में मनासा सीट पर हुई रायशुमारी में 30 पदाधिकारियों ने अपनी राय पर्चियों में लिखकर दी। यहां पर वर्तमान विधायक कैलाश चावला के अलावा मंदसौर के पूर्व मंडी अध्यक्ष बंशीलाल गुर्जर, राजेश लढ़ा सहित अन्य लगभग 8 नाम विभिन्न पैनल में आने की जानकारी मिली है।हालांकि पटवा परिवार से भी दो नाम पैनल में आने की जानकारी मिली है। मनासा की पैनल में एक जानकारी यह भी सामने आई है कि ज्यादातर नाम बाहरी उम्मीदवारों के हैं। प्रभारियों ने पैनल सौंपने वाले पदाधिकारियों से अलग-अलग चर्चा भी की और पैनल में शामिल हर नाम देने की वजह भी कुछ पदाधिकारियों से पूछी। मनासा की रायशुमारी में एक रोचक जानकारी यह भी पता चली है कि अधिकांश पदाधिकारियों ने एक मत होकर एक दावेदार के नाम पर आपत्ति ली है।इस दावेदार का हर बार भाजपा से टिकिट मिलने का नाम उछलता रहा है। हालांकि जितनी उर्जा इस एक दावेदार का नाम हटाने पर पदाधिकारियों ने दिखाईउतनी किसी एक नाम पर सर्व सम्मत होने में नहीं दिखी।
नीमच की यह रही तस्वीर-
रायशुमारी में सबसे ज्यादा पदाधिकारी नीमच विधानसभा क्षेत्र के शामिल हुए।लगभग 50 पदाधिकारियों ने अपनी भावनाएं लिखित में प्रभारियों को सौंपी। प्रमुख रूप से वर्तमान विधायक दिलीपसिंह परिहार के अलावा नपा अध्यक्ष राकेश जैन पप्पू, महेंद्र भटनागर, वीरेंद्र पाटीदार, पवन पाटीदार, सत्यनारायण गोयल, अवंतिका मेहरसिंह जाट, किरण शर्मा सहित अन्य नामों को पदाधिकारियों ने पर्ची में दर्शाया है।नीमच के मामले पर सबसे लंबी चर्चा चली।संगठन के पदाधिकारियों ने यहां तक कहा कि यहां पर जो नाम दे सकते हैं वह ठीक है इसके अलावा भी किसी के मन में कोई बात हो तो रात ११ बजे ट्रेन में बैठने से पहले स्टेशन आकर खुली चर्चा कर सकते हैं।
पीली पर्ची में अन्य लोगों की भावना भी लिखवाई-
इस बार रायशुमारी की खासियत यह भी थी कि जिन लोगों को रायशुमारी के लिए बुलाया गया था उन पदाधिकारियों को पैनल के नाम लिखने के लिए सफेद पर्चियां दी गई थी जबकि जो कार्यकर्ता भी वहां पहुंच गए थे उनकी भी राय ली गई लेकिन उन्हें पीली पर्ची दी गई थी। पीली पर्ची देखकर उच्च संगठन को भी संकेत मिल जाएंगे कि यह अपेक्षितों के अलावा लोगों की राय है।लेकिन इन पर्चियों को कितनी तवज्जो मिलेगी यह कहा नहीं जा सकता। पीली पर्ची को देख जावद क्षेत्रके कुछदावेदारों ने अपने अपने और समर्थकों को भी बुलवा लिया था।
यह भी रोचक मामला-
रायशुमारी देने वालों में पदाधिकारियों की संख्या सर्वाधिक थी। ऐसे में यह सुगबुगाहट भी हुई कि अधिकांश पदाधिकारी वर्तमान विधायकों के समर्थक हैं। इस स्थिति में स्वाभाविक रूप से विधायकों के नाम पैनल में अधिक बार आना तय है।लेकिन अन्य नामों पर भी अधिक मत मिले हैं तो यह माना जाना चाहिए कि विधायकों के समर्थकों को छोड़कर शेष लोगों में दूसरों की छवि भी है।
इस बहाने यह भी पता लगा कि कौन किसे चाहता है-
इस रायशुमारी से संगठन के सामने यह भी साफ होता जा रहा है कि कौन किसे चाहता है। यानि जिसे संगठन टिकिट देना चाहता है उनके लिए कौन कौन से रोड़े हंै। इस रायशुमारी के जरिए संगठन ने यह भी पता लगाया है कि कहां किसकी क्या कमियां हैं और डेमेज कंट्रोल कहां-कहां करना है।
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