पत्रिका टीम ने दोपहर करीब एक बजे शहर के बस स्टेंड पर हालत जाकर देखी तो चौकाने वाली थी। भरी धूप में यात्रियों को इंतेजार करने के लिए छत नहीं है। काफी समय से बन रहा प्रतीक्षालय का काम चीटीं की गति से आगे बढ़ रहा है। लोगों को छांव के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। वहीं बस चालकों ने भी मनमानी कर रखी है। हादसे के बाद बनाए नियमों को ताक में रख दिया है। कुछ ही गिने चुने चालक वर्दी में दिखे। अधिकांश बिना वर्दी के ही बस चला रहे थे। बस में स्पीड गर्वनर नहीं लगे दिखे। जिनमे स्पीड गर्वनर लगे थे, वह बंद थे। १५ साल से भी पुरानी खटारा बस सड़क पर दौड़ रही है। ठूंस-ठूंस कर यात्री भरे जा रहें हैं। बस की छत पर ट्रक की तरह सामान लादा जा रहा है। महिला के लिए सीट सुरक्षित नहीं और न ही सीसीटीवी कैमरा लगा मिला और न ही फस्र्टेड बॉक्स था। इतना ही नहीं इमरजेंसी खिड़की तो थी, लेकिन उसे रस्सी से कस कर बांधकर रखा था, वहीं उसी सीट पर सामान भरकर पूरी तरह बंद कर रखा था। अगर कभी हादसा हो तो इस इमरजेंसी खिड़की का उपयोग तो किया जाना संभव ही नहीं है।
– प्रत्येक बस में सीसीटीवी कैमरा और फस्र्टेड बॉक्स लगना है।
– इमरजेंसी खिड़की और खिडि़कियों पर हरे रंग के पर्दे लगने हैं।
– बिना रिमोड के टायर होने चाहिए।
– 15 साल से पुरानी बस को फिटनेस नहीं देना।
– प्रत्येक बस पर चालक वर्दी और नेमप्लेट होना चाहिए।
बसों पर लगातार कार्रवाई चलती है, अभी चुनाव की तैयारी ड्यूटी लगने के कारण लगातार कार्रवाई में ब्रेक लगा हेै। टीम बनाकर फिर से चैकिंग शुरू कर नियमों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।