scriptआजादी के बाद भी शाम होते ही अंधेरे में डूब जाता है गांव भाटखेड़ा | neemach news | Patrika News
नीमच

आजादी के बाद भी शाम होते ही अंधेरे में डूब जाता है गांव भाटखेड़ा

-स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखाता गांव, स्ट्रीट लाईट के अभाव में छाया रहता अंधेरा-जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर होने के कारण झोलाछापों के भरोसे ग्रामीण-अधूरे निर्माण के कारण झेल रहे ग्रामीण परेशानियां, चौपाल पर सुनाई ग्रामीणों ने समस्या

नीमचOct 30, 2018 / 10:57 am

harinath dwivedi

patrika

आजादी के बाद भी शाम होते ही अंधेरे में डूब जाता है गांव भाटखेड़ा

नीमच
फैक्ट फाईल
ग्राम पंचायत भाटखेड़ा की जनसंख्या-2216
कुल मतदाता-1400 से अधिक
कुल परिवार-500
ग्राम पंचायत के अंतर्गत गांव-3

नीमच. स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखाती गांव की गलियां और मुख्य मार्ग। सड़कों के अभाव में उबड़ खाबड़ रास्तों से आवाजाही करते ग्रामीण। शाम होने के साथ ही बढ़ती मच्छरों की भरमार और अंधेरे में डूबा गांव। यह हालात किसी मजरेटोले या सड़क से दूर स्थित गांव के नहीं बल्कि जिला मुख्यालय और फोरलेन से सटे गांव भाटखेड़ा के हैं। जहां के रहवासी सालों से इन समस्याओं से जूझते हुए जीवन गुजर रहे हैैं। क्योंकि सरकारें भले ही बदलती रहती है। लेकिन समस्या जस की तस बनी रहती है।
जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर व फोरलेने के समीप स्थित भाटखेड़ा पंचायत के हालात इन दिनों से बद्तर हैं। जिस पंचायत की जनसंख्या 2200 से अधिक हो। उस गांव में नियमित एक भी सफाई कर्मचारी नहीं होने के कारण पूरा गांव गंदगी की चपेट में आ चुका है। आश्चर्य की बात तो यह है कि पूरे गांव के घरों से निकला गंदा पानी जहां एकत्रित होता है। वहीं विद्युत ट्रांसफार्मर लगा है। जो किसी बड़ी दुर्घटना को निमंत्रण देता नजर आ रहा है।
नहीं जलती स्ट्रीट लाईट, सौर उर्जा सिस्टम भी हुए फेल
कहने को तो गांव में जगह जगह विद्युत के पोल लगे हुए हैं। लेकिन शाम होते ही यहां अंधेरा छा जाता है। क्योंकि एक भी स्ट्रीट लाईट नहीं जलती है। कुछ टूट चुकी है तो कुछ में लाईट हीं नहीं लगी है। आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस गांव को अंधेरा मुक्त बनाने के लिए सौर उर्जा सिस्टम से लाईटें लगाई गई थी। वहीं सौर उर्जा सिस्टम भी फेल हो गए और निशानी के रूप में सौर उर्जा के लिए लगाए गए पोल नजर आ रहे हैं।
दो झोलाछापों के भरोसे 2216 ग्रामीण
भाटखेड़ा पंचायत के अंतर्गत कुल तीन गांव आते हैं। जिसमें करीब 2200 से अधिक ग्रामीण निवास करते हैं। जिसमें करीब 1400 से अधिक मतदाता पिछले सूची के अनुसार ही हैं जबकि सैंकड़ों मतदाता ओर भी इस बार जुड़ चुके हैं। लेकिन ग्रामीणों के स्वास्थ्य के लिए अभी तक कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में ग्रामीण बीमार होने पर झोलाछापों के भरोसे निर्भर रहते हैं। चूकि दिन में बीमार होने पर तो ग्रामीण कैसे भी उपचार करा लेते हैं। लेकिन रात के समय बीमार होने पर उन्हें उपचार के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि उपचार के लिए जिला चिकित्सालय के अलावा कोई ओर चारा नहीं बचता है। ऐसे में उन्हें करीब 10 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है।
चौपाल पर बोले ग्रामीण किसे सुनाए अपनी कहानी
भाटखेड़ा की चौपाल पर बैठे ग्रामीण मान सिंह, मोहन दादा, दौलत राम, दशरथ मेघवाल, श्यामलाल, प्रकाश कुमावत आदि ने पत्रिका से चर्चा के दौरान कहा कि हम आजादी के बाद से गांव में सफाई से लेकर सड़क, नाली, बिजली, पानी, स्वास्थ्य जैसी मुलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं। इस संबंध में हमने कई बार संबंधितों को अवगत कराया है। लेकिन आज तक कोई निराकरण नहीं हुआ है। जबकि हर बार विभिन्न पार्टियों के प्रत्याशी भी वोट मांगने आते हैं। लेकिन जीतने के बाद पांच सालों में कोई काम जमीन पर नजर नहीं आता है।
सफाई नहीं होने के कारण मच्छरों की भरमार बनी रहती है। बीमार होने पर उपचार भी नहीं मिल पाता है क्योंकि पूरी पंचायत में कोई शासकीय चिकित्सा सुविधा नहीं है। ऐसे में झोलाछाप के भरोसे रहना पड़ता है। जिनका उपचार महंगा तो पड़ता ही है। साथ ही कई बार रिएक्शन होने पर दिक्कत और खड़ी हो जाती है।
-दशरथ मेघवाल, ग्रामीण, भाटखेड़ा,
गांव में नालियां तो बनाई है। लेकिन उसमें ढलान बराबर नहीं होने के कारण गंदा पानी जिस घर से निकलता है उसी के सामने जमा हो जाता है। यहां कोई सफाई कर्मी भी नहीं आता है। यहां स्ट्रीट लाईट भी नहीं जलती है। जिससे पूरे गांव में अंधेरा छाया रहता है।
-श्यामलाल नायक, ग्रामीण, भाटखेड़ा,
सौर उर्जा के लिए लाईट के खंबे लगाए थे। लेकिन वर्तमान में न तो सौर प्लेट नजर आती है और न ही लाईट, केवल निशान के रूप में खंबा नजर आ रहा है। ऐेसे में शाम होते ही पूरे गांव में अंधेरा छा जाता है। वहीं गांव में एक बड़ी नाली तो बना दी गई। लेकिन उस पर कुछ ढका नहीं होने के कारण आए दिन हादसे का भय बना रहता है। क्योंकि इसी मार्ग से बच्चे भी स्कूल आवाजाही करते हैं।
-मयूर नायक, ग्रामीण, भाटखेड़ा,
गांव में दो दिन छोड़कर पेयजल वितरण होता है। वहीं मेरे घर पर अभी भी नल कनेक्शन नहीं हुआ है। ऐेेसे में ग्रामीणों को पेयजल संकट का सामना भी करना पड़ता है। यहां की समस्या से जिम्मेदारों को कई बार अवगत कराया। लेकिन हल आज तक नहीं निकला।
-मोहनलाल कुमावत, ग्रामीण, भाटखेड़ा,
वर्जन.
चूकि पंचायत में विकास कार्य के लिए कोई विशेष राशि नहीं होती है। वहीं आमदानी भी न के बराबर है क्योंकि जलकर, प्रकाश कर आदि भी ग्रामीण नहीं देते हैं। जलकर मात्र 50 लोग ही देते हैं जिससे सफाईकर्मी बुलवाकर समय समय पर सफाई करवाई जाती है। हमने स्वास्थ्य सुविधा के लिए भी विधायक को अवगत कराया है।
-मुन्नादास बैरागी, सरपंच, ग्राम पंचायत भाटखेड़ा
—————
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो