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बिना नब्ज टटोले एक एक मिनट में किया मरीजों को रवाना

locationनीमचPublished: Nov 11, 2018 01:03:26 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

-एक बजने से पहले कतार खत्म करने में जुटे थे चिकित्सक-पीयून के ईशारे पर दौड़ रहे थे इधर से उधर मरीज

patrika

बिना नब्ज टटोले एक एक मिनट में किया मरीजों को रवाना

नीमच. अगर आप उपचार कराने के लिए जिला चिकित्सालय जा रहे हैं ओर किसी कारणवश दो चार मिनट लेट हो गए हंै। तो सोच समझकर ही जाना, क्योंकि यहां एक बजने से पहले ही ओपीडी के विभिन्न कक्षों में ताले लगना शुरू हो जाता है। ऐसे में कहीं आप थोड़ा भी लेट पहुंचे तो यहां सिर्फ ताले ही नजर आएंगे। क्योंकि यहां चिकित्सक आते तो समय से लेट हैं। लेकिन जाने के लिए एक मिनट भी लेट होना पसंद नहीं करते हैं।
यह हम नहीं कह रहे हैं। यह हालात खुद ट्रामा सेंटर में स्थित ओपीडी में नजर आए हैं। पत्रिका ने जब शनिवार को ओपीडी के हालातों पर नजर डाली तो हालात आश्चर्य जनक नजर आए। यहां शनिवार दोपहर करीब 12.30 बजे एक कक्ष के बाहर मरीजों की लंबी चौड़ी कतार लगी थी। वहीं दूसरे कक्षों में चिकित्सकों की कुर्सियां खाली थी। ऐसे में कुछ मरीज कतार में खड़े थे। तो कुछ कतार में खड़े होकर थक जाने के कारण बैठ गए थे। वहीं कतार में खड़े मरीजों को भय था कि कहीं ऐसा न हो कि हमारा नंबर ही नहीं आए ओर ओपीडी बंद होने का टाईम हो जाए।
12.45 बजे आए चिकित्सक, एक एक मिनट में किए मरीजों को रवाना
ओपीडी में एक कक्ष के बाहर लगी लंबी कतार खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी। वहीं देखते ही देखते 12.45 बज गए। चूकि अन्य चिकित्सक के कक्ष खाली पड़े थे। वहीं एक कक्ष में नेत्र चिकित्सक, तो दूसरे में दंत चिकित्सक थे, लेकिन उन्हें दिखाने वाले मरीज अपेक्षाकृत कम ही रहते हैं। ऐसे में एक चिकित्सक तो पौने एक बजे ही निकल लिए। इसी बीच दो चिकित्सक कहीं से आए तो वहीं खड़े पीयून ने लंबी कतार को छोटा करते हुए मरीजों को अन्य चिकित्सकों के कक्ष में शिफ्ट कर दिया। इस कारण हर चिकित्सक के कक्ष के बाहर करीब एक दर्जन से अधिक मरीजों की कतार लग चुकी थी। लेकिन आश्चर्य की बात है कि ओपीडी का समय पूर्ण होने में मात्र 10 मिनट का समय शेष बचा था। ऐसे में चिकित्सकों ने बिना नब्ज टटोले की एक एक मरीज को एक एक मिनट में देखकर रवाना कर दिया। ताकि एक बजते ही घर के लिए निकल सकें। ऐसे में क्या तो मरीज का परीक्षण किया होगा और क्या उपचार के लिए दवाईयां लिखी होगी। यह तो वे स्वयं ही जाने।
घर जाने की जल्दी में धड़ाधड़ लग रहे थे ताले
ओपीडी का नजारा देख कर ऐसा लग रहा था जैसे यहां का पूरा सिस्टम ही पीयून के इशारे पर चल रहा हो, क्योंकि जहां एक ओर उसके द्वारा अपनी मर्जी से मरीजों की कतार को खत्म करने के लिए अन्य चिकित्सकों के कक्ष के बाहर खड़ा किया जा रहा था। वहीं दूसरी ओर जैसे जैसे चिकित्सक के कक्ष के बाहर की कतार खत्म हो रही थी। ताला ठोकने में देर नहीं करी, ताकि कोई मरीज आकर खड़ा न हो जाए। इस प्रकार ओपीडी में 12.48 बजे से ही ताले लगना शुरू हुए, तो 1 बजने से पहले पूरी ओपीडी में ताले लग चुके थे। वहीं लंबी चोड़ी कतार भी चंद मिनट में पूरी हो चुकी थी। क्योंकि घर जाने की जल्दी में हर कोई एक एक मिनट में मरीजों को बिना नब्ज टटोले रवाना कर रहा था। ऐसे में अगर कोई मरीज जिला चिकित्सालय में आने में थोड़ा भी लेट हो जाए तो उसे निश्चित ही बिना दिखाए ही लौटना पड़ेगा।
वर्जन.
अगर ऐसा है तो हम स्वयं दिखवाएंगे और शीघ्र व्यवस्था सुधारने का प्रयास किया जाएगा।
-डॉ आरएस बघेल, सीएमएचओ
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