scriptअब अच्छे दाम नहीं मिलने से ढेर छोड़कर जा रहे अन्नदाता | neemach news | Patrika News

अब अच्छे दाम नहीं मिलने से ढेर छोड़कर जा रहे अन्नदाता

locationनीमचPublished: Dec 06, 2018 08:52:34 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

-प्याज मंडी में आधा दर्जन से अधिक प्याज के ढेर पड़े लावारिस-भाड़ा और मजदूरी भी नहीं निकलने के कारण छोड़ जाते हैं ढेर

patrika

अब अच्छे दाम नहीं मिलने से ढेर छोड़कर जा रहे अन्नदाता

नीमच. प्याज की बंपर आवक और बारिश का प्याज होने के कारण छोटे छर्रे प्याज के दाम अन्नदाताओं को पानी के बराबर मिल रहे हैं। ऐसे में कई अन्नदाता प्याज के ढेर यू हीं छोडकर जा रहे हैं। ताकि वापस ले जाने के भाड़े से तो बचें। ऐसे ही हाल बुधवार को प्याज मंडी में नजर आए। जहां आधा दर्जन से अधिक प्याज के ढेर किसान यूं ही छोड़कर जा चुके थे।
बतादें की बुधवार को प्याज मंडी में करीब चार हजार कट्टे प्याज की आवक हुई। जिसके दाम किसान को 2 रुपए से लेकर 9 रुपए किलो मिले। लेकिन आश्चर्य की बात है कि छोटे और छर्रे प्याज के दाम अन्नदाता को नहीं मिल रहे थे, या न के बराबर दाम मिल रहे थे। जिसके कारण किसान प्याज के ढेर को यू हीं छोड़कर जाना ठीक समझ रहे थे। ऐसे में प्याज मंडी में हर थोड़ी दूर पर एक दो एक दो ढेर ऐसे नजर आए, जिनका कोई मालिक नहीं था।
प्याज के ढेरों से आ रही थी बदबू
अच्छे दाम नहीं मिलने के चक्कर में किसानों द्वारा छोड़कर जाने वाले प्याज के ढेर सडऩे के कारण बदबू तक आने लगी थी। वहीं कुछ प्याज ऊगने भी लगे थे। किसानों ने बताया कि रात दिन मेहनत करके उगाए प्याज के अच्छे दाम नहीं मिलते हैं इस कारण छोड़कर जाना ही ठीक है, क्योंकि वापस ले जाकर भाड़ा ओर भुगतना पड़ता है।
किसान को प्याज के अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं। इस कारण किसान मजबूरी में प्याज के ढेर छोड़कर जा रहा है। क्योंकि मेरा प्याज ही 500 रुपए क्ंिवटल बिका, अब इसमें 200 रुपए तो मजदूरी लग चुकी है। इस कारण 300 रुपए ही बचते हैं वह भी अन्य खर्चे जोड़ें तो कुछ नहीं बचेगा। ऐसे में एक दो रुपए किलो बिकने वाले प्याज में तो सिर्फ घाटा ही होता है। इसकारण छोड़कर जाना ही ठीक है।
-राहुल पाटीदार, किसान, सूपड़ा,
मैं 6 बोरी प्याज लेकर आया था, लेकिन कोई उसे खरीदना ही नहीं चाह रहा था, अंत में पूरे ढेर के 100 रुपए बोले, चूकि इतने कम में प्याज देने से अच्छा है फेंककर जाना, इसलिए हमने मंडी में ही प्याज का ढेर छोड़ दिया, क्योंकि ले जाने पर ओर भाड़ा लग जाता।
-बाबूलाल पाटीदार, किसान, कराडिय़ा महाराज,
प्याज के गिरे हुए दाम को लेकर किसानों में गुस्सा है। वैसे ही तो प्याज के दाम काफी कम मिल रहे हैं। ऊपर से 100-50 रुपए क्ंिवटल बिकने पर किसान आक्रोशित होकर यू हीं छोड़ जाता है। किसान को दो चार रुपए प्रति किलो के मान से तो लागत लग जाती है। इस कारण रुपए दो रुपए किलो प्याज बिकने पर कोई फायदा नहीं होता, उल्टा नुकसान झेलना पड़ता है। इसलिए किसान प्याज का ढेर ऐसा ही छोड़कर जाना ठीक समझता है।
-दिनेश पाटीदार, किसान,
मैं 170 किलोमीटर दूर उज्जैन जिले से प्याज लेकर आया हूं। जो ढेर रतलाम में पिछले दिनों 830 रुपए बेचकर आया हूं, वहीं प्याज यहां बुधवार को 793 रुपए क्ंिवटल बिका है। वहीं एक ढेर की नीलामी तो किसी ने लगाई ही नहीं, दूर से ही व्यापारी प्याज देखकर लौट गए। जबकि यही प्याज रतलाम में मैं 401 रुपए क्ंिवटल बेचकर आया हूं। लेकिन यहां कोई लेने को तैयार नहीं है। अब अगर नहीं बिका तो यहीं छोड़कर जाऊंगा।
-मंगल सिंह, किसान, संदला,
————-

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो