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निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में भी लागू होगा आरक्षण

locationनीमचPublished: Feb 04, 2019 08:57:53 pm

Submitted by:

Mahendra Upadhyay

– एससी/एसटी और सवर्णों को भी मिलेगा लाभ- केंद्र सरकार की पहल

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निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में भी लागू होगा आरक्षण

नीमच। केंद्र सरकार ने गरीब सवर्णों को निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में 10 फ ीसदी आरक्षण दिलाने के तैयारी शुरू कर दी है। केंद्र सरकार ऐसा विधेयक तैयार कर रही है, जिससे निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण का रास्ता साफ हो जाएगा। जल्द ही इस विधेयक को केंद्रीय कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजा जा सकता है। मध्यप्रदेश के गरीब सवर्णों को अब इस प्रस्ताव से कुछ आस है।

एससी/एसटी को भी मिलेगा लाभ
प्राप्त जानकारी के अनुसार मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुसार अभी निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने को लेकर कोई नियम नहीं हैं। जबकि संविधान संशोधन के बाद गरीब सवर्णों को भी 10 फ ीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है। अब इस समस्या से निपटने के लिए नया विधेयक तैयार किया जा रहा है। इस विधेयक से गरीब सवर्णों के साथ-साथ एससी/एसटी और ओबीसी के लिए भी निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का रास्ता साफ हो जाएगा।

हाल ही में पास हुआ है गरीब सवर्णों को 10 आरक्षण का विधेयक
केंद्र सरकार ने हाल ही में संविधान संशोधन के जरिए गरीब सवर्णों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 फ ीसदी आरक्षण का प्रावधान किया है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद पूरे देश में यह लागू हो चुका है। इस आरक्षण की जानकारी देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर गरीब सवर्णों को निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण देने की घोषणा की थी। तभी से बिना कानून निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण देने पर सवाल उठ रहे थे।
अच्छी पहल है
निजी उच्च शिक्षण संस्थान में गरीब सवर्णों को भी आरक्षण देने की अच्छी पहल है। आर्थिक रूप से कमजोर हर वर्ग को आरक्षण का लाभ देना चाहिए। कैबिनेट में भी सिर्फ चार प्रतिशत की लोगों ने विरोध किया था। आर्थिक रूप से आरक्षण का लाभ देना प्रशंसनीय सोच है।
– डॉ. राजेश शर्मा, निजी आयुर्विज्ञान कॉलेज संचालक
वोटो की राजनीति है
भाजपा सरकार को गरीब सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण देने की बात तब याद आ रही है, जब सवर्णों के वोट नाटो पर पड़ रहें है। कांग्रेस सरकार पीवी नरसिंगा राव के समय ही यह प्रस्ताव कैबिनेट में पेश किया था। लेकिन सहमति नहीं मिली थी। हरियाणा, राजस्थान में लागू भी कर दिया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था।अगर सुप्रीम कोर्ट इस पर स्वीकृति देता है तो अच्छी पहल है।
-अजीत कांठेड़, जिलाध्यक्ष कांग्रेस नीमच।
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