केंद्र सरकार ने हाल ही में संविधान संशोधन के जरिए गरीब सवर्णों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 फ ीसदी आरक्षण का प्रावधान किया है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद पूरे देश में यह लागू हो चुका है। इस आरक्षण की जानकारी देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर गरीब सवर्णों को निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण देने की घोषणा की थी। तभी से बिना कानून निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण देने पर सवाल उठ रहे थे।
निजी उच्च शिक्षण संस्थान में गरीब सवर्णों को भी आरक्षण देने की अच्छी पहल है। आर्थिक रूप से कमजोर हर वर्ग को आरक्षण का लाभ देना चाहिए। कैबिनेट में भी सिर्फ चार प्रतिशत की लोगों ने विरोध किया था। आर्थिक रूप से आरक्षण का लाभ देना प्रशंसनीय सोच है।
– डॉ. राजेश शर्मा, निजी आयुर्विज्ञान कॉलेज संचालक
भाजपा सरकार को गरीब सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण देने की बात तब याद आ रही है, जब सवर्णों के वोट नाटो पर पड़ रहें है। कांग्रेस सरकार पीवी नरसिंगा राव के समय ही यह प्रस्ताव कैबिनेट में पेश किया था। लेकिन सहमति नहीं मिली थी। हरियाणा, राजस्थान में लागू भी कर दिया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था।अगर सुप्रीम कोर्ट इस पर स्वीकृति देता है तो अच्छी पहल है।
-अजीत कांठेड़, जिलाध्यक्ष कांग्रेस नीमच।