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video बैँक मैनेजर से तंग आकर कलेक्टर को आवेदन देकर आत्मदाह की चेतावनी

locationनीमचPublished: Feb 06, 2019 08:40:17 pm

Submitted by:

Mahendra Upadhyay

– मामला छात्रा के एज्युकेशन लोन का- पिता ने दिया आवेदन कलेक्टर को, कहा एक माह में लोन नहीं मिला तो करूंगा आत्मदाह

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video बैँक मैनेजर से तंग आकर कलेक्टर को आवेदन देकर आत्मदाह की चेतावनी

नीमच। मध्यप्रदेश सरकार एक तरफ कहती है कि बेटी पढाओ-बेटी बचाओ और बेटियों की पढाई के लिये काफ ी सुविधा भी शासन दे रही है। उनमें से एक एज्युकेशन लोन भी दे रही है, ताकि बेटियों का भविष्य बने, परन्तु एक मामला सामने आया है कि पुत्री के एज्युकेशन लोन स्वीकार नहीं होने पर पिता ने आज जनसुनवाई में कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगा दी कि एक माह में मेरी पुत्री का लोन स्वीकार नहीं हुआ, तो आत्मदाह करूंगा।
नीमच जिले की तहसील जावद निवासी-मोहम्मद अकील की पुत्री तंजील फातमा का वर्ष 2014 में मेडिकल कॉलेज में पी.एम.टी. काउंसलिंग द्वारा एम.बी.बी.एस. इंदौर में प्रवेश हो गया व जैसे-तैसे करके प्रथम किश्त तीन लाख पैंतीस हजार रूपये जमा करा दी, ताकि बेटी का भविष्य बने व डॉक्टर बने। पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण मोहम्मद अकील ने दिनांक 22 दिसंबर2014 को भारतीय स्टेट बंक, जावद में उच्च शिक्षा ऋण स्वीकृति के लिये आवेदन दिया। स्टेट बैंक, जावद मैनेजर द्वारा लोन स्वीकृत नहीं करने पर दिनांक 31 जुलाई 2015 को उच्च शिक्षा ऋण शिविर कैम्प जिला पंचायत नीमच में मोहम्मद अकील ने आवेदन दिया। कार्यवाही के लिये भारतीय स्टेट बैंक अम्बेडकर मार्ग, नीमच को एक सप्ताह के भीतर उच्च शिक्षा ऋण प्रकरण स्वीकृत करने का पत्र लिखा गया, तब दिनांक 04 दिसंबर 2015 को ब्रांच मैनेजर जावद द्वारा लोन स्वीकृति के लिये बैंक जिला मैनेजर नीमच व मंदसौर पत्र लिखा व मोहम्मद अकील से सिक्यूरिटी के तौर पर मकान के दस्तावेज भी मांगे गये, जो मोहम्मद अकील देने को भी तैयार हो गया। फिर भी लोन स्वीकार नहीं हुआ, तो मोहम्मद अकील ने नीमच कलेक्टर के यहां जनसुनवाई में आवेदन प्रस्तुत किया कि ऋण स्वीकृत करवाया जाये। लिखित आवेदन देकर मांग की गई। दिनांक 05 अक्टूबर 2016 का मुख्य प्रबंधक स्टेट बैंक अम्बेडकर मार्ग, का लिखा पत्र मोहम्मद अकील को मिला, जिसमें लिखा कि भारतीय स्टेट बैंक जावद द्वारा आपकी उच्च शिक्षा ऋण का आवेदन संलग्न पत्र के अनुसार वापस कर दिया गया है। आवेदन वापस करने का पत्र मिलने से मोहम्मद अकील ने फिर कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री, रिजर्व बैंक, मुख्य सचिव को लोन स्वीकृति के आवेदन भेज दिया है। शिकायतों का दौर चालू होने पर आनन-फानन में दिनांक 27.07.2016 को बैंक शाखा जावद ने मोहम्मद अकील को उच्च शिक्षा ऋण गारन्टी योजना प्रावधानों के तहत सैद्धांतिक ऋण स्वीकृति पत्र प्राप्त होने के वित्त विभाग मध्यप्रदेश शासन से सम्पर्क कर लोन दिया जा सके। अब सवाल पैदा होता है कि जब दिनांक 05 जनवरी 2016 को जावद बैंक शाखा से मोहम्मद अकील का आवेदन ही वापस कर दिया, तो फिर सैद्धांतिक स्वीकृति किस आधार पर दी गई।

विगत 4 वर्ष में भी उच्चशिक्षा ऋण आवेदन का निराकरण नहीं
मोहम्मद अकील की शिकायत पर सतीश गुप्ता संयुक्त संचालक संस्थागत वित्त भोपाल ने भी दिनांक 1५ नवंबर 2018 को पत्र क्रमांक-प्राविवि/मु.मं.का/शिकायत/संविसं/2018 /3977, दिनांक 15 नवंबर 2018 मुख्य प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक, प्रधान कार्यालय, भोपाल को पत्र लिखा। जिसमें भी माना कि इस संबंध में आवेदक द्वारा तथ्यों का उल्लेख करते हुए स्थिति स्पष्ट की गई है। यह अत्यंत खेदजनक है कि विगत 4 वर्ष में भी उच्चशिक्षा ऋण आवेदन का निराकरण नहीं हो सका है। यह स्थिति चिंतनीय है। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि बैंक द्वारा दी गई सैद्धांतिक स्वीकृति के आधार पर राज्य शासन द्वारा दिनांक 22 मई 2017 को रूपये 13 लाख की शासकीय प्रत्याभूति प्रदान की गई थी। अत: बैंक द्वारा शासकीय प्रत्याभूति होने के उपरांत भी ऋण स्वीकृत नहीं करते हुए निर्गमित नहीं करना आपत्तिजनक है। यदि बैंक द्वारा सैद्धांतिक स्वीकृति नहीं दी जाती तो राज्य शासन द्वारा प्रत्याभूति भी स्वीकृत नहीं की जाती। ऐसा आभास होता है कि बेंक शाखा द्वारा जानबूझकर प्रकरण को विलंबित किया जा रहा है। ऐसे शाखा प्रबध्ंाक के विरूद्ध बैंक द्वारा कठोर दण्डात्मक कार्यवाही की जाना चाहिये, परन्तु न तो कठोर कार्यवाही की गई और न ही लोन स्वीकृत किया गया है।

बैंक मेनेजर द्वारा दो लाख रूपये मांगे
मोहम्मद अकील ने जावद बैंक मैनेजर पर भी लिखित रूप में गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि बैंक मेनेजर द्वारा दो लाख रूपये मांगे गये थे, रूपये देने से मना किया कि मैं पहले ही गरीब हूं व लोन लेकर पुत्री को डॉक्टर बनाना चाहता हूं। रूपये नहीं देने से मेरा लोन स्वीकार नहीं किया। मोहम्मद अकील ने बताया कि इतनी कार्यवाही होने के बाद भी मेरी पुत्री के लिये उच्च शिक्षा ऋण स्वीकार नहीं हुआ है, जिससे मैं कर्ज में डूब गया हूं। छ: लाख जमा करा चुका हूं व तेरह लाख और जमा करना है। इतने रूपये कहां से लाउं। शासन की योजना का फ ायदा नहीं मिला। मैं आर्थिक व मानसिक प्रताडना से पीडित हो गया हूं। इसलिये मैंने कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगाई कि अगर एक माह में मेरा उच्च शिक्षा ऋण स्वीकार नहीं हुआ, तो मैं आत्महत्या कर लूंगा, जिसकी जवाबदारी ब्रांच बैंक, जावद-नीमच-भोपाल की होगी।
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