जिला—————–नुकसानी आवेदन संख्या
नीमच——————-५५१
मंदसौर——————३५१०
रतलाम—————–२११ प्रति 10 आरी की खेती में 70 से 8 0 हजार तक का खर्चा आता
किसान 10 आरी में बोवनी, सिंचाई, दवाए मजदूरी, अफ ीम लेकर विभाग तक पहुंचाने की प्रक्रिया में करीब 70 से 8 0 हजार रुपए खर्च करता है। खेती मौसम पर ही निर्भर रहती आई है। 10 आरी के खेत में से औसत साढ़े 6 किलो से 7 किलो तक अफीम निकलती है। मौसम पूरी तरह से अनुकूल रहता है तो उत्पादन अच्छा होता है। मौसम से फ सल प्रभावित होती है तो उत्पादन पर भी असर पड़ता है।
नीमच जिले को नारकोटिक्स ने तीन डिवीजन में बांट रखा है। जिसमें नीमच फस्र्ट डिवीजन में नीमच और जावद का क्षेत्र आता है। जिसमें 178 गांव और 3 हजार 572 काश्तकार है। नीमच सैंकड डिवीजन में रामपुरा, सिंगोली और जीरन क्षेत्र आते है। जिसमें 198 गांव में ४ हजार 511 काश्तकार है। नीमच थर्ड डिवीजन में मनासा क्षेत्र आता है। जिसमें 130 गांव और 3 हजार 502 किसान है।
विभाग ने बारिश व ओलावृष्टि में फसल नुकसानी के चलते किसानों के आवेदन लेने की अंतिम तिथि ५ मार्च रखी गई थी। जिसमें सबसे अधिक मंदसौर जिले से 3510 आवेदन, नीमच से 551 और रतलाम से 211 आवेदन प्राप्त हुए हैं। जिसके बाद नुकसानी का टीम आंकलन करेगी और जरूरत पड़ी तो पूरी फसल भी निगरानी में उखड़वाई जाएगी। अभी जिनकों अर्जेंट जांच करवानी है, उनकी ही जांच शुरू कर दी गई है। जिनकी फसल उखड़वाई जाएगी, उनका पट्टा नहीं काटा जाएगा और नही उन्हें अफीम जमा करानी होगी।
– प्रमोद सिंह, डीएनसी नारकोटिक्स विभाग नीमच।