नीमचPublished: Mar 29, 2019 08:14:19 pm
Mahendra Upadhyay
3 बीघा में हुआ 36 क्विंटल गेहूं का उत्पादनकाला गेहूं 3500 रुपए क्विंटल के भाव बिका
जिले में पहली बार किसान ने की काले गेहूं की बोवनी
नीमच. जिले में पहली बार काले गेहूं की खेती की गई। प्रयोग पूरी तरह सफल भी रहा। स्थिति यह बनी की फसल कटने से पहली की उसके खरीदार मैदान में आ गए थे। नीमच तहसील के ग्राम कानाखेड़ा के किसान ने पहली ही बार में काले गेहूं की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाया।
गेहूं कटने से पहले ही आ गए थे खरीदार
गांव कानाखेड़ा के किसान गोविंद नागदा के खेत पर इस वर्ष पहली बार ज्ञानोदय ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूट नीमच के सीड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डा.आरके मेनारिया के मार्गदर्शन में काले गेहूं की खेती की थी। मेनारिया ने बताया कि सुनील पिता गोविंद नागदा निवासी कानाखेड़ा ज्ञानोदय कॉलेज में सीड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में बीएससी द्वितीय वर्ष के छात्र हैं। उन्हें काले गेहूं की खेती के लिए प्रेरित किया। सुनील ने पिता से इस बारे में चर्चा की तो वे सहमत हो गए। मेनारिया ने बताया कि ३ बीघा खेत में काले गेहूं की खेती करना एक रिस्क था। कहीं उत्पादन नहीं हुआ तो नुकसान की आशंका थी। मैंने मोहाली (पंजाब) स्थित एनएबीआई एनेशनल एग्री फूड एंड बायो टेक्नोलॉजी से काले गेहूं के बीज मंगवाए थे। गोविंद नागदा ने जो तरीका बताया गया था उस अनुसार कड़ी मेहनत कर ३ बीघा में काले गेहूं की बोवनी की थी। इसके अच्छे नतीजे भी आए। ३ बीघा में 36 क्विंटल काले गेहूं का उत्पादन हुआ। चौकाने वाली बात यह है कि गेहूं कटने से पहले ही उसके खरीदार आ गए थे।
कई बीमारियों में कारगर होता है काला गेहूं
मेनारिया ने बताया कि काले गेहूं देखने में काले तथा बैंगनी होते हैं। इनके लगभग सभी गुण साधारण गेहूं की तरह ही होते हैं, लेकिन रंग एंथोसायनिन पिगमेंट की मात्रा ज्यादा होने के कारण काले होते हैं। साधारण गेहूं में एंथोसायनिन की मात्रा 5 से 15 पीपीएम (पास पर मिलियन) होती है जबकि काले गेहूं में एंथोसायनिन की मात्रा 40 से 140 पीपीएम होती है। एंथ्रोसैनिन एक नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट तथा एंटीबायोटिक है जो दिल की बीमारियों जैसे हार्ट अटैक, कैंसर, शुगर, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया, अनिद्रा इत्यादि रोगों में काफी कारगर साबित होता है। काले गेहूं के रंग एवं स्वाद सामान्य गेहूं से थोड़ा ही अलग होता है, लेकिन स्वास्थ्य के हिसाब से ये बेहद पोष्टिक होता है। मेनारिया ने बताया कि काले गेहू का समर्थन मूल्य लगभग 3500 रुपए क्विंटल है, लेकिन मध्य प्रदेश में इसका सफल उत्पादन होने के कारण इसका मूल्य 8 0-100 रुपए किलो ग्राम के हिसाब से बिक रहा है। काले गेहंू की यह एक रोग प्रतिरोधी तथा किट प्रतिरोधी प्रजाति है। यह फसल किसानों के लिए वरदान साबित हुई है।
जैविक तरीके से ही है खेती
पहली बार तीन बीघा में काला गेहूं बोया था। प्रयोग सफल रहा। मैंने किसी भी तरह के रसायन का प्रयोग नहीं किया। पूर्ण रूप से जैविक तरीके से खेती की। जैविक तरीके से खेती करने की वजह से ही उत्पादन अच्छा हुआ है। इससे पहले मैं स्ट्राबेरी की भी खेती कर चुका हूं। उसमें भी अच्छा उत्पादन हुआ था। मुझे बताया गया कि नीमच जिले में पहली बार काले गेहूूं की खेती की गई है।
– गोविंद नागदा, किसान ग्राम कानाखेड़ा