दरअसल, अभी तक जेल विभाग में वॉकी-टॉकी नहीं थे और प्रहरी व पुलिसकर्मियों को मोबाइल की अंदर अनुमति नहीं है। जेल कर्मियों को जेल की सूचना पहुंचाने में वक्त बीत जाता था। लिहाजा जेल विभाग ने इस दूरी को मिटाने के लिए वॉकी-टॉकी का प्रस्ताव शासन को भेजा था। प्रदेश की मुख्य जेलों में हजारों की संख्या में बंदी है। इनकी सुरक्षा के लिए हर सेंट्रल जेल पर सैकड़ों की संख्या में कर्मचारी और अधिकारी तैनात रहते हैं। चूंकि ड्यूटी के दौरान जेल के जवानों को मोबाइल जेल केअंदर ले जाने को पाबंदी है। ऐसे में घअना-दुर्घटना की सूचना अफसर तक पहुंचाने में देरी हो जाती थी। ऐसे में विभाग वॉकी-टॉकी उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।
जेल के अंदर संवेदनशील रास्तों पर तैनात होने वाले जेलकर्मियों को वॉकी-टॉकी सेट दिया जाएगा। यह जेल के मेन गेट से लेकर बैरक तक की हर सूचना अधिकारियों तक पहुंचाएंगे। यही नहीं इनके लिए जेल के अंदर सीसीटीवी कंट्रोल रूम के पास एक वॉकी-टॉकी का कंट्रोल रूम भी बनाया गया है। जेल के स्टेटिक वॉकी-टॉकी का सैटअप लगाया जाएगा, यहां से इन वॉकी-टॉकी को कंट्रोल किया जाएगा। जेल में कैदी की मौत या आकस्मिक घटना होने पर इसके अलावा जेल में जांच के दौरान अगर किसी कैदी से नशा बरामद होता है तो वॉकी-टॉकी के जरिए अधिकारियों को सूचित कर मामला दर्ज करवाया जा सकता है।
नीमच जेल में करीब ४९६ कैदी है और सभी खूंखार है, क्योकि अधिकांश कैदी मादक पदार्थ तस्करी के हैं। मुख्यालय से वॉकी-टॉकी के लिए संख्या मांगी गई थी। करीब ११ वॉकी-टॉकी जरूरत बताई गई। पूर्व के करीब पांच वॉकी-टॉकी है। अब बैरक में भी प्रहरी को उपलब्ध कराया जाएगा। जिससे बदमाशों की हरकत का पता चल सकेगा। तैनात प्रहरी जेल के मेनगेट से लेकर बैरक तक की हर सूचना अधिकारियों तक पहुंचाएंगे। वर्तमान में जेल में ३४ का स्टॉफ हैं।
– आरके वसुनिया, जेल अधीक्षक नीमच।