नीमच

जिले की मिट्टी में नाइट्रोजन, सल्फर, बोरान और जिंक की कमी

-मिट्टी परीक्षण के लिए उपयुक्त है यह समय -किसान नहीं ले रहे मिट्टी को उपजाऊ बनाने में रूचि

नीमचApr 11, 2019 / 11:31 am

Mahendra Upadhyay

जिले की मिट्टी में नाइट्रोजन, सल्फर, बोरान और जिंक की कमी

नीमच. उपजाऊ मिट्टी के लिए जरूरी है मिट्टी में सभी आवश्यक पोषक तत्व हो। लेकिन आश्चर्य की बात है कि जिले की मिट्टी में किसी पोषक तत्व की कमी है, तो किसी की अधिकता तो कोई पर्याप्त मात्रा है। ऐसे में मिट्टी से उतना उत्पादन प्राप्त नहीं हो पाता है, जितना होना चाहिए। जिसका मुख्य कारण किसानों का भी मिट्टी परीक्षण करवाने में रूचि नहीं लेना है।
बतादें की जिले की मिट्टी में नाइट्रोजन, सल्फर, बोरान, ङ्क्षजक की कमी है। वहीं कॉपर, मैग्निज, आयरन की पर्याप्त मात्रा है, और फासफोरस, पोटास व पॉवर ऑफ हाईड्रोजन (पीएच) की अधिकता है। इसी प्रकारर विद्युत चालक और जैविक कार्बन मध्यम मात्रा में पाया जाता है। यह आंकड़ा गत वर्षों में हुए मिट्टी परीक्षण के आधार पर नजर आ रहा है। चूकि अधिकतर किसान मिट्टी परीक्षण नहीं करवाते हुए मनमाने ढंग से खाद् एवं उर्वरकों का अंधाधुंध उपयोग कर रहे हैं। जिससे काफी पैसा खर्च करने के बाद भी किसान को पर्याप्त लाभ नहीं मिल रहा है।
यह समय है मिट्टी परीक्षण के लिए पर्याप्त
वर्तमान में रबी सीजन की अधिकतर फसल कट चुकी है, कुछ बाकी भी है तो दो चार दिन में कट जाएगी। चूकि अब किसान के पास बारिश होने तक पर्याप्त समय है। इस कारण इस समय किसान को चाहिए कि वह अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण करवाएं। ताकि रिपोर्ट आने पर मिट्टी में जिन पोषक तत्वों की कमी है, उनकी पूर्ति कर मिट्टी को उपजाऊ बनाया जा सके।
यहां होती है मिट्टी की नि:शुल्क जांच
कृषि उपज मंडी नीमच में वर्ष २००५ से मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला है। यूं तो यहां पर हर दिन संैकड़ों की संख्या में किसान आते हैं। लेकिन मिट्टी परीक्षण कराने के लिए मात्र चंद किसान ही पहुंचते हैं। जबकि यहां मिट्टी की जांच नि:शुल्क होती है। ऐसे में जानकारी के अभाव में किसान मनमाने ढंग से खाद् और उर्वरकों का उपयोग करते हैं। जिससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी प्रभावित हो रही है। मिट्टी प्रयोग शाला में करीब ७ से ८ आधुनिक मशीनों के माध्यम से मिट्टी में १२ पोषक तत्वों का परीक्षण किया जाता है। परीक्षण के बाद मिट्टी में जिस पोषक तत्व की मात्रा कम पाई जाती है। उसे लेवल पर लाने के लिए किस खाद्य और उर्वरकों का उपयोग किया जाना है। इस बारे में किसान को मौके पर ही बता दिया जाता है। ताकि वह उन तत्वों का उपयोग कर मिट्टी को उपजाऊ बनाएं।
कृषि विभाग से आ रहे नमूनें, किसानों की नहीं रूचि
कृषि विभाग को हर साल मिट्टी परीक्षण करवाना होता है। इस कारण विभाग द्वारा तो पर्याप्त मात्रा में नमूनें एकत्रित कर परीक्षण करवाए जाते हैं। लेकिन किसानों की स्वयं की रूचि नहीं होने के कारण चंद किसान ही मिट्टी परीक्षण करवाने पहुंच रहे हैं। चूकि विभाग के माध्यम से होने वाली जांच में रिपोर्ट मिलने में किसान को समय लग सकता है। लेकिन अगर किसान स्वयं मिट्टी का नमूना लेकर परीक्षण करवाए तो उसे अधिकतम सात दिन में ही रिपोर्ट मिल जाएगी।
पांच साल में हुए मिट्टी परीक्षण पर एक नजर
वर्ष विभागीय के नमूनें स्वयं किसान पहुंचे
२०१४-१५ २८३१ ५००
२०१५-१६ ५८९४ ६५०
२०१६-१७ २६४९० ७५०
२०१७-१८ १०८०० ८००
२०१८-१९ १४१५१ ४००

वर्जन.
रबी फसलों की कटाई के बाद का समय मिट्टी परीक्षण के लिए पर्याप्त रहता है। किसान को चाहिए कि इस समय मिट्टी का परीक्षण करवाएं, ताकि उनके खेत की मिट्टी में जिस पोषक तत्व की कमी है, उसे पर्याप्त खाद् उर्वरक के माध्यम से पूरा किया जा सके, ताकि आने वाले सीजन की फसलों में बेहतर उत्पादन प्राप्त हो।
-सत्यभान कुशवाह, प्रभारी, मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला
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