लैंगिक उत्पीडऩ से बच्चों के संरक्षण अधिनियम 2012 (पोक्सो एक्ट) लागू होने के बाद अजमेर जिले में नाबालिग लड़कियों के साथ होने वाले अत्याचार में बढ़ोतरी हुई है। जहां साल 2012 में जिले में एक मुकदमा दर्ज हुआ। वहीं 2013 में यह बढकऱ ५4 पहुंच गए। इसी तरह साल-दर-साल इन प्रकरणों में बढ़ोतरी हो रही है। वर्ष 2017 में नाबालिग के अपहरणए छेड़छाड़ व बलात्कार के ४५ मामले सामने आए। इसी तरह 2018 में ३१ मासूम शिकार हुई। 2019 के शुरूआती 3 माह में यह आंकड़ा १५ तक पहुंच चुका है।
जानकारों के मुताबिक वर्तमान में आमजन को इंटरनेट व अन्य माध्यम पर इतना सब कुछ पॉर्न साइट्स पर आसानी से उपलब्ध है। इससे अनवॉन्टेड एक्साइटमेंट होना स्वभाविक है। समाज में बड़ी संया में ऐसे लोग मौजूद है जो इस तरह की साइट नियमित देखते हैं जो कभी न कभी अपने आसपास ही अपराध कारित करते हैं। ऐसे लोग हमेशा अपने आसपास अबोध बच्चों को शिकार बनाते हैं।
2016——- 28———-56
2017——–31———-45
2018——–23———-31 समाज का बदलते परिवेश और संस्कार की कमी के कारण ऐसे अपराध पनपते हैं। पुलिस ऐसे अपराध को होने से नहीं रोक सकती है। आसपास रहने वाले ही ऐसे अपराध कारित करते है। मासूमों के साथ होने वाला अपराध समाज को हिला देने वाला होता है। पुलिस मासूम के साथ होने वाले अपराध में आरोपी को जल्द से जल्द गिरतार कर सलाखों के पीछे पहुंचाती है। ताकि अपराधी को मिलने वाली सजा समाज के नजीर बन सके।
– राकेश कुमार सगर, एसपी नीमच।