नीमचPublished: Jun 14, 2019 06:52:56 pm
Mahendra Upadhyay
-एक कॉल पर दौड़े आते हैं नेगेटिव ब्लड रक्तदाता -जिला चिकित्सालय में रहती हर माह ५०० यूनिट रक्त की खपत-रक्तदाता दिवस विशेष
अंजान व्यक्ति से मिली प्रेरणा तो आज तक कर रहे रक्तदान
नीमच. २० साल पहले मैं अपनी बहन को उपचार के लिए ऑटो रिक्शा से जिला चिकित्सालय ले जा रहा था। चूकि बहन को करीब ३-४ यूनिट रक्त की जरूरत थी, इसलिए हम ऑटो में बैठकर चर्चा करते हुए जा रहे थे कि कैसे इतने रक्त की व्यवस्था करेंगे। हमारी यह बात ऑटो चालक भी सुन रहे थे। जो हमें जिला चिकित्सालय की ओर ले जा रहे थे। उन्होंने हमसे कहा आप चिंता मत करो मैं अपना रक्त दूंगा। चूकि वे हमारे लिए अंजान थे उसके बावजूद उन्होंने मेरी बहन को रक्त दिया। उस वक्त मेरी आंखों से आंसू छलक उठे और मैंने तभी से मन बना लिया कि जब तक जिंदा हूं तब तक रक्तदान करता रहूंगा।
यह वाक्या समीपस्थ गांव महुडिय़ा के निवासी नरेंद्र कुमार मालवीय के साथ हुआ। उन्होंने बताया कि जब मैं अपनी बहन को लेकर जा रहा था, तब काफी चिंता में था कैसे रक्त की व्यवस्था करूंगा, लेकिन जब ऑटो चालक श्याम कौशल ने खुद आगे होकर रक्तदान किया तो मेरी सारी टेंशन दूर हो गई। उस समय ऐसा लग रहा था जैसे स्वयं भगवान ने आकर मदद की हो। बस तभी से हरदम तीन चार माह होते ही रक्तदान करता हूं। वर्ष १९९९ से लगातार रक्तदान करता आ रहा हूं। मेरा ब्लड ग्रुप ए पॉजीटिव है। मैं स्वयं रक्तदान करने के साथ ही लोगों को भी रक्तदान करने के लिए प्रेरित करता हूं। क्योंकि अपने द्वारा किया गया रक्तदान किसी व्यक्ति की जिंदगी बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
५०० यूनिट प्रतिमाह होता है रक्तदान से ब्लड प्राप्त
जिला चिकित्सालय में रेडक्रास द्वारा संचालित रेडक्रॉस ब्लड बैंक हैं। जहां प्रतिमाह औसत करीब ५०० से ६०० यूनिट रक्तदान के रूप में प्राप्त होता है। वहीं इतने की यूनिट रक्त की खपत भी हो जाती है। रक्तदान के रूप में बी, ओ, ए व एबी ब्लड ग्रुप का रक्त अधिक मात्रा में रक्तदान के रूप में आता है। वहीं नेगेटिव ब्लड की शार्टेज रहती है। वर्तमान में ब्लड बैंक में रक्त लेने के लिए आने वाले अधिकतर मरीजों के परिजनों से बदले में रक्त लेना पड़ता है। क्योंकि अगर नहीं ले तो रक्त की पूर्ति करना असंभव होगा, क्योंकि कई मरीजों व थैलेसिमिया आदि के मरीजों को बिना रक्त लिए रक्त देना पड़ता है।
एक कॉल पर दौड़े आते हंै रक्तदाता
कई बार ऐसी समस्या आ जाती है। जब किसी ग्रुप का ब्लड नहीं होता है ओर मरीज को वह ब्लड चढ़ाना अत्यंत जरूरी होता है। ऐेसी आपातकालीन स्थिति के लिए ब्लड बैंक द्वारा करीब २०० से अधिक लोगों की सूची बना रखी है। जिसमें सभी प्रकार के ब्लड ग्रुप वाले रक्तदाता हंै। जिन्हें ब्लड बैंक से जरूरत पडऩे पर वे एक कॉल करने पर दौड़े आते हैं ओर रक्तदान करते हंै। इस कारण जिला मुयालय पर रक्त के कारण किसी को कभी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है।
नीमच से बाहर तक पहुंचता है रक्त
कई बार ऐसी समस्या आ जाती है कि मरीज आसपास के जिलों में होता है ओर वहां नेगेटिव रक्त नहीं मिल पाता है। ऐसे में ब्लड बैंक से चित्तोडग़ढ़, छोटी सादड़ी, निंबाहेड़ा आदि स्थानों पर तुरंत रक्त भेजा जाता है। कई बार तो ऐसी स्थिति बन जाती है जब यहां से रक्तदाता भी स्वयं मौके पर पहुंचकर रक्तदान करते हैं। ताकि उनके किए रक्तदान से किसी का जीवन बच सके।
मैंने किया ९३ बार किया है रक्तदान
मेरा ब्लड ग्रुप ए नेगेटिव है, मैं पिछले ३० सालों से रक्तदान कर रहा हूं। मैंने अभी तक करीब ९३ बार रक्तदान किया है। रक्तदान करने ने मुझे काफी अच्छा लगता है मेरी काया भी निरोगी है। लोगों को स्वयं आगे आकर रक्तदान करना चाहिए। हम अगर समाजसेवा के लिए अन्य कुछ नहीं भी कर पाएं तो चलता है। लेकिन अगर हम रक्तदान करते हैं। तो वह सबसे बड़ा दान होगा, क्योंकि उससे निश्चित ही किसी का जीवन बचता है।
-परसराम पटेल बानिये, रक्तदाता, फोटो एनएम १४१३
रक्तदान के प्रति अभी ओर जागरूकता जरूरी
वैसे तो लोगों में रक्तदान के प्रति जागरूकता आई है। लेकिन अभी ओर भी जागरूकता की जरूरत है। हमारा सपना है कि लोगों में इतनी जागरूकता आए कि वे स्वयं रक्तदान करने पहुंचे और जब कोई रक्त लेने आए तो हमें बदले में ब्लड नहीं मांगना पड़े, हम उसे तुरंत यह कहकर रक्त दें दे कि आप को जब लगे तब आकर रक्तदान कर देना।
-सत्येंद्रसिंह राठौड़, टेक्निकल इंचार्ज, रेडक्रास ब्लड बैंक
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