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-कृषि विज्ञान केंद्र का अमला पहुंचा ग्रामीण क्षेत्रों में

locationनीमचPublished: Sep 20, 2018 11:49:55 am

Submitted by:

harinath dwivedi

दो माह में कचरे से खाद् बनाने के सीखाएं वैज्ञानिकों ने गुरकृषि वैज्ञानिकों ने बताया रोड़ी पर पड़े कचरे को ऐसे बनाएं खाद्

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-कृषि विज्ञान केंद्र का अमला पहुंचा ग्रामीण क्षेत्रों में

नीमच. जिस कचरे से खाद बनाने के लिए ग्रामीणों को सालभर लग जाता है। उसे आसान तरीके से मात्र दो माह में खाद् तैयार करने के तरीके कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बुधवार को ग्राम मालखेड़ा में बताए गए। इसी के साथ ही अन्य गांवों में भी यह तरीका बताया जाएगा। ताकि कम समय में अन्नदाता खाद् तैयार कर उत्कृष्ट उत्पादन तो प्राप्त करे ही सही, साथ ही गांव में होने वाले कचरे से भी शीघ्र मुक्ति मिले।
कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा स्वच्छता ही सेवा पखवाड़े के अंतर्गत बुधवार को समीपस्थ ग्राम मालखेड़ा में पहुंचकर किसानों को कम समय में विभिन्न गुणवत्ता युक्त खाद् तैयार करने का तरीका बताया गया। इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिक डॉ सीपी पचोरी, डॉ जेपी सिंह, डॉ एसएस सारंग देवोत सहित राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के उद्यानिकी महाविद्यालय मंदसौर की करीब 17 छात्राएं व काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।
जानकारी देते हुए कृषि वैज्ञानिक डॉ श्यामसिंह सारंग देवोत ने बताया कि ग्रामीणों को वेस्ट डिकमपोजर के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों को 200 लीटर पानी के साथ 2 किलो गुड़ व करीब 50 ग्राम वेस्ट डिकमपोजर तीनों को मिलाकर एक ड्रम में मिलाया जाना है। जिससे मात्र दस दिनों में पूरा ड्रम वेस्ट डिकमपोजर बन जाता है। इस डिकमपोजर को फसल के अवशेष, खरपतवार के अवशेष, गोबर सहित गांव में अन्य किसी भी प्रकार के कृषि अवशेषों के ढेर पर डाल दिया जाए। जिससे खाद् मात्र दो माह में तैयार हो जाएगा। जबकि इस प्रकार का खाद् एक साल से कम में तैयार नहीं होता है। जिसे सिंचाई के पानी के साथ भी मिलाकर खेतों में दिया जा सकता है। जिससे मिट्टी के सूक्ष्म जीवों की क्रियाशीलात बढ़ जाती है। जो सभी प्रकार की फसलों के उत्पादन को काफी हद तक बढ़ा देती है। इसी के साथ इस खाद् का छिड़काव करने से फफूंद आदि कीट व्याधियों की रोकथाम भी की जा सकती है। डॉ देवोत ने बताया कि मालखेड़ा, आमलीखेड़ा में ग्रामीणों को उक्त प्रशिक्षण दे दिया है। अब हनुमंतिया पंवार, उमाहेड़ा, जवासा, भादवामाता, आदि गांवों में पहुंचकर किसानों को वेस्ट डिकमपोजर के माध्यम से खाद् तैयार करने के तरीके सीखाए जाएंगे।
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