नीमचPublished: Jun 08, 2018 01:03:22 pm
harinath dwivedi
हड़ताल के चलते बदहाल हुए जंगल के हालातपानी की कमी के चलते हुई जानवारों की मौतवन कर्मचारियों की हड़ताल हुई समाप्त, कार्य पर लौटे
कर्मचारियों के स्वार्थ का खामियाजा भुगता बेजुबान जानवरों ने
नीमच. वन कर्मचारी संघ के बैनर तले हुई १२ दिनों की हड़ताल से जंगल के हालात बद से बदतर हो गए हैं। भीषण गर्मी में जहां प्राकृतिक जल स्त्रोत लगभग सूख गए वहीं पानी की व्यवस्था नहीं होने जानवरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। जानवरों की बड़े स्तर पर मौत होने सूचना भी है। हरे पेड़ काटने की घटनाएं तो इस दौरान आम हो चली थी।
पानी को लेकर बने सबसे बदतर हालात
हड़ताल के चलते पीने के नाम को लेकर जानवरों को सबसे विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। गुरुवार को हड़ताल समाप्त होने पर वन कर्मचारी और अधिकारी कार्य पर लौट आए। २४ मई से ६ जून तक चली हड़ताल में वनक्षेत्र के हालात काफी बदतर हो गए। सबसे बुरी स्थिति पीने के पानी को लेकर निर्मित हुई। प्राकृतिक जलस्त्रोत पूरी तरह सूख जाने की वजह से जानवरों को पीने के पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ा। भीषण गर्मी में जंगली जानवरों को पीने का पानी मिल सके इसके लिए वनक्षेत्र में विभाग की ओर से बड़े स्तर पर ‘खेरÓ बनाई गई हैं। हड़ताल के चलते इनमें टैंकरों से पानी नहीं डाला गया। इसके चलते जानवरों को परेशानी हुई। हड़ताल से लौटे कर्मचारियों की माने तो बड़े स्तर पर पानी की कमी से जंगली जानवरों की मौत हुई होगी। इसके आंकड़े तब सामने आएंगे जब एक एक वनक्षेत्र का सर्वे किया जाएगा।
बड़े स्तर पर जंगल क्षेत्र में हुई चराई
हड़ताल के दौरान जंगल क्षेत्र में संरक्षित चरनोई भी जमीन पर मवेशी पालकों ने अपने जानवर छोड़े हैं। करीब एक पखवाड़े चली हड़ताल के दौरान बड़े क्षेत्र में पालकों ने अवैधानिक रूप से प्रवेश किया है। वनरक्षक आशिष प्लास ने बताया कि हड़ताल के दौरान कनेराघाट क्षेत्र में आगजनी की घटना भी हुई थी। हड़ताल की वजह से कोई वनकर्मी आग बुझाने नहीं पहुंचा। ग्रामीणों ने ही आग पर काबू पाया। आग की वजह से कितने बड़े क्षेत्र में नुकसान हुआ इसका आंकलन अब किया जाएगा। इसी प्रकार वन क्षेत्र में अवैधानिक रूप से हरे पड़ों की भी बड़े पैमाने पर कटाई हुई है। इसका रिकार्ड भी अब धीरे धीरे सामने आएगा।
ग्रेड पे में बढ़े ३०० रुपए
वन कर्मचारी संघ की हड़ताल ७ जून से हड़ताल समाप्त हो गई। हड़ताल समाप्त होने पर वनकर्मियों को क्या लाभ हुआ यह तो पता नहीं चला लेकिन वनपाल और उपवन क्षेत्रपाल की ग्रेड पे में ३०० रुपए की वृद्धि अवश्य हुई है। अन्य मांगों को लेकर शासन स्तर पर फिलहाल आश्वासन मिला है।
अब सुधरेंगे हालात
२४ मई से चली आ रही वनकर्मियों और अधिकारियों की हड़ताल गुरुवार को समाप्त हो गई। हड़ताल के दौरान वन क्षेत्र में बड़े स्तर पर अवैधानिक रूप से हरे पेड़ों की कटाई हुई। यहां तक कि आग लगने तक की घटना हुई। भीषण गर्मी की वजह से जंगल में प्राकृतिक जलस्त्रोतों का पानी सूखने से जानवारों को काफी परेशानी हुई। अब हालात सुधरेंगे। जंगल में जानवरों के मरने की जो बात सामने आई है वो मंदसौर जिले के वनक्षेत्र के गांधीसागर अभ्यारण में हुई है।
– पन्नालाल रायकुंवर, रेंजर मनासा
अधिक नुकसान नहीं हुआ
वनरक्षक और अधिकारियों की लम्बी चली हड़ताल से नीमच जिले के वन क्षेत्र में विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है। यहां का जंगल इतना विस्तारित नहीं है कि बड़े स्तर पर नुकसान हो। लकड़ी काटने की घटनाएं हुई भी होंगी तो बड़े स्तर पर नहीं हुई होंगी। जानवरों को भी अधिक नुकसान नहीं पहुंचा है। जहां तक तेंदुपत्ता संग्राहकों के भुगतान का मामला है अब जल्द ही भुगतान हो जाएगा। राशि संग्राहकों के खाते में सीधे जाएगी।
– बीपी शर्मा, एसडीओएफ मनासा