नीमचPublished: Jul 05, 2018 12:44:51 pm
harinath dwivedi
हाउसिंग बोर्ड की करोड़ों की जमीनें पड़ी बेकार-नीमच जिले में भवनों और भूखंडों के बारे में नहीं हो पा रहे निर्णय
-प्रधानमंत्री आवास योजनाओं के बन सकते हैं कई प्रोजेक्ट
नीमच. एक तरफ सरकार को गरीबों के लिए आवासीय योजनाओं को अमली जामा पहनाने के लिए जमीन नहीं मिल रही है, दूसरी तरफ मप्र गृह निर्माण एवं अधोसंरचना मंडल की करोड़ों की जमीनें बेकार पड़ी है।जिनमें आवासीय और व्यावसायिक दोनो प्रकार की जमीनें शामिल हैं।
नीमच में भूमाफियाओं की नजर बेशकीमती जमीनों पर-
मप्र गृह निर्माण एवं अधोसंरचना मंडल यानि हाउसिंग बोर्ड की कई जमीनें लालफीताशाही की शिकार हो रही है। बरसों पहले कागजी खानापूर्ति के बाद बोर्ड के खाते में चढ़ी इन जमीनों की कीमतें इतनी बढ़ चुकी हैं कि अब कोई खरीददार ही नहीं मिल रहा है। यही नहीं बने बनाए पक्के मकान भी धूल खा रहे हैं। नीमच में हाउसिंग बोर्ड द्वारा विकसित की गई कॉलोनी में 12 आवासीय मकान चार बार नीलामी विज्ञप्तियां निकालने के बाद भी खरीददार नहीं आए हैं। इसका बड़ा कारण यह है कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी यानि निम्रआय वर्ग के लिए 37 मकान बनाए गए थे लेकिन रजिस्ट्रेशन के समय इनकी कीमत केवल 3 लाख 85 हजार थी जो बढ़ती हुई 13 लाख रुपए तक पहुंच गई। दो बार बोर्ड को दरें संशोधित कर घटानी पड़ी फिर भी 12 मकान 5 साल बाद भी जस के तस धूल खा रहे हैं। इसी तरह हाउसिंग बोर्ड के व्यावसायिक भूखंड भी कई जगह पड़े हैं, कुछ स्थानों पर बगीचों के लिए जगह आरक्षित हैं इन पर भूमाफियाओं की नजरें टिकी हैं। कुछ स्थानों पर गाडिय़ां खड़ी होने लगी हैं तो कुछ स्थानों पर अस्थायी अतिक्रमण भी हो रहे हैं।
कहां, कितनी भूमि बनती जा रही अनुपयोगी-
हाउसिंग बोर्ड की जावद में 3.91 हैक्टेयर भूमि पिछले 6 वर्षों से बेकार पड़ी है। बोर्ड ने इसका बाकायदा ले आउट तैयार कर डायवर्सन करवाया। प्रशासन को राशि देकर जमीन आवंटित कराई।विकसित भूखंड यहां पर उपभोक्ताओं को दिए जाने थे लेकिन स्कीम फैल हो गई। अब तक इसका कोई उद्दार नहीं हो सका है। जानकारी मिली है कि हाउसिंग बोर्ड अब इस जमीन का रिव्यू करने की योजना बना रहा है। इंदिरा नगर नीमच में एक निजी स्कूल के समीप बेशकीमती दो भूखंड हैं जिनमें एक व्यावसायिक और एक आवासीय है। इसका भी निराकरण अब तक नहीं हो सका है। इंदिरा नगर के समीप ही बरूखेड़ा रोड़ से लगी हुई बोर्ड की २ बीघा जमीन है। इसका प्रोजेक्ट आज तक तैयार नहीं हो सका है। दूसरी तरफ हाउसिंग बोर्ड द्वारा विकसित पूरे इंदिरा नगर, इंदिरा नगर विस्तार, न्यू इंदिरा नगर और उसके विस्तार क्षेत्र में कई मकानों के कोने बिना बिके ही खाली हैं। इनका भी कोई निकाल बोर्ड के अधिकारियों ने नहीं किया है जबकि इन जमीनों से करोड़ों की आमदनी सरकार को मिल सकती है। एक और बड़ी भूमि हवाई पट्टी के नजदीक झांझरवाड़ा रोड़ पर पड़त पड़ी है। हाउसिंग बोर्ड को अटल आश्रय योजना के लिए ३ हैक्टेयर भूमि का आवंटन वर्ष 2013-14 में हुआ था। यहां पर आज तक एक मकान भी नहीं बना है। अब फिर से इसका उपयोग परिवर्तन होने जा रहा है। इसके अलावा मंदसौर जिले में भी 25 मकान ईडब्ल्यूएस श्रेणी के ताबूत की तरह खड़े हैं। सरकार की इन मकानों के निर्माण की लागत का भी घाटा गया है।
वर्जन-
जावद में मौजूद बोर्ड की 3.91 हैक्टेयर भूमि का नया प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसी तरह नीमच के इंदिरा नगर में खाली पड़े भूखंडों और भवनों के लिए भी प्रस्ताव शासन को भेज रहे हैं। हवाई पट्टी के समीप आवासीय योजना के लिए आवंटित ३ हैक्टेयर जमीन का भूमि रूपांतरण प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।अगले दो माह में कार्य प्रगति दिखाई देगी। -पीके भट्ट, प्रभारी अधिकारी मप्र गृह निर्माण एवं अधोसंरचना मंडल नीमच-मंदसौर