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परमात्मा के दर्शन करना है तो अभावग्रस्त लोगों की सेवा करें

locationनीमचPublished: Feb 18, 2019 08:18:32 pm

Submitted by:

Mahendra Upadhyay

-स्वामी सत्यमित्रानंदन ने दी शहिदों को दी श्रृद्वांजली

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परमात्मा के दर्शन करना है तो अभावग्रस्त लोगों की सेवा करें

नीमच. मनासा सामज में आज भी अधिकांश व्यक्ति गरीबी में जीवन जी रहे हैं। बावजुद वे संस्कारों में हमसे आगे है। यदि हमें परमात्मा के दर्शन करना है तो अभावग्रस्त लोगों के बीच जाकर उनकी सेवा करना चाहिए। हिंदू धर्म भेद में अभेद का दर्शन करता है। हमारा समाज एक दूसरे की उपेक्षा के चलते टूट रहा है। सामज की दृष्टि ठीक करने के लिए स्वाध्याय को अपनाना जरूरी हो गया है। संतो के साथ से विवेक जाग्रत होता है। दुष्टों का साथ हमें डूबोता है। मस्तक प्रणाम में झुके विपत्ति में नहीं, सुख दुख कर्मों का फल है। इसलिए व्यक्ति को कर्म सुधारना चाहिए।
यह बात पद्म भूषण व हरिद्वार में भारतमाता मंदिर संस्थापक एंव निवृत्तमान शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंदन गिरि ने रविवार को समन्वय परिवार द्वारा उषागंज कॉलोनी में आयोजित प्रवचन माला में व्यक्त करे। स्वामी ने कहा आज के दौर में गाए जा रहे गानों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर गाना है तो भगवत गीता गाओ इससे जीवन का विवाद मिटेगा। भगवत गीता सुख ओर दु:ख सहन करने की शक्ति देती है। जो लोग अपनी संपत्ति का अभिमान करते हैं वह क्षणिक है। यह संसार अस्थाई है। इसलिए अभिमान छोड़ मानव होने का परिचय दे। स्वामी ने स्वामी विवेकानंद का जिक्र करते हुए कहा कि वे मानते थे कि वनवासियों में भगवान बसा है। आप भी थोड़ा समय निकालकर वनवासियों के बीच जाकर उनकी सेवा करें ओर जो खुशी उन्हें आपके द्वारा मिलती वो निश्चित तौर पर परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। स्वामी सत्यमित्रानंदन गिरि के मनासा आगमन पर समन्वय परिवार द्वारा उनकी पदरावणी कर पद प्रक्षालन किया। स्वामी का स्वागत पूर्व विधायक कैलाश चावला, अशोक गुलाठी, अशोक गंगानगर, सुशीलनंदन मुन्ना बैरागी, दिलीप गुलाठी, प्रकाश गुलाठी, रमेश गुलाठी, नगर परिषद अध्यक्ष यशवंत सोनी, पुरणमल मलिक, डॉ पुरण सहगल, दिनेश दुआ, मदनलाल छाबड़ा, महेश मलिक, समरथमल पटवा, गुलाम अब्बास बोहरा, एलएएन कोटा के संस्थापक गोविंद माहेश्वरी, अर्जुन पंजाबी, न्यायाधीश अखिलेश धाकड़, रामलाल वधवा, रमेशचंद्र छाबड़ा ने पुष्पमालाओं से कर आर्शीवाद लिया। कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार अर्जुन पंजाबी ने किया।
शहीदों को याद कर दी श्रद्धांजलि
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों की शहादत को याद करते हुए स्वामी सत्यमित्रानंदन गिरि महाराज ने दो मिनिट का मौन रख उन्हें श्रृद्वांजलि दी। ओर इस घटना को देश के लिए सबसे बड़ा घटना बताया।
बैरागी दादा का भी किया स्मरण

प्रवचन से पूर्व स्वामी सत्यमित्रानंदन ने देश के ख्यात्नाम कवि स्व. दादा बालकवि बैरागी को भी याद किया। उन्होंने बैरागी दादा से जुड़े संस्मरण का जिक्र करते हुए कहा कि जब मैं मनासा 28 वर्ष की उम्र में आया था तब बैरागीजी को श्रद्वालुओं के लिए बैठने के लिए जाजम बिछाते हुए देखा था। आज वे हमारे बीच नहीं रहे। वहीं स्वामी ने समाजसेवी काशीराम गुलाठी को भी याद किया।
भारतमाता यज्ञ के लिए गुलाठी परिवार ने किया था प्रेरित
सत्यमित्रानंदन गिरि ने कहा कि मैंने कई यज्ञ किए, लेकिन हरिद्वार में भारतमाता यज्ञ के लिए मुझे अशोक गुलाठी ओर उनकी धर्मपत्नी ललीता ने प्रेरित किया। ओर यज्ञ के लिए प्रथम यजमान बनने का सौभाग्य प्राप्त किया। यजमानों की पूर्ति हो चुकी है अब कोई यजमान नहीं बन सकता।
गरोठ के उपाध्याय ने मुंह से बजाई ढोलक
प्रवचन के बाद उनके शिष्य शशीकांत उपाध्याय गरोठ ने मुंह से ढोलक की आवाज निकाली। जिससे पूरा पांडाल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। इस दौरान भक्तों ने स्वामी के चरण वंदन कर आर्शीवाद लिया।
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