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84 हजार योनियों से मुक्ति पाने करना होगा यह काम

locationनीमचPublished: Jan 11, 2019 02:03:11 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

84 हजार योनियों से मुक्ति पाने करना होगा यह काम

jaipur

katha

नीमच/जावद. श्रीमद्भागवत कथा सुनने से ही जीव की मुक्ति नहीं होती है। चौरासी लाख योनियों से मुक्ति पाने के लिए या तो राजा परीक्षित की तरह भगवान का भक्त बनना पड़ता है या फिर धुंधकारी की तरह पापी बनना पड़ता है। धर्म को किसी भी कीमत पर नहीं छोडऩा चाहिए। आज मनुष्य धर्म से विमुख होता जा रहा है और जो धर्म से विमुख हुआ वह पशुता को प्राप्त होगा।
यह बात जगदगुरु रामानुजाचार्य गया पीठाधीपति स्वामी वेंकटेशप्रपन्नाचार्य महाराज ने कही। वे माहेश्वरी समाज जावद के तत्वावधान में धनुर्मास के उपलक्ष्य में 10 जनवरी से आयोजित रामानुज कोट मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का वाचन कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि धरती पर अष्ट वैकुंठ है जिसमें चार दक्षिण में और चार उत्तर में स्थित है। जहां भगवान आज भी निवास करते हैं। उत्तर में पुष्कर, नैमिषारण्य, बद्रीविशाल, मुक्तिनारायण शालग्राम है, तथा दक्षिण में श्रीरंगम, श्रीमुष्टम, तिरुपति, तोतादरी ये अष्ट वैकुण्ठ है। अयोध्या, गया, पुष्कर तीनों ही तीर्थनगरियों का अपना अलग ही महत्व है। भगवान नारायण की शरणागति ही जीवन का सार है।
उन्होंने कहा कि भाष्यकार रामानुज स्वामी महाराज द्वारा एक हजार वर्ष पूर्व सामाजिक समरसता का जो संदेश दिया गया वह आज भी प्रासंगिक है। इसीलिए लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रामानुज स्वामी का स्मरण किया है। जो हम सभी के लिए गौरव का विषय है। कोर्ट कचहरी के चक्कर में अयोध्या में कभी भी राम मंदिर नहीं बन सकता है लेकिन जिस दिन हम राम भक्तों ने ठान लिया उस दिन राम मंदिर बन जाएगा।
पूज्य स्वामी ने आगे कहा कि आज भगवान के नाम को भी आधुनिकता का चोला पहनाया जा रहा है। जय श्री कृष्णा को जे एस के से उच्चारित किया जा रहा है। सोश्यल मीडिया पर हम भगवान का भी उपहास कर रहे हैं। ऐसा करके हम अपनी भावी पीढ़ी को क्या सिखा रहे हैं। यह समझने की आवश्यकता है। हम सोशल मीडिया से जुड़े परंतु साथ में हम मानवता व मनुष्यता को भी कायम रखें। हम दूसरों से कोई अपेक्षा न रखें। हमें स्वयं में ही परिवर्तन लाना होगा तभी संसार में परिवर्तन संभव है।
कथा से पूर्व लक्ष्मीनाथ मंदिर जावद से भागवत पोथी यात्रा निकाली गई जो रामानुज कोट मंदिर पहुंची। जहां पूजा अर्चना के साथ श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ प्रारंभ हुआ। प्रथम दिवस की पूजा प्रसाद के लाभार्थी घनश्यामलाल मोतीलाल राठी परिवार थे। कथा विश्राम पश्चात आज ही देवलोक हुए पूज्य स्वामी राजेश्वरानंद महाराज को श्रद्धांजली देते हुए भगवान रघुनाथ से उन्हें अपने चरणों में स्थान देने की कामना की गई। प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।
इस अवसर पर माहेश्वरी समाज के जिलाध्यक्ष राजकुमार मुछाल, जिला उपाध्यक्ष राजेश चांडक, माहेश्वरी समाज जावद के अध्यक्ष दिलीप बांगड़, सचिव ओमप्रकाश काबरा, कार्यकारिणी सदस्य विजय मुछाल, जयगोपाल राठी, महेश राठी , रामानुज कोट मंदिर समिति अध्यक्ष राजेंद्र राठी एवं समाजजनों के साथ ही काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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