ग्राम थड़ोली निवासी पीडि़त अम्बालाल पिता चांदमल सुतार ने बताया कि मेरा गांव नीमच जनपद में आता है। मैंने दो बेटियों की शादी 18 मई 2019 को कराई थी। शासन योजना में मिलने वाली 50-50 हजार रुपए की विवाह अनुदान राशि के लिए जनपद पंचायत में मयदस्तावेज के आवेदन किया था। जनपद के एक अधिकारी ने मुझे कहा था कि शासन योजना का लाभ लेने के लिए खर्चा करना पड़ेगा। मैंने मांगी गई राशि नहीं दी तो मुझे शासन की योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है। बार बार जनपद के चक्कर लगवाए जा रहे हैं। जनपद में व्यास बाबू मुझसे रिश्वत की मांग की। मुझे कहा गया कि यदि तू हमें पैसे नहीं देगा तो हम भी तुझे शासन से पैसे नहीं मिलने देंगे। मुझ पर इल्जाम लगाए गए कि मैं मजदूरी नहीं करता हूं। मैं पैसे वाला हूं। मुझे पिछले 4 महीने से जनपद के चक्कर काटने को मजबूर किया जा रहा है। जनपद से मुझे कहा गया कि यहां से पैसे नहीं मिलेंगे एसडीएम के समक्ष आवेदन लगाओ। करीब एक 15-16 दिन पहले मैंने एसडीएम के समक्ष आवेदन लगाया था। वहां से राशि स्वीकृत कर मेरी फाइल फिर से जनपद पंचायत को भेज दी गई थी। इसके बाद भी मुझे कहा जा रहा है कि अब भी तेरा काम नहीं होगा। मैंने 17 जुलाई को भी शपथ पत्र देकर जनपद पंचायत द्वारा विवाह अनुदान राशि नहीं देने और वहां पदस्थ व्यास बाबू द्वारा रिश्वत मांगने की शिकायत की थी। शनिवार को कलेक्टर को फिर से शिकायत कर राशि दिलाने की मांग की है।
नीमच जनपद पंचायत सीईओ डा. मारिषा शिंदे गौतम ने बताया कि अम्बालाल चांदमल का केस मेरे समक्ष आया था। उस समय आचार संहिता चल रही थी। चुनाव के दौरान का प्रकरण है। मैंने उसका संबल का कार्ड देखा तो उसपर जनपद पंचायत की सील नहीं लगी थी। संबंधित पंचायत सचिव और शाखा प्रभारी को ही मैंने जांच के लिए भेजा था। जांच में पता चला था कि उसके बड़ा घर है। दो दूकानें, ट्रैक्टर, गाड़ी आदि सब है। इस आधार पर उसका प्रकरण निरस्त कर दिया था। एसडीएम के समक्ष अपील की थी। कुछ दिन पहले वहां से प्रकरण पारित हो गया है। इसके बाद मैंने उसके प्रकरण की एडीएम के समक्ष अपील की है। मैं स्वयं मौका देखकर आई हूं। मुझे जैसा बताया गया था ठीक वैसा ही मौके पर मिला है। पूरा पंचनामा बनाकर लेकर आई हूं। अभी प्रकरण की जांच की जा रही है। अम्बालाल ने जो शपथ पत्र दिया है। इसके लिए मैंने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। इस संबंध में एक आदेश जारी किया जाएगा। एक अन्य महिला को भी तकनीकी और आचार संहिता लगी होने की वजह से राशि देने में विलम्ब हुआ था। विभागीय स्तर पर प्रयास कर तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ कमलेश भार्गव के रिलीव होने से पहले पीडि़त महिला निर्मला देवी के खाते में राशि डलवा दी थी।
संबंधित कि विवाह प्रकरण की जांच की गई। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि वो पात्रता में नहीं आता है। ऐसी स्थिति में उसका प्रकरण निरस्त कर दिया गया है। मैंने उससे किसी प्रकार की राशि की मांग नहीं की है। जो आरोप लगाए जा रहे है वो निराधार है। शपथ दिया है जो उसकी जांच हो जाएगी। अपने आप सच्चाई सामने आ जाएगी।
– मुरारीलाल व्यास, लेखापाल जनपद पंचायत नीमच