इफको की ओर से बुधवार को जिले में चलित मृदा स्वास्थ्य परीक्षण प्रयोगशाला (बस) उपलब्ध कराई गई। मनासा तहसील के ग्राम पिपलियाघोटा में सुबह 10 से शाम 5 बजे तक चलित प्रयोगशाला गांव में ही रही। इस दौरान करीब 70 से 80 किसानों ने अपने खेत की मिट्टी की जांच कराई। मिट्टी की जांच में एक किसान के खेत में नकम की अत्यधिक मात्रा पाई गई। अत्यधिक मात्रा में नमक होने पर इफको के वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक डा. बीएस जादौन ने किसान को आगामी 2-3 साल तक सोयाबीन की खेती नहीं करने की सलाह दी। सोयाबीन के बजाय ज्वार बोने की समझाईश दी। साथ ही ‘ढेंचा’ (पशु चारा) भी बोने की राय दी। ढेंचा की जड़े काफी गहराई तक जाती हैं। इसकी बोवनी करने से मिट्टी से जल्दी नमक कम किया जा सकता है। ढेंचा की बोवनी एक साल छोड़कर दी जा सकती है। जिन खेतों क्षारीय और अम्ल का संतुलन 8 पीएच मान से अधिक है वहां किसानों को अमोनियम सल्फेट का उपयोग करने की सलाह दी गई।
डा. जादौन ने बताया कि इफको के पास देशभर में मृदा परीक्षण के लिए 9 चलित प्रयोशाला है। इसमें छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के लिए एक प्रयोगशाला है। मंगलवार रात को भोपाल से एक प्रयोगशाला नीमच जिले में पहुंची है। बुधवार को ग्राम पिपलियाघोटा में मिट्टी का परीक्षण किया गया। गुरुवार को ग्राम हाड़ी पिपलिया मृदा स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद शुक्रवार को नलखेड़ा मेें मृदा परीक्षण करेंगे। सुबह जो किसान अपने खेतों की मिट्टी जांच के लिए लाते हैं उन्हें शाम को जांच रिपोर्ट सौंप दी जाती है। मिट्टी किसी प्रकार की कमी पाई जाती है तो इसका उपचार भी बताया जाता है। बुधवार को भी शाम 5 बजे पिपलियाघोटा में किसानों को बुलाकर उन्हें पूरी जानकारी दी गई। साथ ही किसानों की जिज्ञासाओं को दूर किया गया।
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों में मृदा स्वास्थ्य परीक्षण के लिए इफको की ओर से एक चलित प्रयोगशाला उपलब्ध कराई गई है। यह प्रयोगशाला 19 अप्रैल तक नीमच जिले में रहेगी। बुधवार को मनासा तहसील के ग्राम पिपलियाघोटा में मिट्टी की जांच की गई। जांच में खेतों की मिट्टी में फासफोरस व पोटास की कमी और नमकी की अधिकता पाई गई। मिट्टी की जांच के लिए किसानों को इसके उपाय भी बनाए गए।
– डा. बीएस जादौन, वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक इफको