नहीं मिल रही तैराकी प्रशिक्षण की सुविधा
जिला मुख्यालय पर वर्षों पुराना तरणताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। या यूं कहे कि तरणताल राजनीति की भेंट चढ़ गया है। जिस समय तरणताल को मरम्मत की आवश्यकता थी तब नपा प्रशासन ने सुध नहीं ली। जब एक छज्जा गिर गया तब कुंभकर्णीय नींद खुली। जिस स्थान की मरम्मत करना थी वहां ध्यान नहीं देते हुए पुरा तरणताल की उजाड़ दिया गया। इसका खामियाजा नपा अधिकारियों या कर्मचारियों को नहीं उठाना पड़ा। इसका खामियाजा वो मासूम तैराक उठा रहे हैं तो ठंड हो या बरसात सुबह सुबह ५ बजे उठकर तैराकी का प्रशिक्षण लेने तरणताल पहुंच जाया करते थे। कठोर प्रशिक्षण के दम पर ही १५ मासूम बच्चों ने राष्ट्रीय स्तर पर तैराकी में कई पदक अपने नाम किए हैं। आज इन्हीं मासूम के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। पिछले दो-तीन महीनों से ये मासूम सही ढंग से प्रशिक्षण नहीं ले पा रहे हैं। इसका उनका स्टेमिना गिड़बड़ाता जा रहा है। वर्तमान में एक निजी तरणताल में प्रशिक्षण तो ले रहे हैं, लेकिन वो मानक स्तर का नहीं है। वहां प्रशिक्षण लेने से बच्चों पर इसका गलत असर पड़ रहा है। तरणताल 50 मीटर का होना चाहिए, लेकिन जिस तरणताल में बच्चे प्रेक्टिस कर रहे हैं वो मात्र 25 मीटर का ही है। प्रशासन की ओर से यदि बच्चे के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाती है तो ही इनका तैराकी का आगे का सफर जारी रह सकता है, अन्यथा मजबूरी में खेल छोडऩा पड़ेगा।
जिला मुख्यालय पर वर्षों पुराना तरणताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। या यूं कहे कि तरणताल राजनीति की भेंट चढ़ गया है। जिस समय तरणताल को मरम्मत की आवश्यकता थी तब नपा प्रशासन ने सुध नहीं ली। जब एक छज्जा गिर गया तब कुंभकर्णीय नींद खुली। जिस स्थान की मरम्मत करना थी वहां ध्यान नहीं देते हुए पुरा तरणताल की उजाड़ दिया गया। इसका खामियाजा नपा अधिकारियों या कर्मचारियों को नहीं उठाना पड़ा। इसका खामियाजा वो मासूम तैराक उठा रहे हैं तो ठंड हो या बरसात सुबह सुबह ५ बजे उठकर तैराकी का प्रशिक्षण लेने तरणताल पहुंच जाया करते थे। कठोर प्रशिक्षण के दम पर ही १५ मासूम बच्चों ने राष्ट्रीय स्तर पर तैराकी में कई पदक अपने नाम किए हैं। आज इन्हीं मासूम के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। पिछले दो-तीन महीनों से ये मासूम सही ढंग से प्रशिक्षण नहीं ले पा रहे हैं। इसका उनका स्टेमिना गिड़बड़ाता जा रहा है। वर्तमान में एक निजी तरणताल में प्रशिक्षण तो ले रहे हैं, लेकिन वो मानक स्तर का नहीं है। वहां प्रशिक्षण लेने से बच्चों पर इसका गलत असर पड़ रहा है। तरणताल 50 मीटर का होना चाहिए, लेकिन जिस तरणताल में बच्चे प्रेक्टिस कर रहे हैं वो मात्र 25 मीटर का ही है। प्रशासन की ओर से यदि बच्चे के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाती है तो ही इनका तैराकी का आगे का सफर जारी रह सकता है, अन्यथा मजबूरी में खेल छोडऩा पड़ेगा।
प्रदेश के 800 बच्चे लेंगे राज्य स्पर्धा में भाग
मई 19में राज्य स्तरीय तैराकी प्रतियोगिता होना है। यूं तो इस स्पर्धा में नीमच से भी १६ बच्चे भाग लेंगे, लेकिन प्रशिक्षण के अभाव में वे चिंतित भी है। यह स्पर्धा लोकसभा चुनाव के बाद आयोजित की जाएगी। चुनाव की वजह से स्थान और तारीख अभी तय नहीं हुई है। मई अंत में स्पर्धा आयोजित होना तय है। इस स्पर्धा में प्रदेश के 10 वर्ष से सीनियर वर्ग के करीब 800 तैराक भाग लेंगे।
मई 19में राज्य स्तरीय तैराकी प्रतियोगिता होना है। यूं तो इस स्पर्धा में नीमच से भी १६ बच्चे भाग लेंगे, लेकिन प्रशिक्षण के अभाव में वे चिंतित भी है। यह स्पर्धा लोकसभा चुनाव के बाद आयोजित की जाएगी। चुनाव की वजह से स्थान और तारीख अभी तय नहीं हुई है। मई अंत में स्पर्धा आयोजित होना तय है। इस स्पर्धा में प्रदेश के 10 वर्ष से सीनियर वर्ग के करीब 800 तैराक भाग लेंगे।
15 बच्चे के सामने खड़ा हो गया संकट
वर्तमान में 15 बच्चे के सामने संकट है। ये सभी बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर पदक हासिल कर चुके हैं। तरणताल बंद होने से ये बच्चे प्रशिक्षण नहीं ले पा रहे हैं। इस कारण उनका स्टेमिना बिगड़ता जा रहा हैै। एक बार स्टेमिना बिगड़ गया तो उसे कवर नहीं किया जा सकता। ऐसे में राष्ट्रीय स्तर के इन 15 तैराकों के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
– प्रभु मूलचंदानी, मेंटोर
वर्तमान में 15 बच्चे के सामने संकट है। ये सभी बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर पदक हासिल कर चुके हैं। तरणताल बंद होने से ये बच्चे प्रशिक्षण नहीं ले पा रहे हैं। इस कारण उनका स्टेमिना बिगड़ता जा रहा हैै। एक बार स्टेमिना बिगड़ गया तो उसे कवर नहीं किया जा सकता। ऐसे में राष्ट्रीय स्तर के इन 15 तैराकों के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
– प्रभु मूलचंदानी, मेंटोर