भाई-बहन के विरह को दूर कर प्रेम बढ़ाता है भाई-दूज पर्व
नीमच. भाई-बहन के विरह को दूर कर प्रेम बढ़ाता है भाईदूज पर्व । जीवन में संयम आत्मसात किए बिना पर्व मनाना सार्थक नहीं होता है। हम पापवृति से बचे पुण्य वृति से जुडे। तभी आत्मा का कल्याण होगा । हम संसार में किसी का बुरा नहीं करे । हमेशा असत्य का साथ नहीं देवें। सदैव सत्य की राह पर ही चलना चाहिए, तभी जीवन का कल्याण होगा । असत्य का साथ देने के परिणाम स्वरूप संकट आता है।
यह बात साध्वी गुणरंजना श्रीजी मसा ने कही । वे शुक्रवार सुबह विकास नगर स्थित महावीर जिनालय आराधना भवन में आयोजित धर्मसभा में बोल रही थी । साध्वी मसा ने कहा कि भाईदूज का पर्व आत्मा का पर्व है हम भी वासना तृष्णा में नहीं रहे । भाईदूज पर बहने शोक से हटाकर जीवन में जीनवाणी को सदैव आत्मसात करने का संकल्प दिलाती है । मृत्यु कार्यक्रम पर विकृति समाज में आई है माता-पिता रिश्तेदार की मृत्यु पर 12 दिन तक शोक पाले और पूजा नहीं करते है प्रभु को भोजन नहीं चढ़ाते है । मृत्यु पर तीसरे दिन शोक खत्म करने की परम्परा सही नहीं है। ऋषिमुनियों ने 12 दिन की परम्परा सामाजिक परिवेष को ध्यान में रखकर बनाई ।
साध्वी गुणरंजना के सानिध्य में निर्वाण का लाडू चढ़ाया
श्रीजैन श्वेताम्बर महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर द्वारा साध्वी गुणरंजना श्रीजी मसा. के सानिध्य में 8 नवम्बर सुबह 8 बजे निर्वाण के लाडू चढ़ा कर भोग लगाया । नवकारसी के लाभार्थी सम्पत कुमार हर्षकुमार, राजेश, दिनेश, दिलीप, अरूण, तरूण, पंकज, संदीप, पवन, कमल, भव्य, कनिष्क, धेर्य, ध्रुव, चित्रांश, दक्ष कोठारी परिवार भीलवाड़ा रहे ।
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नीमच. भाई-बहन के विरह को दूर कर प्रेम बढ़ाता है भाईदूज पर्व । जीवन में संयम आत्मसात किए बिना पर्व मनाना सार्थक नहीं होता है। हम पापवृति से बचे पुण्य वृति से जुडे। तभी आत्मा का कल्याण होगा । हम संसार में किसी का बुरा नहीं करे । हमेशा असत्य का साथ नहीं देवें। सदैव सत्य की राह पर ही चलना चाहिए, तभी जीवन का कल्याण होगा । असत्य का साथ देने के परिणाम स्वरूप संकट आता है।
यह बात साध्वी गुणरंजना श्रीजी मसा ने कही । वे शुक्रवार सुबह विकास नगर स्थित महावीर जिनालय आराधना भवन में आयोजित धर्मसभा में बोल रही थी । साध्वी मसा ने कहा कि भाईदूज का पर्व आत्मा का पर्व है हम भी वासना तृष्णा में नहीं रहे । भाईदूज पर बहने शोक से हटाकर जीवन में जीनवाणी को सदैव आत्मसात करने का संकल्प दिलाती है । मृत्यु कार्यक्रम पर विकृति समाज में आई है माता-पिता रिश्तेदार की मृत्यु पर 12 दिन तक शोक पाले और पूजा नहीं करते है प्रभु को भोजन नहीं चढ़ाते है । मृत्यु पर तीसरे दिन शोक खत्म करने की परम्परा सही नहीं है। ऋषिमुनियों ने 12 दिन की परम्परा सामाजिक परिवेष को ध्यान में रखकर बनाई ।
साध्वी गुणरंजना के सानिध्य में निर्वाण का लाडू चढ़ाया
श्रीजैन श्वेताम्बर महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर द्वारा साध्वी गुणरंजना श्रीजी मसा. के सानिध्य में 8 नवम्बर सुबह 8 बजे निर्वाण के लाडू चढ़ा कर भोग लगाया । नवकारसी के लाभार्थी सम्पत कुमार हर्षकुमार, राजेश, दिनेश, दिलीप, अरूण, तरूण, पंकज, संदीप, पवन, कमल, भव्य, कनिष्क, धेर्य, ध्रुव, चित्रांश, दक्ष कोठारी परिवार भीलवाड़ा रहे ।
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