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चने का बंपर उत्पादन लेने के लिए यह जरूर करें

locationनीमचPublished: Nov 25, 2018 09:34:15 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

चने का बंपर उत्पादन लेने के लिए यह जरूर करें

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चने का बंपर उत्पादन लेने के लिए यह जरूर करें

नीमच. वैसे तो चना कम पानी में बेहतर उत्पादन देने वाली फसल है। लेकिन चने में कीट व्याधियों का प्रकोप अधिक रहता है। ऐसे में समय रहते अगर उनका नियंत्रण नहीं किया जाए, तो वह पूरी फसल को बर्बाद कर देतें है। वर्तमान में चने की फसल डेढ़ से दो माह की हो चुकी है। जिसमें इल्ली का प्रकोप छाने से किसान के माथे पर चिंता की लकीर दिखाई देने लगी है।
बतादें की जिले में करीब 35 से 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में चने की फसल बोई गई है। जिसकी वानस्पतिक वृद्धि का दौर शुरू हो गया है। चने की फसल अंकुरित होने के बाद से ही पौधों में कीट व्याधि का भय बना रहता है। वर्तमान में चने में इल्ली का प्रकोप नजर आने लगा है। यह इल्ली चने के पौधों की पत्तियों को कुरच कुरच के खाती है, धीरे धीरे पौधों की कोमल शाखाओं को काटती है, फूल बनने की स्थिति में उसे भी खाती है साथ ही फली बनने पर उसमें प्रवेश कर दाने को खाकर नुकसान पहुंचती है। इस प्रकार समय पर कीट व्याधि का नियंत्रण नहीं करने पर वह पौधा बढऩे से लेकर उत्पादन होने तक लगातार नुकसान पहुंचाती है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ श्यामसिंह सारंग देवोत ने बताया कि चने की इल्ली के नियंत्रण के लिए क्यूनालफास 25 प्रतिशत ईसी की डेढ़ लीटर मात्रा अथवा क्लोरपाईरीफास 20 प्रतिशत ईसी की डेढ़ लीटर मात्रा अथवा प्रोफेनफास 50 प्रतिशत ईसी की एक लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर के मान से 500 लीटर पानी में मिलाकर छीड़काव करने पर इल्लियों के प्रकोप से निजात मिलेगी। वहीं आवश्यकता पडऩे पर इस छीड़काव को दोबारा दोहराएं। इसी के साथ चने में उकटा रोग भी नजर अता है। यह पौधे की वानस्पतिक वृद्धि को प्रभावित करता है जिससे पौधा सूख जाता है खेत में वांछित पौध संख्या प्रति हेक्टेयर नहीं रहती है। ऐसे लक्षण नजर आने पर किसान कार्बोन्डाजिम 50 प्रति डब्ल्यूपी डेढ़ से दो ग्राम मात्रा प्रतिलीटर पानी के मान से छिड़काव करें।
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