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यहां पढ़ें मृत्यु के समय किसे याद करने से मिलता है स्वर्ग

locationनीमचPublished: Jan 05, 2019 11:10:29 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

यहां पढ़ें मृत्यु के समय किसे याद करने से मिलता है स्वर्ग

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यहां पढ़ें मृत्यु के समय किसे याद करने से मिलता है स्वर्ग

चीताखेड़ा. मानव जीवन में मनुष्य को अगर आनंद का सुख भोगना है तो हरि कथा में तल्लिन हो जाओ फिर आनंद ही आनंद है। जीवन में आनंद एक बार आ गया तो फिर कभी नहीं जाएगा। अगर सुख भोगना चाहते हो तो सुख कुछ पल के लिए आता है फिर उस सुख के साथ दु:ख भी आएगा। मरते समय मनुष्य जिसका चिंतन करता है उसे उगले जन्म में वैसी ही गति मिलती है।
उक्त बात पंडित लक्षानंद महाराज ने कही, वे राबडिय़ा के पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में आयोजित 7 दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव के छटवें दिन शनिवार को धर्मज्ञान गंगा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मनुष्य मरते समय जिसका चिंतन करता है उसे वही गति प्राप्त होती है। मरते वक्त सम्पत्ति चिंतन मन में रखता है तो उसे अगले जन्म में सर्प की योनी भुगतना पड़ती हैं और जो व्यक्ति मरते समय ब्रम्हा का चिंतन करता है तो उसे ब्रम्ह लोक की प्राप्ति होती है। मथुरा से वासुदेव पालने में भगवान कृष्ण को लेटाकर जब यमुना नदी पार करते वक्त यमुना उफान पर आ गई थी उस दौरान यमुना भगवान कृष्ण के चरण छू कर उनका वरण करना चाहती थी। भगवान के चरण छू कर यमुना ने भगवान कृष्ण का वरण किया। पंडित लक्षानंद ने श्रीमद्भागवत कथा का रसपान करवाते हुए कहा की जहां भगवान की कथाएं होती हैं उनमें भगवान का चित्रण होता है उसमें जो भगवान के स्वांग धरता है उस दौरान भगवान के जो भी माता पिता बनते हैं उनकों अगले जन्म में प्रभु जैसे ही पुत्र, पुत्री और रूकमणी जैसी पत्नी परिवार में मिलती है।
श्रीमद्भागवत ज्ञान गंगा का रसास्वादन के बीच-बीच में हरि थारा नाम हजार , रमाजी को नाम आयो मिठो लागो, लख चोरासी छोड़ बनड़ो आयो रे आदि मधुर भजनों की प्रस्तुति पर पांडाल में उपस्थित श्रृद्धालु झूम-झूम कर नाचने लगे। जिससे पांडाल में वृन्दावन धाम जैसा भाव महसूस हो रहा था। श्रीमद्भागवत कथा प्रवचन के दौरान पांडाल में भगवान कृष्ण-रूकमणी विवाह भी विधि पूर्वक किया गया। जिसमें कृष्ण-रूकमणी विवाह फेरे भी हुए।
आज होगी कथा की पुर्णाहुति
6 जनवरी को सात दिवसीय श्रीमदभागवत ज्ञानगंगा महोत्सव के अंतिम दिन सुदामा चरित्र, कंसवध, उद्धवज्ञान प्रसंग का विस्तार से सुनाया जाएगा। कथा की पूर्णाहुति पर सामुहिक महाप्रसाद के रूप में भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
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