-28 जुलाई से नहीं बरसी थी बारिश की एक बूंद…
वैसे तो पिछले तीन चार दिनों से मौसम में बदलाव नजर आ रहे थे। लेकिन बादल घुमड़ कर रह जाते थे, करीब 28 जुलाई से बारिश नहीं होने के कारण फसलों में भी पानी की जरूरत महसूस होने लगी थी। ऐसे में किसान गांव बाहर भोजन बनाकर खेड़ा देवता और इंद्रदेव को मनाने जुटने लगे। क्योंकि सही समय पर बारिश नहीं होने से निश्चित ही फसल का उत्पादन प्रभावित होना है। ऐसे में जब बुधवार सुबह से कहीं रिमझिम तो कहीं जोरदार बारिश हुई तो फसल पर अमृत का काम किया।
वैसे तो पिछले तीन चार दिनों से मौसम में बदलाव नजर आ रहे थे। लेकिन बादल घुमड़ कर रह जाते थे, करीब 28 जुलाई से बारिश नहीं होने के कारण फसलों में भी पानी की जरूरत महसूस होने लगी थी। ऐसे में किसान गांव बाहर भोजन बनाकर खेड़ा देवता और इंद्रदेव को मनाने जुटने लगे। क्योंकि सही समय पर बारिश नहीं होने से निश्चित ही फसल का उत्पादन प्रभावित होना है। ऐसे में जब बुधवार सुबह से कहीं रिमझिम तो कहीं जोरदार बारिश हुई तो फसल पर अमृत का काम किया।
जोरदार बारिश शुरू हुई तो पूरा शहर तर ब तर हो गया
बुधवार को सुबह से मौसम में पूर्ण रूप से ठंडक घुल गई थी। पहले फुहार फिर रिमझिम बारिश शुरू हुई। जो फसल के लिए सौगात मानी जाती है। हालांकि दोपहर में बारिश थम कर फिर धूप निकल आई थी। लेकिन शाम होते होते फिर जोरदार बारिश शुरू हुई तो पूरा शहर तर ब तर हो गया। शाम को शुरू हुई बारिश रूक रूककर देर रात तक जारी रही। ऐसे में शहर के मुख्य मार्गों और चौराहों पर बारिश का पानी बहने लगा, जिससे आवाजाही कर रहे लोगों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, ऐसे हाल शहर के टेगौर मार्ग, सब्जी मंडी पहुंचमार्ग, फ्रूट मार्केट, फव्वारा चौक, नया बाजार आदि जगह नजर आए।
बुधवार को सुबह से मौसम में पूर्ण रूप से ठंडक घुल गई थी। पहले फुहार फिर रिमझिम बारिश शुरू हुई। जो फसल के लिए सौगात मानी जाती है। हालांकि दोपहर में बारिश थम कर फिर धूप निकल आई थी। लेकिन शाम होते होते फिर जोरदार बारिश शुरू हुई तो पूरा शहर तर ब तर हो गया। शाम को शुरू हुई बारिश रूक रूककर देर रात तक जारी रही। ऐसे में शहर के मुख्य मार्गों और चौराहों पर बारिश का पानी बहने लगा, जिससे आवाजाही कर रहे लोगों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, ऐसे हाल शहर के टेगौर मार्ग, सब्जी मंडी पहुंचमार्ग, फ्रूट मार्केट, फव्वारा चौक, नया बाजार आदि जगह नजर आए।