scriptअब १६ के पहले दो पहिया वाहन दौड़ाना पड़ेगा भारी | Now 16 will have to drive two wheelers heavy | Patrika News

अब १६ के पहले दो पहिया वाहन दौड़ाना पड़ेगा भारी

locationनीमचPublished: Jan 18, 2018 01:08:02 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

– १५ वर्ष से पुराना कोई वाहन अब नहीं चलेगा सड़क पर – स्कूल संचालकों सहित अन्य की ली एसपी ने बैठक

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स्कूल संचालकों की बैठक को संबोधित करते हुए एसपी।

नीमच. अभी तक वे नाबालिग विद्यार्थी फर्राटे से स्कूटियां दौड़ाते नजर आते थे, जिनके हाथ हैंडल पर और पैर सड़क पर टिकने लग जाए। ऐसे में पकड़े जाने पर कई बार नाबालिग व उनके परिजनों को समझाईश देकर छोड़ दिया जाता था। लेकिन अब उन्हें नहीं बक्शा जाएगा। अगर कोई १६ साल से कम उम्र का नाबालिग चाहे व स्कूल आवाजाही करते या शहर में आवाजाही करते पकड़ाया तो वाहन तो जब्त होगा ही साथ ही परिजन के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
१५ साल से पुरानी कंडम बस सड़क पर नजर नहीं आनी चाहिए। स्कूल बस में जीपीएस, स्पीड गर्वनर, सीसीटीवी कैमरें, अग्निशमन यंत्र सहित सुरक्षा के सभी संसाधन हो, स्कूलों में चलने वाली सभी बसों व ऑटो रिक्शा में आरटीओ द्वारा निर्धारित की गई सीटों से अधिक बच्चे नहीं बैठाए जाएं। १६ वर्ष या उससे अधिक उम्र के बच्चों के लर्निंग लायसेंस बनाए जाएं। लेकिन इससे कम उम्र वाला कोई भी नाबालिग अगर वाहन चलाते पाए जाए तो वाहन जब्त करने के साथ ही परिजन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
यह बात बुधवार को एसपी तुषारकांत विद्यार्थी ने स्कूल बसों व आटो रिक्शा ेंमें छात्र छात्राओं की सुरक्षित स्कूल आवाजाही के लिए कलेक्टोरेट सभागार में आयोजित बैठक में स्कूल संचालकों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि जिले के सभी स्कूल संचालक व अभिभावक स्कूल बसों या अन्य स्कूल आवाजाही करने वाले वाहनों में निर्धारित बैठक क्षमता से अधिक विद्यार्थियों को न बैठाएं। स्कूल वाहनों में सीटबेल्ट व महिला अटेन्डर रहे। स्कूल वाहनों में सुझाव पेटी अवश्य लगाई जाए। जिसमें ताला लगा हो जिसकी चाबी संचालक के पास हो। ताकि किसी भी प्रकार की कोई शिकायत हो तो वह स्कूल संचालक तक पहुंच सके।
स्कूल वाहन चालको का मेडिकल परीक्षण व ५ साल का अनुभव जरूरी
अब तक वह व्यक्ति भी स्कूल बस चलाने बैठ जाता था, जिसे कुछ ही समय का अनुभव हो, लेकिन अब वही व्यक्ति स्कूल बस चला सकेगा, जिसे कम से कम भारी बस के चलाने का ५ साल का अनुभव हो, इसी के साथ वही व्यक्ति स्कूल बस चला सकेगा, जो शारीरिक रूप से भी फीट हो, इसके लिए वाहन चालकों का स्वास्थ्य परीक्षण तो करवाया ही जाए, साथ ही उनका कोई अपराधिक रिकार्ड न हो इसके लिए पुलिस द्वारा चरित्र सत्यापन भी अनिवार्य रूप से करवाया जाए। पुलिस अधीक्षक तुषारकांत विद्यार्थी की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में कलेक्टोरेट सभाकक्ष में जिला पंचायत सीईओ कमलेश भार्गव, जिला परिवहन अधिकारी बरखा गौड़, उपनिरीक्षक रामसिंह राठौर एवं एस भाभर, जिला शिक्षा अधिकारी केसी शर्मा, केएल बामनिया, जिले के सभी स्कूल संचालक, परिवहन व यातायात पुलिस अधिकारी शिक्षा विभाग अधिकारी आदि उपस्थित थे।
१६ वर्ष व उससे अधिक आयु के विद्यार्थियों के बनेंगे लर्निंग लायसेंस पुलिस अधीक्षक ने बताया कि सभी स्कूल संचालकों द्वारा १६ वर्ष व उससे अधिक की आयु वाले उन बच्चों की सूची तैयार करें, जो दो पहिया स्कूटी आदि से आवाजाही करते हैं। वह सूची आरटीओ को भिजवाए, ताकि हर स्कूल में अलग अगल दिन शिविर लगाकर बच्चों के लर्निंग लायसेंस बनाए जाएं। इसी के साथ छात्र-छात्राओं को हेलमेट का उपयोग अनिवार्य रूप से करना है। पुलिस अधीक्षक विद्यार्थी ने कहा कि 15 वर्ष से अधिक का कोई भी वाहन सड़क पर न रहे। स्कूल संचालक सभी स्कूल वाहनों में स्पीड गर्वनर एवं जीपीएस सिस्टम व सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य रूप से लगवाए। साथ ही गैस से चलने वाले ऑटो नहीं चलेंगे। यह कार्य सात दिनों में पूर्ण कर जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से पालन की रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
१५ साल से पुरानी बस नहीं नजर आए सड़क पर
पुलिस अधीक्षक ने निर्देश दिए कि स्कूल संचालक अनफिट वाहनों का संचालन तत्काल बंद करें एवं 15 साल पुराने वाहन का संचालन तत्काल बंद करें। स्कूल संचालक यह भी जांच कर लें कि वाहन चालक का पूर्व का कोई आपराधिक रिकार्ड न हो। उसका चरित्र अच्छा हो, और उसका पुलिस से चरित्र सत्यापन अवश्य करवाएं। पुलिस अधीक्षक विद्यार्थी ने यह भी निर्देश दिए कि वे स्कूल अपने स्वयं के दो पहिया वाहनों से आने वाले छात्र-छात्राओं के लर्निग ड्रायविंग लायसेंस अवश्य बनवाए। इसके लिए आरटीओ से समन्वय कर एक तिथि निर्धारित कर लायसेंस शिविर आयोजित करवाएं, और छात्र-छात्राओं के लायसेंस बनवाएं।
पुलिस अधीक्षक टीके विद्यार्थी ने स्कूल संचालकों से कहा कि आगामी दिनों में पुलिस व परिवहन विभाग द्वारा स्कूलों में विशेष जांच अभियान चलाया जाएगा। सभी स्कूलों में नाबालिग छात्र-छात्राओं द्वारा वाहन चलाते पाए जाने पर संबंधित नाबालिग के साथ ही उनके अभिभावक के विरूद्ध भी कार्यवाही की जाएगी। अभिभावक व स्कूल संचालक बगैर लायसेंस के नाबालिगों को वाहन चलाने न दे।
बैठक में जिला पंचायत सीईओ कमलेश भार्गव एवं जिला परिवहन अधिकारी बरखा गौड ने सभी स्कूल संचालकों से कहा, कि वे वाहनों के संचालन के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की गाईड लाईन का पालन अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करें। परिवहन विभाग द्वारा स्कूल बसों की सुरक्षा के लिए जारी दिशा निर्देशों का भी कड़ाई से पालन किया जाए। इसी के साथ स्कूल बस पीले रंग में हो, बसों पर स्कूल बस पीछे एवं आगे लिखा हो, यदि अनुबंधित बस हो, तो उस पर ऑनस्कूल ड्यूटी लिखा जाना चाहिए।
जिला पंचायत सीईओ एवं आरटीओ ने कहा कि स्कूल बस में फस्टएड बॉक्स, गतिमापी यंत्र, बसों की खिड़कियों पर सरियों की जाली, अग्निशमन यंत्र, बस पर स्कूल का नाम व दूरभाष क्रमांक, बसों के दरवाजों पर लगे ताले ठीक स्थिति में हो, बसों में शिक्षित व प्रशिक्षित परिचालक हो, किसी भी शिक्षक अथवा पालक को बस में सुरक्षा मुआयना करने की दृष्टि से जाने की सुविधा हो, चालक के पास कम से कम पांच वर्ष पुराना भारी यात्री वाहन चलाने का लायसेंस हो, सीटों के नीचे बस्तों की सुरक्षा के लिए अलग से स्थान हो, बस पर ऐसा ड्रायवर रखा जाएगा, जिस पर लाल बत्ती तोडऩे के जुर्म में एकाधिक बार भी चालानी कार्यवाही न की गई हो। अप्राधिकृत व्यक्ति से स्कूल वाहन नहीं चलवाया जाएगा।
बैठक में स्कूल संचालकों को छात्र-छात्राओं के सुरक्षा पर पूरा ध्यान देने, यातायात नियमों का पालन करने के लिए स्कूलों में जागरूकता शिविर आयोजित करने और अभिभावकों को भी इसके लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए गए। बैठक में स्कूल संचालकों ने भी अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
किलोमीटर के आधार पर तय होगा किराया
शहर के अधिकतर स्कूलों में विद्यार्थियों की आवाजाही बस के साथ ही आटो रिक्शा में भी होती है। नियम होने के बावजूद अधिकतर आटो रिक्शा चालक निर्धारित से अधिक बच्चे बिठाते हैं। इस संबंध में उनका हर बार यही कहना रहता है कि हमें कम विद्यार्थी बैठाने में पूरा नहीं पड़ता है। इस कारण एसपी ने कहा कि आरटीओ द्वारा किलोमीटर के आधार पर राशि तय की जाएगी। साथ ही छोटे व बड़े आटो में विद्यार्थियों के बैठाने की संख्या भी, ऐसे में आटो रिक्शा वाले को भी किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा। लेकिन फिर भी कोई क्षमता से अधिक विद्यार्थी बिठाएगा तो निश्चित ही उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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