वहीं नीति के लागू होने के साथ ही अब बगैर मान्यता यदि स्कूलों का संचालन किया जाता है तो संचालकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसपर बड़ा एक्शन लिया जाएगा। नवीन नीति के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों में नजदीक के 3 से 6 साल के बच्चों को शाला पूर्व शिक्षा दिया जाएगा। बता दे कि नवीन नीति की मंजूरी के साथ ही इसका उद्देश्य बच्चों को पहली कक्षा के लिए बुनियादी तौर पर पूर्ण रुप से तैयार करना है। साथ ही शिक्षा व्यवस्था को सूचित करना है। बाल संस्कार केंद्र, शिशु विकास केंद्र, नर्सरी केंद्र के नाम से संचालित की जाती है। इसके लिए राज्य शासन की मंजूरी लेनी है। आंगनवाड़ी केंद्रों में अतिरिक्त कक्षा तैयार की जाएगी। वहीं आंगनबाड़ी केंद्रों को स्कूल के तौर पर तैयार किया जाएगा।प्री नर्सरी-नर्सरी-केजी के छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षक की नियुक्ति की जाएगी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। 5 साल के लिए इस नीति को तैयार किया जा रहा था। जिसे अब लागू किया गया है। जानकारी के मुताबिक किसी भी स्कूल में पहली कक्षा में प्रवेश के लिए 6 साल की उम्र को चुना गया है। शासकीय स्कूल में प्रवेश लेने से पहले बच्चों को तैयार किया जाएगा। उनकी बुनियाद को वितरण किया जाएगा और शिक्षा नीति इस खाली स्थान को भरेगी।
महिला बाल विकास विभाग के जिला अधिकारी प्री नर्सरी- केजी स्कूल को मान्यता देंगे
शाला पूर्व शिक्षा नीति के तहत इसके लिए अलग से पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे और अतिरिक्त सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए व्यवस्था किया जाएगा। नवीन नीति के तहत महिला बाल विकास विभाग के जिला अधिकारी प्री नर्सरी- केजी स्कूल को मान्यता देंगे। साथ ही अधिकारियों को नोडल बनाया जाएगा। जिसके बाद उचित निरीक्षण और कार्रवाई की जाएगी। यह नियम आंगनबाड़ी केंद्र, शिशु गृह प्ले स्कूल, शाला पूर्व शिक्षा केंद्र, नर्सरी स्कूल, किंडर गार्डन, प्रारंभिक स्कूल गृह आधारित देखरेख केंद्र पर लागू किए जाएंगे।
प्री नर्सरी स्कूल की मान्यता को लेकर शिक्षा विभाग के पास कोई निर्देश नहीं आए है। जहां तक जानकारी है कि महिला बाल विकास विभाग से मान्यता लेनी होगी।
- सीके शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी नीमच।
- संजय भारद्धाज, महिला बाल विकास अधिकारी नीमच।