ऑक्सीजन थैरेपी से स्वस्थ्य होंगे मानसिक और लकवे से ग्रस्त दिव्यांग
-पहले विकासखंड, फिर जिला मुख्यालय पर लगाया जाएगा शिविर
-दिव्यांगों के परिजन भी सीखे रहे गुर

नीमच. अब जिले के जन्मजात लकवे और मनासिक रूप से दिव्यांग बच्चों को ज्यादा दिन समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। क्योंकि ऑक्सीजन थैरेपी के माध्यम से उन बच्चों का उपचार किया जा रहा है। ताकि वे भी शीघ्र ही सामान्य बच्चों की तरह जीवन जी सके।
मोबाईल स्रोत सलाहकार राजेंद्र अहीर ने बताया कि वे मानसिक रूप से दिव्यांग और लकवे से पीडि़त जन्मजात बच्चों के उपचार के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने उदयपुर से डिप्लोमा भी किया है। जिसके तहत वे ऐसे बच्चों को थैरेपी के माध्यम से उपचार दे रहे हैं। जो बच्चे मानसिक रूप से दिव्यांग होने के साथ ही किसी भी प्रकार के लकवे से ग्रस्त है। उन्होंने बताया कि हम ऑक्सीजन थैरेपी से बच्चे का उपचार करते हैं। इस थैरेपी के नियमित उपयोग से कुछ ही दिन में बच्चे को स्थाई लाभ होता है। उन्होंने बताया कि पूर्व में जिन बच्चों को उपचार दिया गया, उसमें से कुछ बच्चे जो बैठ नहीं पाते थे, वे बैठने लगे हैं। क्योंकि ऑक्सीजन थैरेपी से बच्चे की बंद या काम नहीं कर रही मांसपेशियां खुलने लगती है, ओर धीरे धीरे बच्चा स्वस्थ्य होने लगात है। उन्होंने बताया कि इस थैरेपी के माध्यम से किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती है, साथ ही बच्चे के परिजन भी असानी से सीख कर अपने बच्चे से नियमित करवाएं तो बच्चा शीघ्र ही स्वस्थ्य हो जाता है।
एपीसी एसआर श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसे बच्चे जिनका जन्म से एक हाथ, एक पैर आदि काम नहीं कर रहा हो, यानि वह लकवे से ग्रस्त हो या मानसिक रूप से दिव्यांग हो, ऐसे बच्चों के लिए यह थैरेपी विशेष कारगर है, इस थैरेपी के माध्यम से अभी जनशिक्षा केंद्र स्तर पर शिविर लगाए जा रहे हैं, ताकि पहले वहां के बच्चों को लाभ मिले, फिर इसके बाद विकासखंड स्तर पर शिविर लगाए जाएंगे। उसके बाद जिला मुख्यालय पर संस्थान केंद्र पर शिविर लगाए जाएंगे। जहां दिव्यांगों को सीखने के लिए भरपूर संसाधन है। इस थैरेपी का लाभ लेने के लिए बच्चों के परिजन जनपद शिक्षा केंद्र या जिला शिक्षा केंद्र पर सम्पर्क कर सकते हैं।
पहली बार थैरेपी के माध्यम से हो रहा उपचार
जिले में मानसिक और लवके से जन्मजात पीडि़त बच्चों का थैरेपी से उपचार करने की पहल पहली बार की जा रही है। उन बच्चों के लिए यह थैरेपी काफी लाभदायक सिद्ध होगी, जिन बच्चों के परिजन अपने बच्चों को किसी कारणवश अन्यत्र उपचार के लिए या आवासीय छात्रावास में पढऩे या रहने के लिए नहीं छोड़ते हैं। जिससे वे शिक्षा की मुख्य धारा से भी वंचित रह जाते हैं। लेकिन इस थैरेपी का लाभ लेने के बाद वे स्वस्थ्य होने पर अपने अपने गांव और नगर में भी पढऩे जा सकेंगे।
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