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नीमच

बाबू सिंधी के मामले में पुलिस कार्रवाई पर उठे सवाल, कारतूस के बेल्ट के बारे में पुलिस ने नहीं किया पता

– मामला कुख्यात तस्कर बाबू सिंधी द्वारा पुलिस की मौजूदगी में 12 बोर बंदूक से केक काटने का

नीमचOct 20, 2021 / 08:24 pm

Virendra Rathod

बाबू सिंधी के मामले में पुलिस कार्रवाई पर उठे सवाल, कारतूस के बेल्ट के बारे में पुलिस ने नहीं किया पता

बाबू सिंधी के मामले में पुलिस कार्रवाई पर उठे सवाल, कारतूस के बेल्ट के बारे में पुलिस ने नहीं किया पता


नीमच। कुख्यात तस्कर बाबू सिंधी उर्फ जयकुमार सिंधी द्वारा 12 बोर बंदूक से केक काटने का वीडियो वायरल होने के बाद हरकत में आई नीमच सिटी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खडे हो रहे है। पुलिस ने वीडियो वायरल होने के बाद बाबू सिंधी के खिलाफ आम्र्स एक्ट की धारा 30 लगाई गई, इस धारा के अंतर्गत कोई लाईसेंसी बंदूक का इस तरह से इस्तेमाल करता है तो यह धारा लगती है। अब सवाल उठता है कि पुलिस को पहले से यह पता था कि जिस बंदूक से बाबू ने केक काटा था वह लाईसेंसी थी, तो फिर 4 दिन तक बाबू को पुलिस रिमांड पर क्यों रखा। पुलिस ने उस वक्त धारा 25 जो कि अवैध हथियार में धारा लगती है, यह क्यों नहीं लगाई।

प्राप्त जानकारी के अनुसार सुनियोजित तरीके से कागजी खानापूर्ति की जाने की खबर है। महिपालसिंह गुर्जर के नाम से लाईसेंसी बंदूक बताई गई। बंदूक का कारतूस से भरा पटटा पुलिस ने जब्त नहीं किया गया, जबकि वीडियो में स्पष्ट रूप से पटटा नजर आ रहा है। जो कि बाबू कंधे पर टांग कर बंदूक से केक काट रहा है। इस पूरे मामले में सवाल उठ रहा है कि पुलिस ने जो धारा लगाई, उसके मुताबिक पुलिस को पहले से पता था कि लाईसेंसी बंदूक थी। कुल मिलाकर बाबू के चार दिन के रिमांड की खानापूर्ति की गई। सूत्र बताते है कि रिमांड के बाहने अच्छी खासी जेब गर्म भी कुछेक लोगों की हो गई है। यहां तक की जिला के आला अफसर ने पूरे मामले में पुलिस की छवि को धूमिल करने वालों पर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। एक टीआई की मौजूदगी में कानून के साथ खिलवाड़ और पुलिसकर्मी एक तस्कर के साथ कानून का माखौल उड़ा रहे है, पूरा प्रकरण सामने आने के बाद उसी तस्कर को धारा ४१ का नोटिस देकर छोड़ दिया जाता है और पुलिसकर्मियों को सिर्फ लाइन अटैच किया जाता है। जो कि कोई दंड नहीं है। इतनी बड़ी वारदात के बाद तो पुलिसकर्मियों पर बर्खास्त की कार्रवाई होनी चाहिए। जिससे आमजन में पुलिस के प्रति विश्वास पैदा हो। अभी की घटनाक्रम से पुलिस की मिलीभगत साफतौर पर सामने आ रही है।

पत्रिका की लोक अभियोजक मनीष जोशी से बातचीत
पत्रिका- पुलिसकर्मी की बंदूक से केक काटने के मामले में पुलिस की कार्रवाई कहां तक सही है।

लोक अभियोजक जोशी- पुलिस ने मामले में तस्कर बाबू सिंधी पर धारा ३० के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया, वह भी तब जब बंदूक जब्त नहीं हुई थी। इसका मतलब पुलिस को पहले से पता था कि बंदूक पुलिस की लाइसेंसी है। महज धारा ४१ के नोटिस की कार्रवाई की गई। जब उन्हें पता है कि बंदूक लाइसेंसी है तो फिर चार दिन का रिमांड किस बात का लिया। केक काटने के वीडिया़े में बाबू सिंधी के कंधे पर कारतूस से भरा बेल्ट दिखा है। जिसे पुलिस ने जब्त नही किया। कारतूस जिंदा थे या कैसे थे, यह जानने की कोशिश भी नहीं की। जबकि पुलिस को कारतूस गिनकर मिलते है।

पत्रिका- पुलिसकर्मियों की हरकत सामने आई कि एक तस्कर के साथ मिलीभगत कर शासकीय हथियार उसे सौंपकर केक कटवा रहे, ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ क्या होना चाहिए।

लोक अभियोजक जोशी- सबसे बड़ी बात तो यह है कि लंबे समय से नीमच सिटी थाने के समीप यह अवैध तस्करी का काला कारोबार चल रहा है। जिला पुलिस ने एक भी प्रकरण एनडीपीएस में बाबू सिंंधी के खिलाफ दर्ज नहीं कर रखा है। जिससे साफतौर पर मिलीभगत उजागर हो रही है। उसके बाद जब वीडियो वायरल होने के बाद टीआई नरेंद्र सिंह ठाकुर और पुलिसकर्मियों की मौजूदगी तथा पुलिसकर्मी की बंदूक से केक काटने का मामला उजागर होने के बाद भी पुलिस ने अपनी छबि का ध्यान न रखते हुए केवल पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच किया है। लाइन अटैच कोई दंड नहीं है। इससे आमजन में पुलिस के खिलाफ अलग छवि बन रही है।

इनका यह कहना
बाबू सिंधी वाले मामले में पुलिस ने बंदूक और कारतूस का बेल्ट भी जब्त किया है। चंूकि वायरल वीडियो में पहले से पुलिसकर्मी दिख रहे थे। इसीलिए पुलिस को पता नहीं था कि वह लाइसेंसी है या नहीं। संभवत: पुलिसकर्मी की लग रही थी। इस हेतु पहले बड़ा केस धारा २५ दर्ज न करते हुए धारा ३० में प्रकरण दर्ज किया गया। जांच ेमें सामने आ गया कि पुलिसकर्मी की लाइसेंसी बंदूक थी। वहीं वीडियों में दिखने वाले सभी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर रखा है और विभागीय जांच चल रही है।
– सूरज कुमार वर्मा, एसपी नीमच।

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