पत्रिका से बातचीत के दौरान इंदिरा नगर निवासी प्राचार्य हरिशंकर शुक्ला ने बताया कि कोरोना काल में पर्यावरण की महत्ता का मौल बच्चे-बच्चे को पता चल गया है। ऑक्सीजन की कमी से कई अकारण काल के ग्रास बन गए। ऑक्सीजन का सबसे बड़ा स्रोत पेड़-पौधे है, जो कि दिन ब दिन घटते जा रहे है। यह पेड़-पौधे सदा ही हमे बहुत कुछ देते है, सिर्फ यह हमसे थोड़ा सा ही समय देखभाल का मांगते है। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी शांता शुक्ला भी अध्यापिका थी। जिनका निधन २०११ में हो गया। उन्होंने बागवानी का काफी शौक था। उनकी सहायता मैं सदा करता रहता था। उनके जाने के बाद भी मैने उनकी याद में इस हॉबी को जिंदा रखा है। जितने भी पौधे है, सभी गमले में उगाए है। जिसमें फूल, फल, औषधि और सब्जी के पौधे है। परिवार में उनका बेटा आदित्य शुक्ला और उनकी पत्नी उमा शुक्ला भी बागवानी में काफी मदद करते है। वह दोनों भी शासकीय अध्यापक है। पहलें में स्कूल में गणित का अध्यापक होने के बावजूद बच्चों को पर्यावरण का पाठ जरूर पढ़ाता था। अब बेटा बहू भी पर्यावरण बनाए रखने के लिए बच्चों को भी प्ररेणा देेते हैं। उन्होंने बताया कि गल्र्स हायर सैंकेंडरी स्कूल में उन्होंने करीब ५०० नीम के पौधे लगवाए थे। उनके शासकीय जीवन में वह करीब सात स्कूलों में रहें और सभी में पौधे लगवाए हैं।
खासकर सभी प्रकार के गमले में पौधे लगा सकते है
प्राचार्य शुक्ला ने बताया कि बिना फलदार फूूल के पौधे उन्होंने अपने घर के सामने लगाए है। जिससे खाकसर रातरानी, गुलाब, मोगरा, गेंदा, सेंवती, एमटोनिया, ऑफिसटाइज कीखूशबू बिखरती रहती है और यह काफी अच्छे चलते है। सभी ऑक्सीजन पौधे है, जो कि २४ घंटे ऑक्सीजन देते है। मनी प्लांट की करीब पांच तरह के पौधे है। औषधि में शूगर प्लांट, मीठा नीम, अश्वगंधा, तुलसी, ग्वारपाठा, गिलॉय के पौधे गमलों में लगा रखे है। उन्होंने बताया कि मीठा नीम के पत्ते खाने से बीपी कंट्रोल रहता है। शूगर प्लांट का खाली पेट एक पत्ता रोज खाएं शूगर कंट्रोल रहता है। ऐसे सभी औषधि पौधों की अलग-अलग तासिर है। इसके अलावा छत पर फल व सब्जी की बागवानी गमलों में कर रखी है। जिसमें खासकर एप्पल बेर, चीकू, अनार, नींबू, केला और अमरूद के पौधे लगे है। जिनमें फल भी आ रहें है। वहीं लोकी, गिलकी, अरबी, गोभी, अदरक, भिंडी, पालक, चौलाईफली, धनिया, पौदिना, मिर्ची, टमाटर, बैंगन, मूली, प्याज और लहसुन के पौधे भी लगा रखे है। वह कहते है कि घर की सब्जी यही से बन जाती है।
गमला की बागवानी में खास यह ध्यान रखे
प्राचार्य शुक्ला ने कहा कि पेड़-पौधों में जीव होता है, जिस प्रकार मनुष्य के लिए संतुलित आहार की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार पेड़-पौधों को भी आवश्यकता होती है। खासकर पौधे लगाने से पहले मिट्टी अच्छी तैयार करें। ध्यान रखे कि जितनी काली मिट्टी ली है, उसमें २० प्रतिशत बालू होना चाहिए। वहीं १० प्रतिशत केचुआ खाद का मिश्रण कर गमले में पौधा लगाए। वहीं कीटो से बचाव के लिए पौधों पर नीम के तेल व राख का छिड़काव करना चाहिए। जिससे उन्हें कोई रोग न लगे। फल देने के समय में सही मात्रा में पोटाश भी देना चाहिए। जिससे पौधे के फल व पत्ती में चमक बनी रहती है।