यह हालात किसी गांव खेड़े के विद्यालय का नहीं, बल्कि शहर के बीचों बीच स्थित प्राथमिक विद्यालय आयोध्या बस्ती के हैं। जहां करीब ११५ बच्चे अध्यनरत हैं। लेकिन सुविधाओं के नाम पर उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। विद्यालय की जर्जरता से लेकर पेयजल संकट का सामना बच्चे से लेकर स्टॉफ तक सभी करते हैं। लेकिन उनकी सुध अभी तक किसी ने नहीं ली। ऐसे में कहने को चार बड़े बड़े हाल होने के बावजूद मजबूरी में एक कक्ष में सभी बच्चों को बिठाकर पढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
केस 1. यूं तो विद्यालय में करीब सवा सौ बच्चे अध्यनरत हैं। लेकिन शनिवार को मात्र ५० बच्चे ही उपस्थित हुए। क्योंकि शुक्रवार को बारिश के चलते छुट्टी घोषित हो चुकी थी, वहीं रविवार को शासकीय अवकाश है, ऐसे में बीच में एक दिन के लिए विद्यालय आने में बच्चों की रूचि न के बराबर नजर आई। यह आयोध्या बस्ती स्थित विद्यालय का सबसे बड़ा हाल है इसी में शाला प्रधान का ऑफिस है तो वहीं पर बच्चों को बिठाकर पढ़ाने से लेकर भोजन कराने तक के सभी काम किए जाते हैं। क्योंकि अन्य कक्षों में बच्चों को बिठाने लायक स्थिति नहीं है। लेकिन इस छत से भी लगातार पानी की बूंदे टपक रही थी।
केस 2. आयोध्या बस्ती प्राथमिक विद्यालय दो भागों में बटा है, एक तरफ एक बड़ा हाल है तो दूसरी ओर तीन कक्ष एक साथ हैं। इन तीन कक्षों में से एक कक्ष की स्थिति बहुत दयनीय है, क्योंकि वहां दीवार पर कजी जमी होने के साथ ही दीवार से लेकर छत तक सभी जर्जर है। वहीं अन्य दो कक्ष भी बारिश के दौरान बदहाली का शिकार हो रहे हैं। क्योंकि स्वछंद विचरण करने वाले पशुओं का जमावड़ा होने के कारण वहां गंदगी का परचम लहरा गया है। ऐसे में जब शनिवार को नजर डाली तो तीनों कक्ष में ताले लटके नजर आए।
केस 3. यादव मंडी में बीच सड़क पर स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय विद्या मंदिर यादव मंडी में कहने को तो करीब 123 बच्चे दर्ज हैं। लेकिन शनिवार को मात्र 38 बच्चे ही उपस्थित हुए। इस विद्यालय में चार दीवारी के अभाव में बच्चों को खेलकूद के लिए कहीं स्थान नहीं मिलता है। वहीं बारिश के दौरान विद्यालय के कई कक्षों में पानी टपक रहा है। जिससे इस विद्यालय में भी कई कक्ष ताले में बंद हैं।
आयोध्या बस्ती में गहरा रहा पेयजल संकट
जहां बारिश के दौरान चहुं ओर पानी ही पानी नजर आ रहा है। वहीं अयोध्या बस्ती विद्यालय में भर बारिश में पेयजल संकट गहरा रहा है। क्योंकि यहां नियमित पानी आने के लिए कोई नल नहीं है। ऐसे में जब कभी नपा का टैंकर पानी भर जाता है तो उससे कही कई दिनों तक काम चलना पड़ता है। इस कारण अधिकतर बच्चों को भी घर से पानी लाना पड़ता है।
हादसे के बाद भी नहीं हो रहा सुधार कार्य
करीब 20 दिन पहले रतनगढ़ के प्राथमिक विद्यालय देवपुरा की छत गिरने से करीब चार बच्चों को गंभीर चोटें आई थी। उम्मीद थी इसके बाद जिम्मेदार ध्यान देंगे और जर्जर विद्यालयों का सुधार होगा, लेकिन आश्चर्य की बात है कि बड़ा हादसा होने के बावजूद भी जिले के अन्य जर्जर विद्यालयों की ओर किसी का ध्यान नहीं है।
113 विद्यालय किए हैं मरम्मत के लिए चिन्हित
४० विद्यालयों में मरम्मत की राशि स्वीकृत होने पर उन विद्यालयों में काम करवा दिया गया है। जिले में करीब 113 विद्यालय चिन्हित किए गए हैं। जिनमें मरम्मत की आवश्यकता है। उन सभी की नोटशीट बनाकर कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी। इन विद्यालयों में करीब एक करोड़ रुपए की लगात से सुधार होना है। स्वीकृति मिलने के बाद सभी 113 विद्यालयों में सुधार कार्य करवाया जाएगा।
-डॉ पीएस गोयल, डीपीसी