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सिविल सर्जन के सख्त निर्णय से चिकित्सकों में मचा हड़कंप

locationनीमचPublished: Feb 16, 2020 01:24:17 pm

Submitted by:

Mukesh Sharaiya

जिला चिकित्सालय में दो महिला चिकित्सक बिना सूचना के अनुपस्थितएक महिला चिकित्सक ने अस्पताल परिसर में लिया मकान दे रखा है किराए पर

 Strict decision of civil surgeon created a stir among doctors

जिला चिकित्सालय परिसर में इस मकान को महिला चिकित्सक डा. नमिता ओझा को आवंटित किया गया है।

नीमच. जिला चिकित्सालय में सिविल सर्जन ने व्यवस्था में बदलाव क्या किया सरकारी चिकित्सकों के माथे पर बल पड़ गए। बिना आवेदन के लम्बे समय से दो महिला चिकित्सक अस्पताल में अनुपस्थित चल रही हैं। जानकारी लेने पर पता चला कि सिविल सर्जन ने मरीजों की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए व्यवस्था में बदलाव किया है। इसी के परिणाम स्वरूप महिला चिकित्सकों की निजी प्रेक्टिस प्रभावित हो रही थी। चर्चा यह भी चल रही है कि अब दोनों महिला चिकित्सक शासकीय सेवा से त्यागपत्र भी दे सकती हैं। दोनों के अपने निजी अस्पताल तैयार हो रहे हैं।
अनिवार्य की सुबह 9 से शाम 4 उपस्थिति
जिला चिकित्सालय में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। दूसरी ओर अस्पताल चिकित्सकों की कमी से भी जूझ रहा है। इस बात को और मरीजों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सिविल सर्जन डा. बीएल रावत ने पूर्व में चली आ रही व्यवस्था में बदलाव किया है। तीन महिला चिकित्सक हैं। एक की ओपीडी में और दो अन्य की नसबंदी व प्रसूति वार्ड में आवश्यकता पड़ती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए चिकित्सकों की सुबह 9 से शाम 4 बजे चिकित्सकों की उपस्थिति अनिवार्य की है। चिकित्सक यह चाह रहे हैं कि उनकी ड्यूटी 24 घंटे की लगाई जाए जिससे दूसरे दिन उन्हें आराम करने को मिल जाए। चिकित्सक ऐसा इसलिए चाह रहे हैं ताकि उनकी निजी प्रेक्टिस पर प्रतिकूल असर नहीं पड़े। नई व्यवस्था से मरीजों की प्रेेक्टिस प्रभावित हो रही है। इसके चलते उन्होंने बिना अनुमति अस्पताल में आना बंद कर दिया। उनका वेतन काटा जा रहा है, लेकिन माहौल ऐसा बनाया जा रहा है कि सिविल सर्जन मनमानी कर रहे हैं। जबकि अस्पताल में मरीजों का उपचार नहीं होने से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
मकान में रहती नहीं फिर भी आवंटन
जिला चिकित्सालय परिसर में एक महिला चिकित्सक डा. नमिता ओझा को मकान आवंटित किया हुआ है। इस मकान में वे लम्बे समय से नहीं रह रही है। उन्होंने एक प्रकार से कब्जा कर रखा है। इसकी जानकारी सिविल सर्जन डा. रावत को भी है, लेकिन वे भी यह कहकर कि नोटिस जारी किया जाएगा अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही हैं। जबकि यही महिला चिकित्सक लम्बे समय से बिना सूचना के अस्पताल से अनुपस्थित हैं और उनका वेतन काटा जा रहा है। इससे ही यह प्रमाणित होता है कि अस्पताल प्रबंधन एक ओर सख्ती की बात करता है तो दूसरी ओर उन्हीं चिकित्सकों पर मेहरबानी भी कर रहा है। चौकाने वाली बात तो यह है कि डा. रावत को यह पता है कि जो मकान डा. ओझा को आवंटित किया है उसमें वे नहीं कोई और रह रहा है, लेकिन उसे इसलिए खाली नहीं करवा रहे हैं क्योंकि डा.ओझा ने कहा है कि वे यहां आकर रहेंगी। कब रहेंगी इसकी जानकारी किसी को नहीं है।
मरीजों की सुविधा के लिया किया व्यवस्था में बदलाव
पहले से जो व्यवस्था चली आ रही थी। उसमें बदलाव किया है। चिकित्सक 24 घंटे की ड्यूटी चाहती थीं ताकि दूसरे दिन पूरे दिन की आराम करने को मिले। व्यवस्था बदलने से उनकी निजी प्रेक्टिस प्रभावित हो रही है। इसके चलते दो महिला चिकित्सक डा. प्रियंका जोशी और डा. नमिता ओझा पिछले कुछ दिनों से अस्पताल नहीं आ रही हैं। दोनों ने इस्तीफा देने का निर्णय लिया है तो इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है। उनकी अनुपस्थिति लगाई जा रही है। अस्पताल में सुबह 9 से शाम 4 बजे तक मरीजों की संख्या अधिक रहती है। मरीजों की सुविधा से समझौता नहीं किया जा सकता। नई व्यवस्था में मरीजों की सुविधा के लिए चिकित्सकों को सुबह 9 से शाम 4 अस्पताल में आना होगा।
– डा. बीएल रावत, सिविल सर्जन जिला चिकित्सालय
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