पत्रिका को जानकारी देते हुए सांवलिया सेठ मंदिर के पुजारी द्वारकादास वैष्णव ने बताया कि सभी बाते बेबुनियाद है, वास्तविकता यह है कि पुजारी के द्वारा किसी भी यात्री से वागा प्राप्त नहीं हुआ है। बल्कि दिनांक १ अक्टूबर २०२० को पुजारी द्वारकादास ने अपने पुत्र कमलेश वैष्णव के जरिए अपने स्वयं के खर्च पर नीमच से वागा चांदी का तैयार करवाया था। जिसके लिए मंडल की किसी भी प्रकार से अनुमति की जरूरत नहीं है। क्योकि सांवलिया जी मंदिर के गर्भगृह में मूर्ति की सेवा पूजा एंव साज श्रृंगार व आरती संबंधित समस्त कार्याे का दायित्व मंदिर मंडल की परम्परा के अनुसार ओसरा पुजारी का होता है। नीमच में गोपाल सोनी से बनवाई गई पोशाक का बिल भी उनके नाम पर ही है। इंदौर के एक श्रद्धालू ने मंदिर पर पूजा करने आने के दौरान पुजारी की सहायता अनुरूप पोशाक मंदिर तक पहुंचाई थी। जिसके बाद भ्रामकता फैला दी गई कि इंदौर के व्यापारी ने पोशाक चढ़ाई है। पोशाक करीब ३ किलो ७२० ग्राम चांदी से तैयार हुई थी।