scriptतीन दिवसीय जिनेन्द्र भक्ति महोत्सव प्रारंभ | Three-day Jainendra Bhakti festival commences | Patrika News

तीन दिवसीय जिनेन्द्र भक्ति महोत्सव प्रारंभ

locationनीमचPublished: Jun 02, 2018 10:21:14 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

पीयूषचन्द्र विजयमसा एवं रजतचन्द्र विजयजी मसा, उपाध्यक्ष दिव्यचंद्र विजयजी मसा आदि ठाणा का हुआ मंगल प्रवेश

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शनिवार को मुनिश्री का हुआ मंगल नगर प्रवेश।

नीमच. शनिवार से ३ दिवसीय जिनेन्द्र भक्ति महोत्सव का आयोजन नगर के श्री शंखेश्वर पाशर्वनाथ मंदिर राठौर परिसर के पास आयोजित किया जा रहा है। इस दौरान पीयूषचन्द्र विजयमसा एवं रजतचन्द्र विजयजी मसा, उपाध्यक्ष दिव्यचंद्र विजयजी मसा आदि ठाणा का शनिवार की सुबह 7 बजे नगर में मंगल प्रवेश हुआ।
मंगल प्रवेश के दौरान नवकारसी आयोजन सुबह 7 से 8 बजे किया गया। इसके बाद मंगल प्रवेश यात्रा का प्रारंभ बारादरी से शुरू हुआ जो नयाबाजार, घंटाघर होते हुए श्री भीड़भंजन पार्शवनाथजी मंदिर पुस्तक बाजार होते हुए श्री शंखेश्वर पाशर्वनाथ मन्दिर पूर्ण हुई। इस दौरान नगर में रास्ते भर जगह-जगह मसा की मंगल प्रवेश यात्रा का स्वागत किया गया। श्री शंखेश्वर पाशर्वनाथ मंदिर के सामने राठौर परिसर में मंगल प्रवचन का आयोजन हुआ। मंगल प्रवचन के दौरान पीयूषचंद्र विजयमसा, रजतचन्द्र विजयमसा ने बताया कि जिनेंद्र भक्ति महोत्सव का आयोजन इसलिए होता है कि जो दुख है वह खत्म हो जो शाश्वत सुख है वह हमें प्राप्त हो। हमारे जीवन की बड़ी भूल यह है कि हम संसार के थोड़े से सुख पाने के लिए बहुत सारे दुखों को निमंत्रण देते। हर व्यक्ति किसी न किसी दुख से पीडि़त है। जैन भक्ति महोत्सव के अंदर परमात्मा के कल्याणों का सार है। यह जैन भक्ति महोत्सव अनंत भव्य दुख की परंपरा को खत्म करने में समर्थ है। हमारे जीवन की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि हमें संसार के पदार्थों में सुख नजर आता है। धर्म करने में हमें सुख नजर नहीं आता, हमारे आंखों पर ऐसी पट्टी बंधी हुई है। हम यह जानते हैं कि हम मानव हैं और मानव जीवन में बुद्धि का पूर्ण विकास है, लेकिन फिर भी यह बुद्धि कभी-कभी आंखों पर पट्टी बांध लेती है। हमें पता है हमें पाप के सिवाए दुख के सिवाय और कुछ मिलने वाला नहीं है। धन कमाने के लिए आदमी शरीर को धोखा देता है, फिर बीमारी से वापस शरीर को पाने के लिए धन खो देता है तो आपके क्या हाथ आया। आराम से जीवन जीने के लिए धर्म की शरण में जाएं। धर्म को समय दें धर्म आपको समय देगा। परमात्मा की शरण ही ऐसी है जहां पर वास्तविक सुख मिल सकता है। हम परमात्मा से कहते हैं कि हमारी रक्षा करो पर प्रभु हमारी रक्षा जब करते हैं जब हम उनके केंद्र बिंदु में रहते हैं। पैसे से आपको सुविधा मिल सकती है पर सुविधा के अलावा जो कुछ न दे वह पैसा और जो सुविधा के साथ सुरक्षा दे उसका नाम है पुण्य। सुरक्षा पुण्य के अधीन है। पुण्य तत्व जब तक हमारे साथ है हमारी सुरक्षा है और जैसे ही पुण्य खत्म हुआ कि अपना सुरक्षाकर्मी ही गोली मारने को तैयार हो जाता है। पीयूषचन्द्र विजयमसा, रजतचन्द्र विजय, मसा के मंगल प्रवचन के बाद दोपहर 12.40 बजे से श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान महापूजन का आयोजन शनि दोष निवारण के लिए किया गया। इस महापूजन में विराजित प्रत्येक जोड़े को कछुए पर विराजित भगवन की प्रतिमा प्रदान की गई। इसके बाद देर शाम 8 बजे ‘माता-पिता मेरे भगवानÓ विषय पर विशेष प्रवचन का आयोजन किया गया। रविवार सुबह 8 बजे रिद्धि-सिद्धि लब्धि प्रदाता गौतम स्वामी महापूजन का आयोजन होगा। इस महापूजन में विराजित प्रत्येक जोड़े को श्री गौतम स्वामी की प्रतिमा एवं चांदी के लब्धि कलश दी जाएगी। रविवार रात 8 बजे ‘शब्द जहर-शब्द अमृतÓ विषय पर विशेष प्रवचन होंगे।का आयोजन होगा।
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