जिले में उर्वरकों के भंडारण और वितरण पर एक नजर
उर्वरकों के नाम लक्ष्य भंडारण वितरण
यूरिया सहकारी 12500 14054 12880
यूरिया निजी 12500 4706 4550
कुल 25000 18760 17430
(आंकड़े 11 दिसंबर तक मेट्रिक टन में)
जिले में इस बार करीब 12 हजार 500 मेट्रिक टन यूरिया का लक्ष्य था। जिसमें प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था के माध्यम से जिले में कुल 12 हजार 880 मेट्रिक टन यूरिया का वितरण किया जा चुका है। इस मान से जिले में लक्ष्य से काफी अधिक वितरण किया जा चुका है। चूकि वैसे ही जिले में करीब 330 मेट्रिक टन यूरिया का वितरण अधिक हो चुका है। लेकिन फिर भी जिले में यूरिया की किल्लत नजर आ रही है। इससे पता चला रहा है कि यूरिया किसानों द्वारा अधिक मात्रा में दिया जा रहा है।
100 किलो प्रति हेक्टेयर यूरिया की आवश्यकता
कृषि वैज्ञानिक डॉ श्यामसिंह सारंग देवोत ने बताया कि किसान यूरिया पर्याप्त मात्रा में दें, वर्तमान में गेहूं, लहसुन में करीब 100 किलो प्रति हेक्टेयर के मान से यूरिया देना चाहिए। अधिक मात्रा में यूरिया फसल के लिए नुकसानदायक रहता है।
वर्जन.
इस बार बारिश अधिक होने के कारण फसल का रकबा बड़ा है। जिससे जिले में यूरिया की डिमांड भी बड़ी है। किसानों को भी जागरूक होना चाहिए। फसल को जितनी मात्रा में खाद उर्वरकों की उपयोगिता है उतनी ही मात्रा में छिड़काव करें। अधिक मात्रा में यूरिया देने से पौधे बड़ जाते हैं। लेकिन फलियां उस अनुपात में नहीं बन पाती है। वैसे यूरिया लगातार आ रहा है बाय रोड भी आ रहा है रेक के माध्यम से भी आ रहा है।
-एसएस चौहान, उप संचालक कृषि
इस बार बारिश अधिक होने के कारण फसल का रकबा बड़ा है। जिससे जिले में यूरिया की डिमांड भी बड़ी है। किसानों को भी जागरूक होना चाहिए। फसल को जितनी मात्रा में खाद उर्वरकों की उपयोगिता है उतनी ही मात्रा में छिड़काव करें। अधिक मात्रा में यूरिया देने से पौधे बड़ जाते हैं। लेकिन फलियां उस अनुपात में नहीं बन पाती है। वैसे यूरिया लगातार आ रहा है बाय रोड भी आ रहा है रेक के माध्यम से भी आ रहा है।
-एसएस चौहान, उप संचालक कृषि