scriptदीन दुखी की सेवा किए बिना नहीं हो सकता मानव जीवन का कल्याण | Welfare of human life cannot happen without serving the poor | Patrika News

दीन दुखी की सेवा किए बिना नहीं हो सकता मानव जीवन का कल्याण

locationनीमचPublished: Nov 26, 2022 08:09:16 pm

Submitted by:

Mukesh Sharaiya

नीमच. दीन दुखी की सेवा किए बिना मानव जीवन का कल्याण नहीं होता है। गरीबों के आंसू पोछना और उनकी समस्या का निराकरण करना भी मानव धर्म होता है। माता-पिता की सेवा, मित्र के साथ मित्रता का व्यवहार मानव धर्म होता है। दुश्मनी को मिटाना भी मानव धर्म होता है।

दीन दुखी की सेवा किए बिना नहीं हो सकता मानव जीवन का कल्याण

धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वीश्रीजी।

यह बात साध्वी जयश्री महाराज साहब ने कही। वे वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ नीमच छावनी द्वारा जैन कॉलोनी वीर पार्क रोड स्थित जैन स्थानक भवन में आयोजित धर्मसभा में बोल रहीं थी। उन्होंने कहा कि नमक का स्वभाव खारा, मिर्ची का स्वभाव तीखा, मिश्री का स्वभाव मीठा, आगका स्वभाव जलाना, पानी का स्वभाव ठंडा करना, नींबू का स्वभाव खट्टा, नीम का स्वभाव कड़वा और मानव का स्वभाव धर्म का पालन कर दुखी पीडि़त प्राणी की सच्ची सेवा करना होता है। नींबू अपना स्वभाव नहीं छोड़ता है। इस प्रकार मानव को भी अपना स्वभाव नहीं छोडऩा चाहिए और दूसरों की भलाई करना चाहिए। संसार में एकमात्र मानव ऐसा प्राणी है जिसका स्वभाव परिवर्तनशील होता रहता है। दुनिया में 363 धर्म व 36 संप्रदाय हैं। मनुष्य चिंतन में रहता है कि किस संप्रदाय को माने मानव मात्र की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म होता है। मुपती बांधना स्थानक में आना-जाना ही धर्म नहीं होता है। संतों की वाणी सुनना, गरीबों के आंसू पोछना दुख दूर करना भी धर्म होता है। गरीबों की सहायता करना भी धर्म होता है। घर में संयम नियम संयम का पालन करना चाहिए तभी आत्मा का कल्याण हो सकता है। साध्वी राजश्री ने कहा कि संसार में मनुष्य अपने स्वार्थ और लालच के लिए जागता है, लेकिन धर्म कर्म का नाम आते ही पीछे हट जाता है। जिस प्रकार चोर चोरी करने के लिए जागता है। लोभी व्यक्ति लाभ के लिए जागता है। दुकानदार ग्राहक के लिए जागता है। लोभ से नींद दूर हो जाती है। राजा की संपत्ति गरीब और दुखी जनता की भलाई के लिए होती है किसी लालची को सहयोग करने के लिए नहीं होती। संसार में कई लोगों के पास करोड़ों की संपत्ति होती है, लेकिन अच्छा भोजन ग्रहण नहीं कर सकता। धन संपत्ति का सदुपयोग दान करने के बाद होता है। भोग विलास करने के बाद नहीं होता है। धनका विनाश लोगों ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लगाई गई नोटबंदी के दौरान देखा था। व्यक्ति धन के लिए समय का नाश कर देता है। समयक दृष्टि ज्ञान पंच महाव्रत धारी बनना चाहिए। चोर चोरी करने के बाद भी सच नहीं बोलता है। व्यक्ति गिरने के बाद कहता है नहीं लगी है। वह सच बोलने का साहस नहीं कर सकता। संसार में रहकर भी मनुष्य घर में स्वाध्याय कर अपनी आत्मा का कल्याण कर सकता है।
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