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ऐसे शर्मनाक हों सरकारी टेस्ट, तो कौन ले सरकार की परीक्षा

locationनीमचPublished: Feb 17, 2016 02:10:00 pm

राजस्थान वन विभाग में वनपाल पद के लिए हो रही शारीरिक दक्षता परीक्षा में महिला अभ्यार्थियों के शरीर का मापतौल पुरुष कर्मचारियों द्वारा किया गया।

जहां एक ओर सरकार महिलाओं का सम्मान करने और उनकी रक्षा करने के लिए जोर-शोर प्रचार कर रही है, दूसरी ओर प्रदेश में वनपाल की परीक्षा के दौरान महिलाओं के साथ अपमानजनक घटना सामने आई है। राजस्थान वन विभाग में वनपाल पद के लिए हो रही शारीरिक दक्षता परीक्षा में महिला अभ्यार्थियों के शरीर का मापतौल पुरुष कर्मचारियों द्वारा किया गया। यह नियमों के उल्लंघन के साथ ही महिलाओं के अधिकारों का हनन है। नियमों के मुताबिक ऐसी किसी भी परीक्षा में महिला अभ्यार्थियों के शरीर का मापतौल केवल महिला कर्मचारी ही कर सकती है।

मामले पर एक नजर…
चितौडग़ढ़ में वनपाल पद के लिए लड़कों और लड़कियों की शारीरिक दक्षता परीक्षा चल रही थी। जहां लड़कों के शरीर का मापतौल पुरुष कर्मचारी द्वारा किया जा रहा था। महिला अभ्यार्थियों के शरीर का मापतौल महिला कर्मचारी की जगह पुरुष कर्मचारी ही कर रहा था। यह घटना एक कैमरे में कैद हो गई, जिसमें साफ-साफ दिख रह रहा है कि महिला अभ्यार्थियां असहज महसूस कर रही हैं। लेकिन न तो उस पुरुषकर्मी को शर्म आई और न ही वहां मौजूद अधिकारियों को। हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि जहां पर पुरुष कर्मचारी महिला अभ्यार्थियों के शरीर का मापतौल कर रहा था, वहां उसके साथ एक महिला कर्मचारी भी मौजूद थी। महिला कर्मचारी इसका विरोध करने की बजाए अभ्यार्थियों को दिशा निर्देश देने में लगी रही।

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घटना पर वनमंत्री राजकुमार रिणवा का कहना है कि महिला डॉक्टर चाय पीने चली गई थी, जिसके पीछे से पुरुष कर्मचारियों ने महिला अभ्यार्थियों के शरीर का मापतौल लेना शुरू कर दिया। साथ ही उनका कहना है कि प्रारंभिक तौर पर उस केंद्र का नेतृत्व कर रहे डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया है। मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी गई है। इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित काररवाई की जाएगी।

विरोध क्यों नहीं?
विशेषज्ञों ने बताया कि सामने आई वीडियो में लड़कियां असहज महसूस करते जरूर नजर रही हैं, शायद इसे नौकरी का लोभ कहें या बेरोजगारी की मजबूरी। लेकिन उनका विरोध इसमें कहीं भी नजर नहीं आ रहा। आज के वक्त सरकारी नौकरी को लेकर युवाओं में बहुत ज्यादा कॉम्पीटिशन है, ऐसे में अभ्यार्थी परीक्षा देने एक ही सोच के साथ आता है कि उसे यह नौकरी कैसे न कैसे पानी है। ऐसे में चाहे उसे किन्हीं भी परिस्थितियों से गुजरना पड़ा। उनके दिमाग में केवल सरकारी नौकरी पाना ही मकसद होता है।

अब देखना ये है कि इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ प्रशासन कितनी कठोर कार्रवाई करता है, ताकि आगे से ऐसी शर्मनाक घटना न दोहराई जाए।

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