25 वर्ष के लिए 117 हेक्टेयर जमीन की थी आवंटित
पूर्व सीएम ने पत्र के माध्यम से फर्शी खदानों को पुन: प्रारंभ किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि उक्त क्षेत्र में 117 हेक्टेयर में संचालित फर्शी पत्थर खदान से आसपास के हजारों परिवारों की रोजी-रोटी चल रही है। उन्हें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिल रहा है। ऐसे में उच्च न्यायालय की मंशा के अनुरूप शासन स्तर से निर्णय लेकर गरीब, श्रमिक और मजदूरों के पक्ष में फर्शी खदान तत्काल प्रारंभ कराने के निर्देश देने का कष्ट करें। पत्र में राज्यसभा सांसद ने लिखा है कि मेरे मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान वर्ष 18 में सुवाखेड़ा क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 117 हेक्टेयर जमीन फर्शी पत्थर उत्खनन के लिये इंदिरा पत्थर श्रमिक सहकारी सोसायटी को आवंटित की गई थी। श्रमिक वर्ग में सहकारिता की भावना के अनुरूप स्वत: खदान चलाने के लिए पहले सहकारी समिति गठित कराई गई फिर 25 वर्ष के लिए 117 हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई थी। सहकारिता क्षेत्र में किया गया यह प्रयोग बहुत सफफल रहा है। सैकड़ों श्रमिक परिवारों ने मिलकर पत्थर खदान चलाई और प्रतिवर्ष आपस में लाभांश वितरित किया। कोरोना संक्रमण का दिखाई दिया असर कोरोना संक्रमण काल के दौरान सहकारी समिति खदान में पत्थर होने के बाद भी बिक्री कमजोर होने से खनिज विभाग को समय पर अनिवार्य भाटक जमा नहीं कर सकी। इस बीच खनिज विभाग ने फर्शी पत्थर के साथ साथ खंडा, गिट्टी और डस्ट जैसे खनिजों का आंकलन कर समिति से 5 करोड़ 31 लाख रुपए जमा करने के लिए नोटिस जारी कर दिया। कोरोनाकाल में शासन ने सभी तरह के व्यवसायों को बकाया जमा करने की रियायतें दी थी। श्रमिकों की इस सहकारी समिति को कोई रियायत नहीं दी गई, जबकि समिति की ओर से 24 जनवरी 2022 को पत्र लिखकर शेष अनिवार्य भाटक एक करोड़ 77 लाख रुपए दो किश्तों में जमा करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।
पूर्व सीएम ने पत्र के माध्यम से फर्शी खदानों को पुन: प्रारंभ किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि उक्त क्षेत्र में 117 हेक्टेयर में संचालित फर्शी पत्थर खदान से आसपास के हजारों परिवारों की रोजी-रोटी चल रही है। उन्हें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिल रहा है। ऐसे में उच्च न्यायालय की मंशा के अनुरूप शासन स्तर से निर्णय लेकर गरीब, श्रमिक और मजदूरों के पक्ष में फर्शी खदान तत्काल प्रारंभ कराने के निर्देश देने का कष्ट करें। पत्र में राज्यसभा सांसद ने लिखा है कि मेरे मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान वर्ष 18 में सुवाखेड़ा क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 117 हेक्टेयर जमीन फर्शी पत्थर उत्खनन के लिये इंदिरा पत्थर श्रमिक सहकारी सोसायटी को आवंटित की गई थी। श्रमिक वर्ग में सहकारिता की भावना के अनुरूप स्वत: खदान चलाने के लिए पहले सहकारी समिति गठित कराई गई फिर 25 वर्ष के लिए 117 हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई थी। सहकारिता क्षेत्र में किया गया यह प्रयोग बहुत सफफल रहा है। सैकड़ों श्रमिक परिवारों ने मिलकर पत्थर खदान चलाई और प्रतिवर्ष आपस में लाभांश वितरित किया। कोरोना संक्रमण का दिखाई दिया असर कोरोना संक्रमण काल के दौरान सहकारी समिति खदान में पत्थर होने के बाद भी बिक्री कमजोर होने से खनिज विभाग को समय पर अनिवार्य भाटक जमा नहीं कर सकी। इस बीच खनिज विभाग ने फर्शी पत्थर के साथ साथ खंडा, गिट्टी और डस्ट जैसे खनिजों का आंकलन कर समिति से 5 करोड़ 31 लाख रुपए जमा करने के लिए नोटिस जारी कर दिया। कोरोनाकाल में शासन ने सभी तरह के व्यवसायों को बकाया जमा करने की रियायतें दी थी। श्रमिकों की इस सहकारी समिति को कोई रियायत नहीं दी गई, जबकि समिति की ओर से 24 जनवरी 2022 को पत्र लिखकर शेष अनिवार्य भाटक एक करोड़ 77 लाख रुपए दो किश्तों में जमा करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।
न्यायालय ने सुनाई समिति के पक्ष में फैसला
सहकारी क्षेत्र की श्रमिक संस्था को दो किश्तों में बकाया जमा करने की मोहलत देने की जगह खनिज विभाग ने इ-पोर्टल पर समिति का नाम ब्लॉक कर दिया। जिससे रायल्टी की टीपी बनना बंद हो गई। विभाग और शासन स्तर पर जब सुनवाई नहीं हुई तो सहकारी समिति ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। जहां से समिति के पक्ष में फैसला आया। माननीय न्यायालय ने समिति से 2 किश्तों में बकाया जमा कराने का निर्णय सुनाया। समिति ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा कि फर्शी खदान बंद होने से सैकड़ों मजदूर परिवारों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। उनका लाखों रुपए का पत्थर खदान में है और चोरी की स्थिति बन रही है। कोर्ट के निर्णय के बाद भी खनिज विभाग ने इ-पोर्टल पर समिति की इटीपी विंडो अभी तक नहीं खोली है। पत्र के माध्यम से पूर्व सीएम सिंह ने उच्च न्यायालय की मंशा के अनुरूप शासन स्तर से निर्णय लेकर गरीब, श्रमिक और मजदूरों के पक्ष में फर्शी खदान तत्काल प्रारंभ कराने के निर्देश देने के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से कहा है।
सहकारी क्षेत्र की श्रमिक संस्था को दो किश्तों में बकाया जमा करने की मोहलत देने की जगह खनिज विभाग ने इ-पोर्टल पर समिति का नाम ब्लॉक कर दिया। जिससे रायल्टी की टीपी बनना बंद हो गई। विभाग और शासन स्तर पर जब सुनवाई नहीं हुई तो सहकारी समिति ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। जहां से समिति के पक्ष में फैसला आया। माननीय न्यायालय ने समिति से 2 किश्तों में बकाया जमा कराने का निर्णय सुनाया। समिति ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा कि फर्शी खदान बंद होने से सैकड़ों मजदूर परिवारों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। उनका लाखों रुपए का पत्थर खदान में है और चोरी की स्थिति बन रही है। कोर्ट के निर्णय के बाद भी खनिज विभाग ने इ-पोर्टल पर समिति की इटीपी विंडो अभी तक नहीं खोली है। पत्र के माध्यम से पूर्व सीएम सिंह ने उच्च न्यायालय की मंशा के अनुरूप शासन स्तर से निर्णय लेकर गरीब, श्रमिक और मजदूरों के पक्ष में फर्शी खदान तत्काल प्रारंभ कराने के निर्देश देने के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से कहा है।