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Video: यहां एक गरीब महिला प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही की चढ़ गई भेंट

locationनीमचPublished: Jan 12, 2019 10:38:50 pm

Submitted by:

Mukesh Sharaiya

ऐसा क्या हुआ के महिला को अपने प्राण गंवाना पड़े यहां पढ़ें पूरी खबर

hospital

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नीमच. जिला चिकित्सालय में करोड़ों रुपए के विकास कार्य हुए। बावजूद इसके यहां ऐसी एक भी सुविधा नहीं है जिसका जिले की साढ़े 8 लाख की आबादी को लाभ मिल सके। यहां तक कि छोटे हादसों में हड्डी टूटने पर प्लास्टर तक की व्यवस्था नहीं है। मरीजों को अन्यत्र रैफर किया जाता है। ऐसे ही एक मामले में जिला चिकित्सालय प्रशासन की लापरवाही की भेंट एक गरीब महिला चढ़ गई, जबकि उसकी कोई गलती नहीं थी।

केवल सूचना देकर झाड़ लिया जिम्मेदारी से पल्ला
जिला अस्पताल हो जहां न पर्याप्त चिकित्सक हैं और न ही पर्याप्त सुविधाएं। करीब 4 करोड़ रुपए की लागत से ट्रामा सेंटर भवन खड़ा कर दिया गया। वहां भी चिकित्सक नहीं आए। राजनीतिक स्वार्थपूर्ति के लिए ट्रामा सेंटर में जिला चिकित्सालय की ओपीडी सिफ्ट कर दी गई। अब 200 बिस्तरों का एक और विशाल भवन बनाने की योजना पर कार्य चल रहा है। देखा जाए तो करोड़ों रुपए की लागत से पत्थर का ढांचा खड़ा करने की ओर ही जनप्रतिनिधियों और प्रशासन का ध्यान है। सुविधाएं बढ़ाने की ओर किसी का ध्यान नहीं है। इसका खामियाजा आम और गरीब जनता को भुगतना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों प्रकाश में आया। ग्राम मोड़ी की 38 वर्षीय रेखा पति गणेश मराठा प्रशासनिक लापरवाही का शिकार हो गई। जिला चिकित्सालय में महिला हर सप्ताह डायलिसिस कराने आती थी। मशीन के पिछले 20 दिनों से खराब होने की वजह से महिला आर्थिक तंगी के चलते डायलिसिस नहीं करवा पाई। इससे उसकी तबीयत अधिक खराब हो गई। डायलिसिस नहीं हो पाने की वजह से 8 जनवरी को महिला की मौत हो गई।

मशीन ठीक करवाने रखा था प्रस्ताव
रेखा मराठा के पति गणेश मराठा ने बताया कि हमारी आर्थिक स्थिति कितनी खराब है कि दो वक्त का खाना भी मुश्किल से नसीब हो पाता है। ऐसे में निजी चिकित्सालय में डायलिसिस कराने की हमारी हैसियत नहीं थी। जिला चिकित्सालय में करीब 14 डायलिसिस कराने आते हैं। जो लोग जिला चिकित्सालय में डायलिसिस कराने आते हैं उन्होंने अस्पताल प्रशासन के सामने एक प्रस्ताव रखा था कि यदि दिल्ली से एजेंसी के मैकेनिक डायलिसिस मशीन ठीक करने नहीं आ रहे हैं तो हम अपने खर्चे पर इसे ठीक करावा देते हैं, लेकिन इसपर वे सहमत नहीं हुए थे। परिणाम यह हुआ कि डायलिसिस मशीन ठीक नहीं हो पाई। इस कारण मेरी पत्नी का डायलिसिस नहीं हो पाया। इलाज नहीं हो पाने की वजह से पत्नी का निधन हो गया।

20 दिन से खराब पड़ी है मशीन
जिला चिकित्सालय में डायलिसिस मशीन की जिम्मेदारी संभाल रहे डा. एनके गोयल ने बताया कि करीब 20 दिनों से डायलिसिस मशीन खराब पड़ी है। मशीन का आर ओ प्लॉट खराब हो गया है। मशीन के मैंटेनेंस की जिम्मेदारी एजेंसी के पास है। एजेंसी के अधिकारियों को सूचना भी दे दी गई, लेकिन अब तक कोई नहीं आया। पिछले दिनों कलेक्टर राजीव रंजन मीना ने जिला चिकित्सालय को निरीक्षण किया था। उन्हें जब पता चला कि एजेंसी के मैकेनिकों के यहां नहीं आने की वजह से डायलिसिस मशीन बंद पड़ी है तो उन्होंने स्थानीय स्तर पर आर ओ प्लॉट ठीक कराने और राशि एजेंसी के खाते में से काटने के निर्देश दिए थे। कलेक्टर के निर्देश के बाद स्थानीय मैकेनिकों से ही आर ओ प्लॉट ठीक कराया जा रहा है। आगामी दो-तीन दिनों में डायलिसिस मशीन काम करने लगेगी। डा. गोयल ने बताया कि बीपीएल कार्डधारियों को नि:शुल्क और सामान्य लोगों को 500 रुपए में डायलिसिस किया जाता है। 14 लोग प्रतिमाह अपना डायलिसिस कराते हैं। प्रतिदिन 4 लोगों का डायलिसिस किया जाता है। 500 रुपए में ही सभी सुविधाएं अस्पताल से ही मरीज को उपलब्ध कराई जाती है। जबकि निजी डायलिसिस सेंटर पर ऐसा नहीं होता है।

दो-तीन दिन में हो जाएगी मशीन ठीक
जिला चिकित्सालय में संचालित डायलिसिस मशीन ठीक करने का काम स्थानीय स्तर पर चल रहा है। जिस एजेंसी के पास इसके मैटेनेंस की जिम्मेदारी है उसे कई बार सूचना देने पर भी कोई अब तक नहीं आया। ऐसे में कलेक्टर के निर्देश पर मशीन ठीक करवा रहे हैं।
– डा. एसएस बघेल, सीएमएचओ
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