जिले में नहीं उचित उपचार
जिले की आबादी करीब साढ़े आठ लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है। बावजूद इसके कैंसर के मरीजों को उपचार के लिए आज भी इंदौर, अहमदाबाद, उदयपुर, दिल्ली आदि शहरों का रूख करना पड़ता है। इससे समय के साथ धन भी खर्च होता है। जब से जिला मुख्यालय में पदस्थ डा. एके दीक्षित सेवानिवृत्त हुए हैं कैंसर मरीजों की कीमोथेरेपी भी नहीं पा रही है। इस कारण मरीजों को अन्य शहरों व प्रदेशों में जाकर उपचार कराना पड़ रहा है। जिले में कैंसर के इलाज के लिए कोई पर्याप्त सुविधा नहीं है। कैंसर की समस्त जांच व उपचार के लिए मरीज को इंदौर, राजस्थान या गुजरात तक दौड़ लगाना पड़ती है। कैंसर की पुष्टि होने पर मरीजों को दी जाने वाली दवाईयां चिकित्सक व नर्स की निगरानी में ही दी जाती है। इस कारण जब भी दवाई लेनी हो मरीज हर बार बड़े शहरों का रुख नहीं कर सकता। इस कारण शासन द्वारा अधिकतर जिला मुख्यालय पर कैंसर नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं। जब से डा. दीक्षित सेवानिवृत्त हुए हैं यह पदा रिक्त पड़ा है। अब डा. विजय भारती को इसका प्रशिक्षण ले रहे हैं। टे्रनिंग लेने के बाद वे जिला मुख्यालय पर मरीजों को कीमोथेरेपी की सुविधा प्रदान करेंगे। जिला चिकित्सालय में फिलहाल 35 मरीजों की कीमोथेरेपी की जा रही है। इनमें 17 पुरूष और 18 महिलाएं हैं। इनमें 5 पुरूष ओरल कैंसर से पीडि़त हैं। 7 महिलाएं बे्रस्ट कैंसर और एक महिला सरवाईकल कैंसर से जूझ रही है। 12 पुरूष और 10 महिला अन्य प्रकार के कैंसरों की कीमोथेरेपी करवा रही हैं। वैसे जिले में करीब 350 कैंसर से पीडि़त या संभावित मरीज हैं।
जिले की आबादी करीब साढ़े आठ लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है। बावजूद इसके कैंसर के मरीजों को उपचार के लिए आज भी इंदौर, अहमदाबाद, उदयपुर, दिल्ली आदि शहरों का रूख करना पड़ता है। इससे समय के साथ धन भी खर्च होता है। जब से जिला मुख्यालय में पदस्थ डा. एके दीक्षित सेवानिवृत्त हुए हैं कैंसर मरीजों की कीमोथेरेपी भी नहीं पा रही है। इस कारण मरीजों को अन्य शहरों व प्रदेशों में जाकर उपचार कराना पड़ रहा है। जिले में कैंसर के इलाज के लिए कोई पर्याप्त सुविधा नहीं है। कैंसर की समस्त जांच व उपचार के लिए मरीज को इंदौर, राजस्थान या गुजरात तक दौड़ लगाना पड़ती है। कैंसर की पुष्टि होने पर मरीजों को दी जाने वाली दवाईयां चिकित्सक व नर्स की निगरानी में ही दी जाती है। इस कारण जब भी दवाई लेनी हो मरीज हर बार बड़े शहरों का रुख नहीं कर सकता। इस कारण शासन द्वारा अधिकतर जिला मुख्यालय पर कैंसर नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं। जब से डा. दीक्षित सेवानिवृत्त हुए हैं यह पदा रिक्त पड़ा है। अब डा. विजय भारती को इसका प्रशिक्षण ले रहे हैं। टे्रनिंग लेने के बाद वे जिला मुख्यालय पर मरीजों को कीमोथेरेपी की सुविधा प्रदान करेंगे। जिला चिकित्सालय में फिलहाल 35 मरीजों की कीमोथेरेपी की जा रही है। इनमें 17 पुरूष और 18 महिलाएं हैं। इनमें 5 पुरूष ओरल कैंसर से पीडि़त हैं। 7 महिलाएं बे्रस्ट कैंसर और एक महिला सरवाईकल कैंसर से जूझ रही है। 12 पुरूष और 10 महिला अन्य प्रकार के कैंसरों की कीमोथेरेपी करवा रही हैं। वैसे जिले में करीब 350 कैंसर से पीडि़त या संभावित मरीज हैं।
कैंसर के मुख्य लक्षण
– ऐसा कोई घाव या फोड़ा, जो भरता नहीं।
– असामान्य रक्त स्त्राव या मवाद बहना।
– तिल या मस्से के आकार, प्रकार में कोई परिवर्तन।
– छाती में या अन्यत्र कोई गांठ या गिल्टी।
– निरंतर गले का बैठना, आवाज में बदलाव या खांसी।
– निगलने में कठिनाई या कोई अपच।
– मल निष्कासन की आदत में परिवर्तन।
– स्त्रियों में माहवारी के अलावा, रक्तस्त्राव या रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्त्राव होना।
– मुंह में छाले निरंतर बने रहना और समान्य इलाज से ठीक न होना।
– यह सब कैंसर के शुरूआती लक्षण हो सकते हैं, प्रारंभिक अवस्था में कैंसर का पूर्ण ईलाज संभव है।
कैंसर से ऐसे करें बचाव
-गर्भवती महिलाओं को एक्स-रे से बचाना।
-शरीर को अत्यधिक सूर्य की किरणों के प्रभाव से बचाएं।
-शराब, बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, प्रिजरवेटिव खाना, पान मसाला, गुटका आदि का सेवन नहीं करें।
-हरी सब्जी, पीले फल, दालें, अंकुरित बीज, रेशे वाले भोजन का सेवन करें।
-कीटनाशक एवं खाद्य सरंक्षक रसायानों से युक्त भोजन सामग्री को धोकर खाएं।
-अपना वजन सामान्य रखें।
-नियमित व्यायाम करें।
– ऐसा कोई घाव या फोड़ा, जो भरता नहीं।
– असामान्य रक्त स्त्राव या मवाद बहना।
– तिल या मस्से के आकार, प्रकार में कोई परिवर्तन।
– छाती में या अन्यत्र कोई गांठ या गिल्टी।
– निरंतर गले का बैठना, आवाज में बदलाव या खांसी।
– निगलने में कठिनाई या कोई अपच।
– मल निष्कासन की आदत में परिवर्तन।
– स्त्रियों में माहवारी के अलावा, रक्तस्त्राव या रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्त्राव होना।
– मुंह में छाले निरंतर बने रहना और समान्य इलाज से ठीक न होना।
– यह सब कैंसर के शुरूआती लक्षण हो सकते हैं, प्रारंभिक अवस्था में कैंसर का पूर्ण ईलाज संभव है।
कैंसर से ऐसे करें बचाव
-गर्भवती महिलाओं को एक्स-रे से बचाना।
-शरीर को अत्यधिक सूर्य की किरणों के प्रभाव से बचाएं।
-शराब, बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, प्रिजरवेटिव खाना, पान मसाला, गुटका आदि का सेवन नहीं करें।
-हरी सब्जी, पीले फल, दालें, अंकुरित बीज, रेशे वाले भोजन का सेवन करें।
-कीटनाशक एवं खाद्य सरंक्षक रसायानों से युक्त भोजन सामग्री को धोकर खाएं।
-अपना वजन सामान्य रखें।
-नियमित व्यायाम करें।
लक्षण नजर आते ही कराएं जांच
तम्बाकू, गुटखा, पान मसालों, बीड़ी, सिगरेट, शराब, निरंतर घाव पैदा करने वाली परिस्थतियों, वायरस, एक्स-रे किरणों व अन्य विकिरणों आदि कैंसर होने के प्रमुख कारण हैं। कैंसर का शुरूआत में ही पता चलने पर यदि नियमित उपचार ले तो इससे पूर्ण रूप से बचा जा सकता है। कैंसर देरी से पता चलने पर इंसान का बचना मुश्किल होता है। जैसे ही कैंसर के लक्षण नजर आएं तुरंत जांच कराना चाहिए। जांच कराने से डरना नहीं चाहिए। समय पर जांच कराने से उपचार भी जल्द प्रारंभ हो सकता है।
– डा. विजय भारती, शासकीय चिकित्सक
तम्बाकू, गुटखा, पान मसालों, बीड़ी, सिगरेट, शराब, निरंतर घाव पैदा करने वाली परिस्थतियों, वायरस, एक्स-रे किरणों व अन्य विकिरणों आदि कैंसर होने के प्रमुख कारण हैं। कैंसर का शुरूआत में ही पता चलने पर यदि नियमित उपचार ले तो इससे पूर्ण रूप से बचा जा सकता है। कैंसर देरी से पता चलने पर इंसान का बचना मुश्किल होता है। जैसे ही कैंसर के लक्षण नजर आएं तुरंत जांच कराना चाहिए। जांच कराने से डरना नहीं चाहिए। समय पर जांच कराने से उपचार भी जल्द प्रारंभ हो सकता है।
– डा. विजय भारती, शासकीय चिकित्सक