मोदी ने मंगलवार शाम यहां भारत मंडपम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर वैश्विक भागीदारी (जीपीएआई) शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद अपने सम्बोधन में एआई के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का उल्लेख करते हुए कहा कि एआई का हर देश पर प्रभाव पड़ा है। सभी को सावधानी के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। शिखर सम्मेलन में इस पर चर्चा मानवता की मूलभूत जड़ों को दिशा देते हुए इन्हें सुरक्षित करेगी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि एआई परिवर्तनकारी है, लेकिन इसे अधिक से अधिक पारदर्शी बनाना सभी की जिम्मेदारी है।
प्रधानमंत्री ने एआई के नकारात्मक पहलुओं को रेखांकित करते हुए कहा कि भले ही इसमें 21वीं सदी में विकास का सबसे मजबूत उपकरण बनने की क्षमता है, लेकिन यह इसके विनाश में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। डीपफेक, साइबर सुरक्षा, डेटा चोरी और आतंकवादी संगठनों की ओर से एआई के प्रयोग चुनौती हैं। इसके जवाबी कदमों के लिए तैयार रहना होगा।
उन्होंने कहा कि एआई टैलेंट और एआई-संबंधित विचारों के क्षेत्र में भारत प्रमुख खिलाड़ी है। भारत में एक जीवंत एआई भावना दिखाई दे रही है, क्योंकि भारतीय युवा एआई तकनीक का परीक्षण कर रहे हैं और उसे आगे बढ़ा रहे हैं। युवा टेक्नोलॉजी के जरिए सामाजिक बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं।
तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन में कनाडा, फ्रांस, जापान, तुर्किये व ब्रिटेन के मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल, 28 सदस्य देशों और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल तथा 67 जीपीएआई विशेषज्ञ व 120 से अधिक उद्योग नेता और विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। भारत की ओर से 50 से अधिक जीपीएआई विशेषज्ञ और 150 से अधिक वक्ता शिरकत करेंगे। इस दौरान एआई और वैश्विक स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल, एआई और डेटा प्रबंधन और एमएल कार्यशाला जैसे विविध विषयों पर कई सत्र आयोजित किए जाएंगे।