थर्ड-पार्टी बीमा अनिवार्य
आपको बता दें कि एक दुर्घटना से पीड़ित व्यक्ति की पत्नी ने अदालत में याचिका दायर की थी। जिसपर अदालत ने सुनवाई करते हुए ये बातें कही। याचिका में कहा गया था कि मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत वाहनों के लिए थर्ड-पार्टी बीमा अनिवार्य है और बिना बीमा के वाहन चलाना एक अपराध है। याचिकाकर्ता उषा देवी की तरफ से पेश वकील राधिका गौतम ने कहा कि कानून के पीछे उद्देश्य था कि दुर्घटना में मारे गए या घायल हुए लोगों के परिवारों को संबंधित वाहनों के मालिक/चालकों से मुआवजा लेने के लिए वर्षो तक मुकदमा न लड़ना पड़े। उषा देवी के पति की जनवरी 2015 में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी और बेटा घायल हो गया था। जब वह मुआवजे के लिए एमएसीटी गई, तो न्यायाधिकरण ने पाया कि दुर्घटना में संलिप्त वाहन का बीमा नहीं है। इसके बाद वह पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय गई और राज्य को उसके क्लेम प्रक्रिया के लिए पार्टी बनाने की मांग की, लेकिन उसकी याचिका खारिज कर दी गई। उन्होंने उच्च न्यायालय के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। बता दें कि भारत के तमाम हिस्सों में सड़क दुर्घटना में हर वर्ष हजारों लोगों की मौत हो जाती है। इन मौतों के लिए कई कारण हैं, जिनमें मोटर वाहन नियम का सही नहीं होना भी एक है।