3-4 करोड़ रुपए करने पड़ते थे खर्च
इसके लिए कैंसर रोगियों को 3 से 4 करोड़ रुपए खर्च करने होते थे। इम्यूनोएक्ट के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राहुल पुरवार ने बताया कि स्वदेशी रूप से विकसित सीएआर-टी सेल थेरेपी पिछले आठ सालों के शोध का परिणाम है। इसका पेटेंट करा लिया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश होगी कि हम देश में एक मरीज को 20 से 30 लाख रुपए में उपचार उपलब्ध करा पाएं। इस सुविधा में एक वर्ष में 1,200 रोगियों के इलाज की क्षमता है। उन्होंने कहा कि दूसरे चरण में अस्पतालों में इस सुविधा का लाभ लोगों को मिल सकेगा।
इसके लिए कैंसर रोगियों को 3 से 4 करोड़ रुपए खर्च करने होते थे। इम्यूनोएक्ट के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राहुल पुरवार ने बताया कि स्वदेशी रूप से विकसित सीएआर-टी सेल थेरेपी पिछले आठ सालों के शोध का परिणाम है। इसका पेटेंट करा लिया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश होगी कि हम देश में एक मरीज को 20 से 30 लाख रुपए में उपचार उपलब्ध करा पाएं। इस सुविधा में एक वर्ष में 1,200 रोगियों के इलाज की क्षमता है। उन्होंने कहा कि दूसरे चरण में अस्पतालों में इस सुविधा का लाभ लोगों को मिल सकेगा।
सीएआर-टी सेल थेरेपी क्या है? काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (सीएआर)-टी कोशिकाएं रोगी की अपनी प्रतिरक्षा कोशिकाएं होती हैं। इन्हें कैंसर से लडऩे के लिए प्रयोगशाला में बनाया जाता है। यह ज्यादातर रक्त कैंसर और लिम्फोमा (लिम्फ प्रणाली की कोशिकाओं में शुरू होने वाला कैंसर) में प्रभावी है। ठोस ट्यूमर और ऑटो-प्रतिरक्षा रोगों में भी इसकी भूमिका का आकलन करने के लिए अध्ययन जारी हैं।