कुम्हारिया तालाब में पिछले कई समय से अपने पांव पसार चुकी अजोला वनस्पति को साफ करने के लिए आखिर नगरनिगम को डिविडिंग मशीन उतारनी ही पड़ी।
यह तालाब अनदेखी का शिकार हो रहा था और यहां नुकसानदायक वनस्पति पूरे तालाब को घेर चुकी थी। इसके विस्तार से प्रदूषण भी बढ़ रहा था।
मंगलवार को डिविडिंग मशीन के माध्यम से कुम्हारिया तालाब में फैल चुकी अजोला नामक वनस्पति की सफाई की गई। इसके लिए सुबह से ही मशीन से सफाई कार्य शुरू कर दिया गया था।
झीलप्रेमियों ने इस ओर राजस्थान पत्रिका के माध्यम से नगरनिगम व प्रशासन का ध्यान खींचा था। उन्होंने बताया था कि वनस्पति से तालाब के पानी को नुकसान हो रहा है, इसमें ऑक्सीजन बनना बंद हो गई थी। इससे जलीय जीवों पर भी खतरा मंडरा रहा था।
जैविक विधि से होना चाहिए समाधान
झील प्रेमी तेजशंकर पालीवाल ने बताया कि मशीन से वनस्पति को साफ करना स्थायी समाधान नहीं है। ये कुछ समय बाद फिर से पनप जाएगी। इस वनस्पति का विनाश जैविक विधि से ही हो सकता है।
इसके लिए सबसे पहले मछली के शिकार पर रोक लगना जरूरी है। जलीय वनस्पति खाने वाली ग्रासकार्फ मछलियां तालाब में छोडऩी चाहिए। सीवरेज के नाले इसमें गिरने से रोके जाने चाहिए।
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