नई दिल्ली

सायबर अलर्ट: क्या एप के जरिए आपकी ‘जासूसी’ कर रहे हैं बैंक?

सावधान: बैंकिंग सेवाओं से जुड़े एप आपके मोबाइल में मांग रहे हैं गैर जरूरी परमिशन

नई दिल्लीDec 01, 2021 / 01:10 pm

shailendra tiwari

शैलेंद्र तिवारी
देश में बैंकिंग से जुड़े एप आपसे अनुमति लेकर आपकी निजी जानकारी खुद के साथ साझा कर रहे हैं। न केवल आपकी निजी जिंदगी में ताका—झांकी हो रही है, बल्कि आपकी निजता भी घेरे में है। इसके साथ ही आपकी निजी जानकारियों के पब्लिक डोमेन में लीक होने की आशंका तेजी से बढ़ी है। दरअसल, बैंक अपने एप में गैर जरूरी परमिशन के जरिए आपके बारे में वो सब जानकारी भी जुटा रहे हैं, जिसकी उन्हें जरूरत भी नहीं है। इन परमिशन में आपके फोन को रिकॉर्ड करने से लेकर किसी को सीधे फोन और मैसेज करने की अनुमतियां और कैलेंडर के जरिए गुप्त सूचनाएं तक शामिल हैं।
ऐसे समझिए परमिशन का खेल
एक चैट ऐप तस्वीरों या मीडिया फ़ाइलों तक पहुंचने की अनुमति मांग सकता है, ताकि आप उन्हें अपने संपर्कों के साथ साझा कर सकें। लेकिन अगर वह आपकी लोकेशन मांगने लगे सावधान होना चाहिए। एक गेमिंग ऐप जानना चाहेगा कि आपको फ़ोन कॉल कब आती है ताकि वह रुक सके। लेकिन वह आपके मैसेज या लोकेशन की परमिशन मांगे तो आपको सोचना होगा कि आखिर यह क्यों मांग रहा है। बैंकिंग सेक्टर में भी कुछ यही हो रहा है। जरूरी अनुमतियों के साथ गैर जरूरी जैसे डिवाइस और एप हिस्ट्री, माइक्रोफोन, कैंलेंडर, मीडिया फाइल जैसी दूसरी परमिशन भी ली जा रही हैं।
सबसे ज्यादा परमिशन मांग रहा पेटीएम
बैंकिंग सेक्टर के एप में पेटीएम अकेला ऐसा एप है जो सबसे ज्यादा परमिशन मांग रहा है। वह फोन रिकॉर्ड करने से लेकर फोटो, मीडिया फाइल तक में छेड़छाड़ की अनुमति यूजर से ले रहा है। वहीं दूसरे नंबर पर फोन पे है। बैंक के एप भी इस काम में पीछे नहीं हैं, वह भी कई तरह की अनुमतियां मांग रहे हैं। वह भी उस दौर में जब कोई भी कंपनी डाटा के सुरक्षित बने रहने की गारंटी नहीं देती है।
दुनिया में डेटा लीक की पांच बड़ी घटनाएं
1. नवंबर 2019 — अलीबाबा ईकॉमर्स कंपनी से 1.1 बिलियन यूजर का डेटा लीक
2. जून 2021 — सोशल मीडिया लिंक्डइन से 700 मिलियन का डेटा लीक
3. मार्च 2020 — चीन की सोशल मीडिया कंपनी सीना वीबो से 538 मिलियन का डेटा लीक
4. अप्रेल 2019 — सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक से 533 मिलियन का डेटा लीक
5. सितंबर 2018 — होटल कंपनी मेरियट इंटरनेशनल से 500 मिलियन का डेटा लीक
क्यों ये संवेदनशील परमीशन
एंडराइड ने खुद इन नौ परमिशन को खतरनाक और संवेदनशील माना है। इनका उपयोग सिर्फ जरूरी एप को ही करने की मंजूरी दी जानी चाहिए। लेकिन आज लगभग हर एप यह परमिशन यूजर से ले रहा है। जानिए आखिर क्यों खतरनाक हैं यह परमिशन।

1. बॉडी सेंसर
केवल फिटनेस एप को इसकी जरूरत। दूसरे एप इसके जरिए आपका हेल्थ डेटा चुरा सकते हैं।

2. कैलेंडर
सोशल मीडिया एप आपके लिए पसंदीदा इवेंट को कैलेेडर में फिक्स कर देते हैं, लेकिन दूसरे एप इसके जरिए आपके रूटीन की जानकारी इकठ्ठा करते हैं।
3. कैमरा
इसकी जरूरत कुछ एप में होती है, बार कोड स्कैन से लेकर दूसरे कामों के लिए। लेकिन इसके जरिए आपके आसपास की वीडियो जासूसी भी संभव। साथ में आपका कैमरा डेटा भी कंपनी के साथ शेयर होता है।
4. कॉन्टेक्ट्स
आपके कॉन्टेक्ट्स लिस्ट में शामिल लोगों का डेटा चोरी होने और उसका दुरुपयोग होने का डर।

5. जीपीएस लोकेशन
आपके डेली रुटीन और जगहों के बारे में जानकारी इकठ्ठा हो सकती है, जहां आप जा रहे हैं उसकी पूरी जानकारी इकठ्ठा हो रही है।
6. माइक्रोफोन
आपके आसपास की बातों को सुना जा रहा है, भले ही आपका एप बंद हो। आपकी निजी जिंदगी में सीधी ताकाझांकी।

7. कॉलिंग
इसके जरिए भी आपकी बातों को बिना आपकी जानकारी के सुना जा सकता है। आपकी कॉलिंग लिस्ट की जानकारी इकठ्ठा हो सकती है।
8. मैसेज
आपके निजी संदेशों को भी पढ़ने की क्षमता, इसके दुरुपयोग की पूरी संभावना।

9. स्टोरेज
आपके स्टोरेज में मौजूद हर चीज को पढ़ने, देखने की क्षमता, ऐसे में इसके दुरुपयोग की पूरी संभावना।
एक्सपर्ट ओपिनियन

एप की कमाई का माध्यम जानना जरूरी

उपभोक्ता के रूप में हमें यह जानने की जरूरत है कि एप पैसा कैसे कमा रहा है। क्या हमें फ्री सर्विस देने के नाम पर वह हमें ही अपनी आय का जरिया तो नहीं बना रहा। बिना जरूरत की परमिशन का मतलब उसके जरिए मुनाफा कमाना ही होता है।
टोनी एन्सकोर्ब, सीनियर सिक्योरिटी एक्सपर्ट एवीजी मोबाइल
परमिशन के लिए नियम जरूरी

मोबाइल से पैसे लेना-देना बहुत आसान हुआ है। मुश्किल यह है कि एप डाउनलोड होते ही आपके लोकेशन, वाई फाई, मेसेजेस पर एक्सेस मांगते हैं। नेशनल पेमेंट कारपोरेशन ऑफ इंडिया वो संस्था है जो ऐसे एप्लीकेशन पर नियंत्रण करती है, आज तक ऐसा कोई भी नियम नहीं आया, जिससे इनकी अनुमतियों को सीमित किया जा सके। ऐसे में उपभोक्ताओं को सचेत रहना पड़ेगा।
वरुण तन्खा, सीनियर एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट

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