गैर-संगठित क्षेत्र में नौ करोड़ महिलाएं कार्यरत हैं
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, सिर्फ भारत के गैर-संगठित क्षेत्र में करीब नौ करोड़ महिलाएं कार्यरत हैं और उनमें कई कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं, लेकिन उनमें से अधिकतर महिलाएं इसकी शिकायत नहीं करतीं। या तो उन्हें बदनामी का डर होत है अथवा उन्हें कानूनों की जानकारी नहीं होती। मार्था फैरेल फाउंडेशन की निदेशक नंदिता भट्ट ने बताया कि हर शहर में हजारों की संख्या में घरेलू कामगार होती हैं, लेकिन उनमें से मुट्ठी भर के पास भी औपचारिक कांट्रैक्ट नहीं होता। इनकी गिनती भी औपचारिक कार्यबल में नहीं होती। उन्होंने बताया कि सर्वे के दौरान भी इस बात की पुष्टि हुई कि यौन हिंसा का शिकार होने वाली सिर्फ 29 प्रतिशत घरेलू कामगार ही शिकायत दर्ज कराती हैं।
सिर्फ 172 जिले में हैं समितियां
बता दें कि यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) अधिनियम- 2013 के अधीन औपचारिक एवं गैर-औपचारिक, दोनों क्षेत्रों की महिलाओं को शामिल किया गया है। लेकिन स्थानीय समितियां ही नहीं बनी है। दिल्ली के कुल 11 जिलों में से मात्र दो जिलों में समितियां हैं और देश भर में सिर्फ 172 जिलों में ही समितियां हैं। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार जल्द ही इस संबंध में सभी डीएम, महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों, महिला आयोग की सदस्यों एवं श्रम विभाग के अधिकारियों की एक बैठक बुलाने जा रही है। इसमें दिल्ली के सभी जिलों में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) अधिनियम- 2013 के तहत स्थानीय कमेटी के गठन पर विचार-विमर्श किया जाएगा।