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Chanakya Neeti- जीवन में कभी भी इन दो लोगों के साथ बुरा न बोलें

locationनई दिल्लीPublished: Sep 10, 2021 09:25:05 am

Submitted by:

Sandhya Jha

‘अपनी जुबान की ताकत कभी भी उन पर मत आजमाओ, जिन्होंने तुम्हें बोलना सिखाया है।’

Chanakya Neeti- जीवन में कभी भी इन दो लोगों के साथ बुरा न बोलें

Chanakya Neeti- जीवन में कभी भी इन दो लोगों के साथ बुरा न बोलें

आचार्य चाणक्य ने कई शिक्षाओं और विचारों का प्रचार किया है जो जीवन की सच्चाई को साझा करते हैं। कई बार उनके शब्द कठोर लगते हैं पर उनके उपदेशों ने हमेशा जीवन में सबसे कठिन परिस्थितियों से जीतने में मदद की है। सफलता पाने और एक बेहतर इंसान बनने के लिए उनकी दी हुई शिक्षा को अपने जीवन में उतारने और उनका पालन करने की सलाह दी जाती है। आचार्य चाणक्य ने अपने शिष्यों को सबसे महत्वपूर्ण सलाह ज़ुबान की ताकत के बारे में दी है। उन्होंने बताया है कि अपने जीवन में कभी भी इन दो लोगों के साथ अपशब्द का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे केवल बुरा होता है। ये दो लोग हैं माता और पिता।

‘अपनी जुबान की ताकत कभी भी अपने माता पिता पर मत आजमाओ, जिन्होंने तुम्हें बोलना सिखाया है।’
– आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि बोलते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप किसके सामने और क्या बोल रहे हैं। जीभ बहुत शक्तिशाली होती है और लोग अक्सर इसका इस्तेमाल बिना सोचे-समझे करते हैं जिससे उन्हें बाद में पछताना पड़ता है। जिस तरह धनुष से निकलने वाले बाण को वापस नहीं लिया जा सकता, उसी प्रकार मूँह से निकलने वाले शब्द को वापस नहीं लिया जा सकता। इसलिए बोलने से पहले हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आपके सामने कौन है।
असल जिंदगी में कई बार ऐसा होता है कि जब लोग गुस्से में होते हैं तो उनके माता-पिता उनके बुरे शब्दों का निशाना बन जाते हैं। वे अपने माता-पिता से ऐसे शब्द भी बोलते हैं जो दिल को दुखाने वाले होते हैं, हालांकि, उनका वास्तव में यह मतलब नहीं होता है। लेकिन उस समय जीभ आपके समझ पर हावी हो जाती है।
आचार्य चाणक्य का उपदेश है कि मनुष्य को अपने माता-पिता पर अपनी जीभ की शक्ति का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए क्योंकि उन्होंने ही बोलना सिखाया है। क्रोध में अंधा होना ही दुर्भाग्य लाता है। एक बार जब गुस्सा शांत हो जाता है, तो केवल पछताना ही आता है। ऐसा भी कहा जाता है कि ऐसा व्यक्ति पाप का शिकार हो जाता है। इसी कारण आचार्य चाणक्य ने कहा है कि कभी भी अपनी जीभ का बल अपने माता-पिता पर न आजमाएं, जिन्होंने आपको बोलना सिखाया है।

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