भूमि अधिग्रहण विवाद बनी समस्या
बता दें कि भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवादों के कारण इस माइंस के विस्तार में विलंब हो रहा है। इसकी वजह से इन क्षेत्रों में स्थित दो अहम पावर प्लांट्स के उत्पादन में काफी कमी आई है, जबकि मांग पहले जितनी ही बनी हुई है, बल्कि और बढ़ गई है। इस वजह से इन प्लांट्स में जमा कोयले भी तेजी से खत्म हो रहे हैं। दूसरी तरफ भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवाद को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार लगातार स्थानीय प्रशासन के संपर्क में है। बता दें कि स्थानीय प्रशासन ने भूमि-अधिग्रहण के लिए 2 साल पहले नोटिस जारी किया था। लंबी बातचीत के बाद ग्रामीण कुछ महीनों में जमीन छोड़ने को राजी हो गए थे। बता दें कि 160 हेक्टेयर में फैले इस इलाके की अधिकतर जमीनों पर विवाद है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि एक-एक प्लॉट पर दर्जनों लोग मालिकाना हक का दावा ठोंक रहे हैं। कोल इंडिया ने बताया कि कई प्लॉट्स ऐसे हैं, जिनके सही मालिकान की पहचान राज्य सरकार भी नहीं कर पा रही है। इस वजह से उन्हें मुआवजे की रकम ट्रांसफर नहीं हो पा रही है।
बारिश बन सकती है मुसीबत
एनटीपीसी ने जानकारी दी कि अगर राजमहल में बारिश नहीं हुई तो, फरक्का प्लांट 60 और कहलगांव 80 प्रतिशत की उत्पादन क्षमता के साथ काम करते रहेंगे, लेकिन अगर कोल इंडिया की तरफ से सप्लाई में और कमी आई तो हमें अपने यूनिट्स की क्षमता कम करना पड़ सकता है। यहां तक की बंद करने पर भी मजबूर होना पड़ सकता है।
ढाई लाख से घटकर स्टॉक हुआ 40 हजार टन
एनटीपीसी से जुड़े सूत्रों ने जानकारी दी कि उनके फरक्का थर्मल पावर प्लांट में, स्टॉक्स घटकर 4000 टन पर आ गया है, जो दो महीने पहले 2.5 लाख टन के आसपास था। इसी तरह कहलगांव थर्मल पावर स्टेशन का स्टॉक्स जो दो महीने पहले 5 लाख टन था, वह अब 45,000 टन तक आ पहुंचा है। इन कारणों से एनटीपीसी को अपने फरक्का और कहलगांव पावर प्लांट्स के जेनरेशन लेवल को 90 प्रतिशत से घटाकर क्रमश: 60 और 80 फीसदी पर लाना पड़ा है।
यहां यह भी बता दें कि झारखंड के राजमहल माइन्स से कोल इंडिया औसतन 55,000 टन कोल सप्लाई करता था, जो घटकर 40,000 टन पर पहुंच गया है। सूत्र ने बताया कि बारिश के दिनों में तो कोयले की मात्रा काफी हो जाती है। यह 2,000 टन तक पहुंच जाता है। इस कारण पावर प्लांट्स के पास जमा स्टॉक्स में कमी आ रही है। यही वजह है कि केंद्र सरकार लगातार इस पर नजर रखे है।