scriptDelhi: ‘बाल विवाह’ रोकने के लिए कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन ने दिल्ली में आयोजित किया सम्मेलन, जानिए कितने दिल्ली में हुए बाल विवाह | conference to child marriage organise by Kailash Satyarthi foundation | Patrika News

Delhi: ‘बाल विवाह’ रोकने के लिए कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन ने दिल्ली में आयोजित किया सम्मेलन, जानिए कितने दिल्ली में हुए बाल विवाह

locationनई दिल्लीPublished: Sep 28, 2022 10:40:19 pm

Submitted by:

Rahul Manav

दिल्ली में ‘बाल विवाह’ जैसी सामाजिक कुरीति की रोकथाम के उद्देश्य से बुधवार को नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी द्वारा स्‍थापित कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन (KSCF) की तरफ से सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन में दावा करते हुए जानकारी दी गई कि भारत सरकार की साल 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार दिल्‍ली में 84,277 लोगों का बाल विवाह हुआ है। यह पूरे देश के बाल विवाह का करीब एक फीसदी है। बाल विवाह के मामले में दिल्‍ली का देशभर के 29 राज्‍यों में 19वां स्‍थान है।

Delhi: ‘बाल विवाह’ रोकने के लिए कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन ने दिल्ली में आयोजित किया सम्मेलन, जानिए कितने दिल्ली में हुए बाल विवाह

‘बाल विवाह’ को रोकने के लिए दिल्ली में बुधवार को कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन (KSCF) की तरफ से सम्मेलन का आयोजन किया।

‘बाल विवाह’ पर आयोजित सम्मेलन में कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन (केएससीएफ) ने जानकारी दी कि दिल्ली में इतने बाल विवाह, अपने आप में दर्शाता है कि बाल विवाह की समस्या कितनी विकराल है कि देश की राजधानी भी इससे अछूती नहीं है। सम्मेलन का आयोजन फाउंडेशन द्वारा संचालित ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के तहत किया गया। इस अभियान से जुड़ी स्‍वयंसेवी संस्‍थाओं ने सम्मेलन हिस्सा लिया। साथ ही दिल्ली की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए सम्मेलन में शामिल प्रतिनिधियों ने बाल विवाह रोकने के लिए सरकार से कानून का सख्ती से पालन करने की अपील की।
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कानून का हो सख्ती से पालन

सम्मेलन में यह भी जानकारी दी गई कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के ताजा आंकड़े भी साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों की तस्दीक करते हैं। सर्वे के अनुसार देश में 20 से 24 साल की उम्र की 23.3 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं। जिनका बाल विवाह हुआ है। वहीं, राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार दिल्ली में साल 2019 में दो, साल 2020 में चार और साल 2021 में मात्र दो मामले बाल विवाह के दर्ज किए गए। इससे साफ है कि ‘बाल विवाह’ जैसी सामाजिक बुराई के प्रति लोग आंखें मूंदकर बैठे हैं। बाल विवाह के मामलों की पुलिस में शिकायत नहीं की जा रही है। सम्मेलन में इस स्थिति पर चिंता जाहिर की गई। साथ ही जनता, सरकार और सुरक्षा एजेंसियों से बाल विवाह के मामलों में गंभीरता बरतने व सख्त से सख्त कदम उठाने की अपील की गई। इस बात पर सहमति जताई गई कि सख्त कानूनी कार्रवाई से ही बाल विवाह को रोका जा सकता है।
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बाल विवाह रोकने के लिए हुई चर्चा

सम्मेलन में बाल विवाह रोकने के लिए कानूनी पहलुओं पर चर्चा की गई। इसमें प्रमुख रूप से बाल विवाह के मामले में अनिवार्य एफआईआर दर्ज करने, बाल विवाह को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और पॉक्‍सो एक्‍ट से जोड़ने पर विमर्श हुआ। इसका मकसद कानून तोड़ने वालों को सख्त से सख्त सजा दिलाना है। साथ ही देश के हर जिले में बाल विवाह रोकने वाले अधिकारी (सीएमपीओ) की नियुक्ति की मांग भी उठाई गई। इन अधिकारियों को बाल विवाह रोकने के लिए उचित प्रशिक्षण देने और उन्हें अभिभावकों को इसके खिलाफ प्रोत्साहन देने की भी बात कही गई।
शिक्षा के माध्‍यम से ही बच्चे करेंगे अपना और देश का विकास

सम्मेलन में दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य रंजना प्रसाद, बुराड़ी से विधायक संजय झा, उत्तर प्रदेश की पूर्व डीजीपी सुतापा सान्याल, बाल मित्र मंडल की बाल नेता निशा, दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. धनंजय जोशी, भारतीय स्त्री शक्ति की नैना सहस्रबुद्धे, संसद टीवी के सीनियर एंकर मनोज वर्मा और कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक राकेश सेंगर समेत अनेक गणमान्य हस्तियां मौजूद रहीं। दिल्‍ली सरकार की बाल सुरक्षा इकाई की सहायक निदेशक योगिता गुप्ता ने इस सामाजिक बुराई पर चिंता जताते हुए कहा कि बाल विवाह बच्‍चों के सपनों व भविष्‍य को खत्म कर देता है। शिक्षा ही एकमात्र विकल्प है जो बच्‍चों को इस बुराई से बचा सकती है। शिक्षा के माध्‍यम से ही बच्‍चे न केवल अपना बल्कि देश का भी बेहतर विकास कर सकेंगे।
बाल विवाह बच्चियों के अधिकारों का है हनन

वहीं, दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष अनुराग कुंडू ने कहा कि बाल विवाह न केवल एक सामाजिक बुराई है, बल्कि यह बच्चे, बच्चियों के अधिकारों का भी हनन करता है। इस सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए सामाजिक कल्‍याण, शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, पुलिस, न्यायिक प्रणाली, बाल अधिकार एवं मानवाधिकार के लिए जिम्‍मेदार सभी विभागों व संस्थानों को एकजुट होकर काम करना होगा।बाल विवाह से बच्चों के खराब होते जीवन पर चिंता व्यक्त करते हुए कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक राकेश सेंगर ने कहा कि बाल विवाह सामाजिक बुराई है और इसे बच्‍चों के प्रति सबसे गंभीर अपराध के रूप में ही लिया जाना चाहिए। बाल विवाह बच्‍चों के शारीरिक व मानसिक विकास को खत्‍म कर देता है। इस सामाजिक बुराई को रोकने के लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करना होगा। उनका संगठन कैलाश सत्‍यार्थी के नेतृत्व में सरकार, सुरक्षा एजेंसियों एवं नागरिक संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि राजस्थान को बाल विवाह मुक्त किया जा सके।
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